वैश्विक व्यवस्था के लिए व्यावहारिकता की डिप्लोमेसी जरूरी  

By शोभना जैन | Updated: February 4, 2025 06:43 IST2025-02-04T06:43:52+5:302025-02-04T06:43:59+5:30

भारत रूस पर अपनी रक्षा निर्भरता लगातार कम कर रहा है और रक्षा खरीद का दायरा बढ़ा रहा है. अमेरिका चाहता है

Diplomacy of practicality is necessary for global order | वैश्विक व्यवस्था के लिए व्यावहारिकता की डिप्लोमेसी जरूरी  

वैश्विक व्यवस्था के लिए व्यावहारिकता की डिप्लोमेसी जरूरी  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गत 20 जनवरी को अपना दूसरा कार्यभार संभालते ही जिन प्रशासनिक फैसलों का ऐलान किया, उनके प्रभाव को लेकर दुनिया भर में उथल-पुथल हो रही है. ऐसे में भारत, चीन सहित विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए टैरिफ बढ़ाने को लेकर वे निरंतर जिस तरह से कोई नरमी नहीं बरतने पर जोर दे रहे हैं और प्रवासियों को स्वदेश वापस भेजे जाने के विवादास्पद मुद्दे को लेकर जो ऐलान किया उससे भारतीय प्रवासी जिस तरह से प्रभावित हो रहे हैं, उसे लेकर दोनों पक्षों के बीच बातचीत के लंबे दौर के बावजूद ट्रम्प प्रशासन से कोई सकारात्मक संकेत फिलहाल नहीं मिला है.

पिछले दिनों पीएम मोदी के साथ हुई टेलीफोन की बातचीत में ट्रम्प से इन दोनों जटिल मुद्दों सहित अनेक द्विपक्षीय संबंधों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई. बातचीत के बाद अवैध प्रवासी भारतीयों के मसले पर ट्रम्प ने पीएम मोदी से कहा कि ऐसे भारतीयों को लेकर जो सही होगा वही कदम उठाए जाएंगे. भारत पहले ही कह चुका है कि दोनों ही पक्ष व्यापार और आव्रजन मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं, उम्मीद है मुद्दों का हल निकल आएगा.  

व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि भारत के अमेरिका से ज्यादा सुरक्षा उपकरण खरीदने और संतुलित द्विपक्षीय व्यापार पर बात हुई है. लेकिन सवाल है कि क्या यह मोदी सरकार की मेड इन इंडिया नीति और संयुक्त उपक्रम की नीति से मेल खाता है? पिछले दो दशकों में भारत की अमेरिका से रक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ी है. हाल ही में अमेरिका से भारत की तीन अरब डॉलर की प्रीडेटर ड्रोन डील हुई थी. भारत रूस पर अपनी रक्षा निर्भरता लगातार कम कर रहा है और रक्षा खरीद का दायरा बढ़ा रहा है. अमेरिका चाहता है कि भारत रूस की बजाय रक्षा खरीद ज्यादा-से-ज्यादा उससे करे.

टैरिफ को लेकर ट्रम्प हमेशा से कहते रहे हैं कि भारत अमेरिका से आयात होने वाले सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगाता है. अपने पहले कार्यकाल में ट्रम्प ने भारत का जीएसपी दर्जा खत्म कर दिया था. इसके तहत भारत को अमेरिका में अपने कुछ खास उत्पादों के करमुक्त निर्यात की अनुमति थी. ट्रम्प ने यह दर्जा मार्च 2019 में खत्म किया था. तब अमेरिका ने कहा था कि भारत ने अपने बाजार में अमेरिका की पहुंच के लिए कई तरह की अड़चनें बनाकर रखी हैं, जिससे अमेरिका के व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. साल 2024 में जनवरी से नवंबर तक अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस 41 अरब डॉलर का था.

माना कि ट्रम्प के लिए अमेरिका का हित सबसे पहले है, लेकिन ऐसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को दबाव, धमकियों के बजाय सभी पक्षों के साथ सहमति बना कर वैश्विक व्यवस्था के लिए व्यावहारिकता की डिप्लोमेसी से हल किया जाना चाहिए.

Web Title: Diplomacy of practicality is necessary for global order

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