उम्र का तमाशा, तकाजा कुछ और है...,2 बयान और दोनों ने ही पैदा की भारी हलचल
By विजय दर्डा | Updated: July 14, 2025 05:21 IST2025-07-14T05:21:39+5:302025-07-14T05:21:39+5:30
खासकर मोहन भागवत जी के बयान को तत्काल राजनीतिक रंग भी मिल गया है. अब चलिए, पहले इस बात पर गौर करते हैं कि दोनों ने कहा क्या है...?

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क्या गजब का संयोग है कि इस महीने के पहले और दूसरे सप्ताह में उम्र को लेकर दो बयान आए और दोनों ने ही भारी हलचल पैदा कर दी! एक बयान तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने दिया तो दूसरा बयान कहानी के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ने सुनाया. इन दोनों ही हस्तियों का पद और व्यक्तित्व इतना बड़ा है कि उनके मुंह से निकली बात का महत्व होता है. इसलिए हलचल स्वाभाविक ही है. खासकर मोहन भागवत जी के बयान को तत्काल राजनीतिक रंग भी मिल गया है. अब चलिए, पहले इस बात पर गौर करते हैं कि दोनों ने कहा क्या है...?
6 जुलाई को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का 90 वां जन्मदिन था. बात उनके उत्तराधिकारी की चलने लगी है. मगर दलाई लामा ने उम्र के सवाल को फिलहाल विराम दे दिया है. उन्होंने कहा कि अवलोकितेश्वर ने उन्हें ऐसे संकेत दिए हैं कि वे 30 से 40 साल और सेवा करते रहेंगे. अवलोकितेश्वर करुणा के बौद्ध देवता हैं और उन्हें तिब्बत में चेनरेजिग तथा चीन में गुयानयिन कहा जाता है.
दलाई लामा के अनुयायी खुश हैं लेकिन स्वाभाविक तौर पर चीन खुश नहीं है. 14 वें दलाई लामा उसे फूटी आंख नहीं सुहाते. उनकी लंबी उम्र उसे परेशान कर रही है. उम्र को लेकर दूसरा वाकया बड़ा दिलचस्प है. आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी मोरोपंत पिंगले पर लिखी गई एक ताजातरीन किताब का विमोचन समारोह था.
समारोह में मोहन भागवत जी ने एक किस्सा सुनाया... ‘जब मोरोपंत पिंगले 75 साल के हुए तो वृंदावन में एक बैठक के दौरान उन्हें सम्मानित किया गया. पिंगले ने कहा कि आपने मुझे 75 की उम्र में शॉल पहनाकर सम्मानित किया है. मैं जानता हूं इसका मतलब क्या होता है- अब आपका समय पूरा हुआ, अब आप हट जाइए और बाकी लोग काम करें.’
विरोधियों ने इस कहानी को लपक लिया और भागवत जी के इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र से जोड़ दिया. मोदी जी 17 सितंबर 2025 को 75 साल के हो रहे हैं. दिलचस्प बात यह भी है कि 75 साल की उम्र की कहानी सुनाने वाले भागवत जी 11 सितंबर को 75 साल के हो रहे हैं.
राजनीति चीज ही ऐसी है कि जिन्हें किसी विषय की जानकारी नहीं भी हो तो भी वे विश्लेषण करने लग जाते हैं कि बयान के मायने ये हैं और वो हैं! मगर मैं सोचता हूं कि भागवत जी ने प्रसंगवश ही मोरोपंत जी की कहानी सुनाई होगी. मोदी जी की उम्र से इसका कोई लेना-देना नहीं होगा क्योंकि न केवल वे बल्कि खुद भागवत जी भी बेहद सक्रिय हैं और इतने सक्रिय हैं कि युवा भी शायद ही उनके जैसी सक्रियता दिखा पाएं. और मोदी जी तो कह भी चुके हैं कि वे तो फकीर हैं, झोला उठाएंगे और चले जाएंगे!
किसी का एक बड़ा मशहूर शेर है...‘उम्र का बढ़ना तो दस्तूर ए जहां है/महसूस ना करें तो बढ़ती कहां है?’ और वक्त के साथ बहुत कुछ बदला भी है. भारतीयों के उम्र की औसत लंबाई पिछले 75 वर्षों में दोगुना से भी ज्यादा हो गई है. जब हम आजाद हुए थे तब, यानी 1947 में भारतीयों की औसत उम्र 32 साल हुआ करती थी.
कुछ लोगें की उम्र लंबी हुआ करती थी लेकिन ज्यादातर लोग कम उम्र में इस दुनिया से फना हो जाते थे क्योंकि तब गरीबी थी, भुखमरी का आलम था, स्वास्थ्य के नाम पर कुछ था ही नहीं! इसलिए औसत उम्र 32 मानी जाती थी. मगर आज भारतीयों की औसत उम्र करीब 72 साल हो चुकी है. हालांकि आज भी ऐसे लोग हैं जिन्हें भरपेट भोजन तक नसीब नहीं होता लेकिन अभी मैं उस विषय की चर्चा नहीं कर रहा हूं.
मैं आबादी के ऐसे हिस्से की बात कर रहा हूं जिसके जीवन स्तर में बहुत बदलाव आया है, जिसके पास बेहतर भोजन, फल, ड्राई फ्रूट्स और स्वास्थ्य के अन्य साधन मौजूद हैं. मैं उनकी बात भी नहीं कर रहा जिन्हें चलने के लिए भी सहारा चाहिए. मैं उनकी बात कर रहा हूं जो भले ही 75 या 80 साल के हो गए हैं मगर बेहद स्वस्थ और सक्रिय हैं.
शरद पवार इसके उदाहरण हैं. वे 84 पार हो चुके हैं लेकिन किसी युवक की तरह सक्रिय हैं और आम आदमी से जुड़े हुए हैं. राम जेठमलानी 90 के बाद भी कोर्ट में बहस कर रहे थे. मृत्यु से पूर्व 92 साल की उम्र में भी डॉ. मनमोहन सिंह सक्रिय थे. ईएमएस नंबूदरीपाद (88) , करुणानिधि (84) जे.आर.डी. टाटा (89), घनश्याम दास बिड़ला (89), रतन टाटा (86), नानी पालकीवाला (82) और सोली सोराबजी (91) को भी हम इसी श्रेणी में रख सकते हैं. ज्योति बसु 85 साल की उम्र तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे.
हालांकि बाद में वामपंथी नेता सुरजीत ने कहा कि उन्हें कोई पद नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि उम्र ज्यादा हो गई है. मगर मेरा मानना है कि उम्र का लंबा पड़ाव वास्तव में अनुभव का खजाना होता है. आप अमिताभ बच्चन का उदाहरण ले सकते हैं. कितना शानदार काम कर रहे हैं वे! वहीदा रहमान आज भी देश-विदेश के जंगलों में फोटोग्राफी करती हैं.
हेमा मालिनी आज भी दुर्गा नृत्य नाटिका के प्रयोग करती हैं. सोनिया गांधी जी, खड़गे जी आज भी कांग्रेस की कमान संभाले हुए हैं. डॉ. फारुख उदवाडिया (93) और डॉ. भीम सिंघल (92) आज भी पूरी तरह से सक्रिय हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में रिटायरमेंट नाम की कोई चीज है ही नहीं.
न्यायाधीशों की नियुक्ति 9 साल के लिए होती है और वे फिर से चुने जा सकते हैं, उम्र चाहे जो भी हो! हां, यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नई पीढ़ी को भी मौका मिलना चाहिए! इसीलिए मैं हमेशा कहता हूं कि उम्र के साथ मिले अनुभव की समृद्धता के साथ युवा पीढ़ी की नई ऊर्जा ही सफलता की कुंजी है.
उम्र को लेकर दो पंक्तियां मेरे जेहन में आ रही हैं...
उम्र का तू तमाशा न दिखा
तकाजा तो कुछ और है.
शान-ए-आइना है उम्र
मेरी काबिलियत भी देख
अनुभव मेरी खुद्दारी है.