ब्लॉग: लगातार प्रदूषित होती यमुना और बढ़ता जलसंकट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 11, 2021 02:41 PM2021-11-11T14:41:23+5:302021-11-11T14:45:12+5:30
यमुना की साफ-सफाई के नाम पर कई हजार करोड़ रुपये बहा दिए गए हैं, लेकिन लगता है सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए. यही कारण है कि इस नदी में प्रदूषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है बल्कि साल-दर-साल पानी और गंदा व यमुना की स्थिति खराब ही हुई है.
यमुना की दिन-ब-दिन बिगड़ती हालत एवं बढ़ते प्रदूषण पर पिछले चार दशकों से लगभग हर सरकार कोरी राजनीति कर रही है. प्रदूषण मुक्त यमुना का कोई ईमानदार प्रयास होता हुआ दिखाई नहीं दिया है.
क्या दिल्ली में कोई ऐसी जगह है जहां आपको यमुना का साफ पवित्र निर्मल जल दिखाई दे? जहां भी आप जाएंगे, हर जगह यमुना का पानी काला एवं झागभरा ही नजर आएगा.
यमुना की साफ-सफाई के नाम पर कई हजार करोड़ रुपये बहा दिए गए हैं, लेकिन लगता है सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए. यही कारण है कि इस नदी में प्रदूषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है बल्कि साल-दर-साल पानी और गंदा व यमुना की स्थिति खराब ही हुई है.
राजधानी दिल्ली की जनता केवल वायु प्रदूषण के कहर से ही नहीं जूझ रही है बल्कि अब यमुना के जहरीले पानी ने भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
लंबे समय से यमुना के पानी में अमोनिया की बढ़ी मात्रा ने चिंताएं बढ़ा दी हैं. दिल्ली में यमुना के पानी में झाग ही झाग है. पानी अत्यधिक जहरीला हो चुका है. इस कारण कई इलाकों में पीने के पानी की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है. लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है.
हालांकि यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ने और पानी के जहरीले होने की समस्या कोई आज की नहीं है. ऐसा पिछले कई सालों से देखा जा रहा है.
दिल्ली का जीवन भी कभी यमुना से जुड़ा था, कभी यह दिल्ली यमुना के कारण ही बसी थी. यह एक इतिहास सम्मत तथ्य है कि राजधानी के रूप में दिल्ली के स्थान को यमुना के आकर्षक स्वरूप और पेयजल के लिए मीठे पानी की उपलब्धता के कारण चुना गया था.
इतना ही नहीं, यमुना ने एक शहर के रूप में राजधानी के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लगभग सभी ऐतिहासिक विवरणों में दिल्ली में यमुना की सुंदरता, धार्मिक आस्था एवं शुद्ध पेयजल का उल्लेख है.
लेकिन इस जीवनदायिनी यमुना को हमने अपने लोभ, स्वार्थ, लापरवाही के कारण जहरीला बना दिया है. कारखानों से निकलने वाले तेल, केमिकल, धुआं, गैस, एसिड, कीचड़, कचरा, रंग ने सबसे अधिक इसे प्रदूषित किया है. अगर यह इसी प्रकार चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब दिल्ली की जनता को शुद्ध पानी नहीं मिलेगा. ज्यादा चिंताजनक है कि बीमारियों को पनपने में यमुना का प्रदूषण मुख्य कारण होगा.
इस गंभीर होते यमुना के प्रदूषण एवं पानी के जहरीले होने के बावजूद कोई सार्थक एवं प्रभावी उपचार होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. लंबे समय से यह समस्या बनी रहने के बावजूद इसके समाधान का रास्ता निकालने को कोई तैयार नहीं है. बल्कि यमुना के नाम पर राजनीतिक दल जमकर राजनीति करते हैं, एक-दूसरे दल एवं पड़ोसी राज्य एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पला झाड़ लेते हैं.
यमुना के प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश को इसका जिम्मेदार ठहरा रही है, तो दूसरी ओर ये राज्य इसके लिए दिल्ली सरकार की गलत नीतियों एवं उदासीनता को दोषी मानते हैं. कुल मिलाकर यमुना का यह संकट राजनीति के दुश्चक्र में उलझ कर रह गया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यमुना प्रदूषण मुक्त कैसे हो?
विडंबनापूर्ण त्रासदी है कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की औद्योगिक इकाइयों से जो अपशिष्ट और जहरीले रसायन निकलते हैं, उन्हें यमुना में छोड़ दिया जाता है.
वैसे यह समस्या देश की तमाम छोटी-बड़ी नदियों के साथ है. नदियों के प्रति हमारा यह उपेक्षापूर्ण रवैया हमारी जीवनरक्षक नदियों को जहरीला बनाता जा रहा है. ये नदियां जिन शहरी इलाकों खासतौर से औद्योगिक शहरों से गुजरती हैं, वहां का अपशिष्ट इनमें बहा दिया जाता है. इसलिए आज ज्यादातर नदियां खतरनाक स्तर तक प्रदूषित हो चुकी हैं.
दिल्ली की समस्या इसलिए ज्यादा गंभीर एवं घातक होती जा रही है कि एक यमुना ही तो है जो दिल्ली के लिए शुद्ध जल आपूर्ति का साधन है. दिल्ली में साफ पानी के स्रोत काफी कम हैं, ऐसे में यमुना नदी पर निर्भरता जरूरत से ज्यादा रहती है. लेकिन यमुना नदी का पानी समय के साथ न सिर्फ और ज्यादा विषैला होता जा रहा है, बल्कि कई बीमारियों का कारण बन रहा है.