ब्लॉग: घरेलू उड़ानों की मूल समस्याओं को दूर करने की जरूरत

By भरत झुनझुनवाला | Published: October 21, 2021 12:36 PM2021-10-21T12:36:35+5:302021-10-21T12:39:15+5:30

मुख्य समस्या है कि अपने देश में हवाई यात्रा के रेल और सड़क के विकल्प उपलब्ध हैं, जिसके कारण हवाई यात्रा लंबी दूरी में ही सफल होती दिख रही है. जैसे दिल्ली से बेंगलुरु की रेल द्वारा एसी 2 में यात्रा का किराया 2925 रु. है जबकि एक माह आगे की हवाई यान का किराया 3170 रु. है. दोनों लगभग बराबर हैं.

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फाइल फोटो.

Highlightsएयर इंडिया को वापस पटरी पर लाने के लिए टाटा को मशक्कत करनी पड़ेगी.जरूरत इसकी है कि लंबी दूरी की उड़ानों को और सरल बनाया जाए.

सत्तर साल तक सरकारी प्रबंधन के कुप्रबंधन के बाद एयर इंडिया वापस टाटा समूह को बेच दी गई है. लेकिन एयर इंडिया को वापस पटरी पर लाने के लिए टाटा को मशक्कत करनी पड़ेगी. 

बीते समय में अपने देश में घरेलू उड्डयन की हालत गड़बड़ ही चल रही है. अत: घरेलू उड्डयन की मूल समस्याओं को भी सरकार को दूर करना होगा.

मुख्य समस्या है कि अपने देश में हवाई यात्रा के रेल और सड़क के विकल्प उपलब्ध हैं, जिसके कारण हवाई यात्रा लंबी दूरी में ही सफल होती दिख रही है. जैसे दिल्ली से बेंगलुरु की रेल द्वारा एसी 2 में यात्रा का किराया 2925 रु. है जबकि एक माह आगे की हवाई यान का किराया 3170 रु. है. दोनों लगभग बराबर हैं. 

अंतर यह है कि रेल से यात्ना करने में 1 दिन और 2 रात का समय लगता है और भोजन आदि का खर्च भी पड़ता है जिसे जोड़ लें तो रेल यात्रा हवाई यात्रा की तुलना में महंगी पड़ती है. तुलना में हवाई यान में कुल 7 घंटे लगते हैं. इसलिए लंबी दूरी में हवाई यात्रा सफल है.

इसकी तुलना में मध्यम दूरी की यात्रा की स्थिति भिन्न हो जाती है. दिल्ली से लखनऊ का एसी-2 का किराया 1100 रुपए है जबकि एक माह आगे की हवाई यात्रा का किराया 1827 रुपये है. 

रेल यात्रा में एक लाभ यह भी है कि आप इस यात्रा को रात्रि में कर सकते हैं; जबकि वायु यात्रा आपको दिन में करनी पड़ती है और इसमें आपका लगभग आधा दिन व्यय हो जाता है. यदि छोटी दूरी की बात करें तो दिल्ली से देहरादून रेल, सड़क और हवाई यात्रा सभी में लगभग 5 घंटे का समय लगता है. 

हवाई यात्रा में यात्रा के दोनों छोर पर हवाई अड्डा दूर होता है (1+1 घंटा), चेक-इन करना होता है (1/2 घंटा) और बैगेज लेने में समय लगता है (1/2 घंटा). समय के इस व्यय के कारण यद्यपि हवाई यात्रा विशेष में केवल एक घंटे का समय लगता है परंतु घर से घर तक कुल समय 4 घंटे लगता है जो कि सड़क से लगने वाले 5 घंटे के लगभग बराबर है. 

हवाई यात्रा में आपको लाइन में लगना होगा, लगेज लेने के लिए इंतजार करना होगा और हवाई अड्डे तक पहुंचने में भी मेहनत करनी होगी. इसलिए मध्य दूरी की यात्रा जैसे दिल्ली से लखनऊ और छोटी दूरी की यात्रा जैसे दिल्ली-देहरादून रेल या सड़क से सफल है और लंबी दूरी की यात्रा जैसे दिल्ले से बेंगलुरु में हवाई यात्रा सफल है.

यहां एक विषय यह भी है कि अक्सर क्षेत्रीय उड़ानें लंबी उड़ानों को जोड़ती हैं. जैसे देहरादून से दिल्ली आप एक उड़ान से आए और फिर दिल्ली से कोलकाता दूसरी उड़ान से गए. इस प्रकार बड़े हवाई अड्डों को हब बना दिया जाता है जहां किसी एक समय तमाम क्षेत्रीय उड़ानें पहुंचती हैं और उसके कुछ समय बाद तमाम लंबी उड़ानें निकलती हैं. 

ऐसा करने से क्षेत्रीय उड़ानों का देहरादून से कोलकाता या बेंगलुरु की उड़ान भरना आसान हो जाता है. लेकिन क्षेत्रीय उड़ानों में इस लंबी दूरी की उड़ानों के यात्रियों का हिस्सा कम ही होता है जिसके कारण लंबी दूरी की यात्ना से जोड़ने के बावजूद क्षेत्रीय उड़ानें सफल नहीं हो रही हैं.

सरकार की नीति इस कटु सत्य को नजरंदाज करती दिख रही है. केंद्र सरकार ने 2012 में एक वर्किग ग्रुप बनाया था जिसको घरेलू उड्डयन को बढ़ावा देने के लिए सुझाव देने को कहा गया था.

ग्रुप ने कहा था कि क्षेत्रीय उड्डयन को सब्सिडी दी जानी चाहिए. इसके बाद सरकार ने राष्ट्रीय घरेलू उड्डयन नीति बनाई जिसके अंतर्गत क्षेत्रीय उड़ानों को तीन साल तक सब्सिडी देना शुरू किया गया. 

अंतरराष्ट्रीय सलाहकार कंपनी डिलाइट ने भी छोटे शहरों के उड्डयन के विस्तार की बात कही है. लेकिन इन सब संस्तुतियों को कुछ हद तक लागू करने के बावजूद घरेलू उड्डयन की स्थिति खराब ही रही है जैसा कि एयर इंडिया, जेट एयरवेज, स्पाइस जेट और इंडिगो की दुरूह स्थिति में दिखाई पड़ता है. इसलिए मूलत: सरकार को अपनी उड्डयन नीति में परिवर्तन करना होगा.

जरूरत इसकी है कि लंबी दूरी की उड़ानों को और सरल बनाया जाए. लंदन में आप हवाई जहाज के उड़ने के मात्र 15 मिनट पहले हवाई अड्डे पहुंच हवाई जहाज में प्रवेश कर सकते हैं जबकि अपने यहां सिक्योरिटी इत्यादि में 1-2 घंटा लग जाता है. 

इसलिए सरकार को चाहिए कि सिक्योरिटी चेक और बैगेज, अपने सामान को वापस पाने की व्यवस्थाओं में सुधार करे. साथ-साथ शहरों के दूरदराज के इलाकों से हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए सड़क, मेट्रो इत्यादि की व्यवस्था करे जिससे देश में लंबी दूरी के घरेलू उड्डयन का भरपूर विस्तार हो सके.

एयर इंडिया के प्रकरण से एक विषय यह भी निकलता है कि 70 साल के सरकारी प्रबंधन में इस कंपनी की स्थिति खराब हो गई है. इसी तर्ज पर सरकारी बैंकों, इंश्योरेंस कंपनियों, कोल इंडिया आदि इकाइयों का समय रहते निजीकरण कर देना चाहिए. 

जिस प्रकार एयर इंडिया का निजीकरण भारी घाटा खाने के बाद बाद किया गया, वही स्थिति इन इकाइयों के साथ उत्पन्न नहीं होनी चाहिए.

Web Title: domestic flights operation air india tata

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