निरंकार सिंह का ब्लॉग: क्यों आ रहे हैं दुनिया में बड़े-बड़े तूफान?
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 18, 2018 01:30 PM2018-10-18T13:30:25+5:302018-10-18T13:30:25+5:30
फिलहाल सरकार ने तितली तूफान से निपटने की तैयारियां पहले ही कर ली थीं इसलिए जन-धन की क्षति अधिक नहीं हुई।
निरंकार सिंह
चक्रवाती तूफान ‘तितली’ से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के प्रभावित होने के बाद इसका असर पश्चिम बंगाल तक हुआ है। पिछले साल आंध्र, ओडिशा और गुजरात के तटवर्ती क्षेत्रों में हुदहुद तथा नीलोफर तूफान ने कहर मचाया था।
नीलोफर तूफान का असर गुजरात के साथ ही राजस्थान, गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी पड़ा था। इससे गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ था।
फिलहाल सरकार ने तितली तूफान से निपटने की तैयारियां पहले ही कर ली थीं इसलिए जन-धन की क्षति अधिक नहीं हुई। लेकिन लोगों के मन में यही सवाल उठ रहा है कि पहले तो नहीं आते थे ऐसे तूफान। अब कभी नीलम तो कभी पायलिन, कभी हेलन तो कभी फेलिन, कभी हुदहुद तो कभी नीलोफर और तितली। ये फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इसके लिए बदलता मौसम जिम्मेदार है। लेकिन मौसम इतने खतरनाक रूप में क्यों बदल रहे हैं।
प्रशांत महासागर में पैदा हो रहे तापमान में बदलाव को मौसम वैज्ञानिकों ने ‘ला नीना’ का नाम दिया था। पायलिन सहित नारी और हैयान जैसे दूसरे तूफान भी प्रशांत महासागर के तापमान में उछाल की वजह से ही उठे थे।
अंडमान में नम मौसम की वजह से इन तूफानों में काफी तेजी पैदा हुई। बंगाल की खाड़ी में नम और गरम मौसम की वजह से तूफान चक्रवात का रूप धारण कर रहा है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रशांत महासागर में तापमान में हो रहे बदलाव की वजह से भी इस तरह के तूफानों में तेजी आ रही है। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक एल।एस। राठौर के अनुसार प्रशांत महासागर में तापमान में काफी बदलाव देखा जा रहा है। ऐसा पहले नहीं था।
अमूमन जब भी प्रशांत महासागर के तापमान में बदलाव दर्ज होता था तो उससे तेज हवाएं उत्पन्न होती रही हैं। अब ये बदलाव काफी जल्दी-जल्दी देखे जा रहे हैं। भारत के पूर्वी तट और बांग्लादेश में बार-बार तूफान आते क्यों हैं?
इस बारे में नेशनल साइक्लोन रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट का कहना है कि उत्तरी हिंद महासागर से आने वाले तूफान दुनिया में आने वाले कुल तूफानों का सिर्फ सात फीसदी ही होते हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों पर इन तूफानों का असर सबसे ज्यादा गंभीर होता है। चक्रवात की इस गंभीर समस्या के लिए तूफान के वक्त उठने वाली ऊंची लहरों को जिम्मेदार माना जाता है।
(निरंकार सिंह आपदा संबंधित विषयों के जानकार हैं और स्तंभकार है)