देवेंद्र फड़नवीस का ब्लॉग: बाबूजी ने कठोर परिश्रम के साथ ‘लोकमत’ को लोकप्रिय बनाया
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: July 2, 2022 01:48 PM2022-07-02T13:48:02+5:302022-07-02T13:48:02+5:30
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में 17 वर्ष रहने के बाद भी बाबूजी ने सरकार, मंत्री पद और पत्रकारिता में घालमेल होने नहीं दिया। राष्ट्रीय विचार प्रवाह तथा सामाजिक दायित्व के निर्वहन की सीख उन्होंने बापूजी अणे से ली और उस पर अंत तक अडिग रहे।
विलक्षण दृष्टिकोण का संगम अर्थात बाबूजी यानी जवाहरलालजी दर्डा, कर्तृत्व, नेतृत्व तथा दातृत्व उनके व्यक्तित्व का स्थायी भाव था और उनके आदरपूर्वक उल्लेख के बिना महाराष्ट्र की राजनीति पूरी नहीं हो सकती।
कृषि, पत्रकारिता तथा राजनीति में समान अधिकार के साथ काम करने वाले बाबूजी अजातशत्रु थे। हिंदी से ममत्व तथा मराठी से जन्म का नाता रखनेवाले बाबूजी ने कठोर परिश्रम के साथ ‘लोकमत’ को लोकप्रिय बनाया। ‘लोकमत’ की सफलता महज व्यावसायिक नहीं, वह बाबूजी के संस्कारों तथा भूमिका की सफलता है।
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में 17 वर्ष रहने के बाद भी बाबूजी ने सरकार, मंत्री पद और पत्रकारिता में घालमेल होने नहीं दिया। राष्ट्रीय विचार प्रवाह तथा सामाजिक दायित्व के निर्वहन की सीख उन्होंने बापूजी अणे से ली और उस पर अंत तक अडिग रहे। उन्होंने इस बात का हमेशा स्मरण रखा कि ‘लोकमत’ नाम लोकमान्य तिलक ने दिया और यह उनका आशीर्वाद है।
बाबूजी की दूरदर्शिता, उनका परिश्रम तथा पत्रकारिता के प्रति उनका समर्पण मेरी आंखों के सामने उभर आता है। प्रसन्न, हंसमुख व्यक्तित्व के धनी, भेदभाव से परे, मंत्री पद मिलने पर भी सहज रहने और न मिलने पर निराश नहीं होने वाले कर्मयोगी के रूप में बाबूजी की छवि मेरी नजरों के सामने आ जाती है। उनके विचारों की अमिट छाप महाराष्ट्र विशेषत: विदर्भ के सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक तथा औद्योगिक क्षेत्र पर नजर आती है।
जब मैं पहली बार नागपुर का महापौर बना, तब उन्होंने विशेष रूप से ‘लोकमत’ के कार्यालय में बुलाकर मेरा स्वागत किया। ‘लोकमत’ के कार्यालय में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर उनका कार्यालय था और वहां बैठे प्रसन्नचित्त तथा हंसमुख बाबूजी मुझे आज भी याद हैं। उनके यही गुण विजयबाबू तथा राजेंद्रबाबू में पूरी तरह नजर आते हैं। आज इन्हीं संस्कारों की धरोहर को उनके दोनों पुत्र आगे बढ़ा रहे हैं। बाबूजी ने समाज के सभी घटकों तथा सभी विचारधारा के लोगों से व्यक्तिगत स्नेह संबंध रखे। बाबूजी में अद्भुत सौंदर्य दृष्टि थी। अनेक शहरों में स्थापित ‘लोकमत’ के कार्यालय सौंदर्य तथा उपयोगिता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
अपारंपरिक ऊर्जा तथा सौर ऊर्जा का उपयोग करने वाले ‘लोकमत’ के कार्यालय व मुद्रण स्थल आधुनिक विचारधारा के मंत्री के रूप में उनके व्यक्तित्व का उदाहरण हैं। उनके इन कार्यों का सुपरिणाम महाराष्ट्र के विकास पर हुआ। फलोत्पादन, पामतेल, रबर उद्योग, काजू उत्पादन, फल प्रसंस्करण उद्योग पर उन्होंने विशेष जोर दिया।
उद्योग मंत्री के रूप में बाबूजी ने महाराष्ट्र के औद्योगिक विकास की समग्र रूपरेखा पेश की थी। उनका मत था कि औद्योगिक विकास को तेज करने के लिए बड़े उद्योग के साथ-साथ छोटे उद्योगों को भी प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसीलिए उन्होंने एमआईडीसी में 25 प्रतिशत जगह छोटे उद्योगों के लिए आरक्षित रखी थी। यह फैसला महाराष्ट्र के तेज औद्योगिक विकास के लिए उपयोगी साबित हुआ।