भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः कोरोना संकट का आर्थिक मूल्य चुकाने के अलग-अलग रास्ते
By भरत झुनझुनवाला | Published: June 2, 2020 01:21 PM2020-06-02T13:21:38+5:302020-06-02T13:21:38+5:30
कोविड-19 का मूल्य अदा करने का दूसरा रास्ता चीन द्वारा अपनाया गया है. यह है कांटैक्ट ट्रेसिंग का. इस व्यवस्था में हर व्यक्ति जो सड़क पर आता है उसके लिए अनिवार्य होता है कि उसके पास स्मार्टफोन हो. वह किसी भी संस्था- जैसे विद्यालय या दुकान में प्रवेश करता है तो उसे केन्द्रीय कम्प्यूटर से अपने एप्प के माध्यम से स्वीकृति लेनी पड़ती है.
कोविड-19 संकट का आर्थिक मूल्य हर देश को अदा करना पड़ रहा है लेकिन इसे अदा करने के तीन अलग-अलग रास्ते हैं. पहला रास्ता ब्राजील का है. उस देश ने निर्णय लिया कि वह कोरोना का सामना करने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगा. जितना संक्रमण होता है उसे होने देगा; जिन लोगों की मृत्यु होती है उन्हें मरने देगा; उस देश को आशा है कि जो लोग संक्र मण से बच जाएंगे उनमें कोविड-19 का सामना करने की इम्युनिटी विकसित हो जाएगी और अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी.
इस रास्ते को अपनाकर ब्राजील ने भारी मूल्य अदा किया है. ब्राजील में हर 10 लाख जनसंख्या पर 116 लोगों की मृत्यु हुई है जबकि भारत एवं चीन में केवल 3 लोगों की. भारी संख्या में लोगों की मृत्यु का भी आर्थिक मूल्य होता है. जैसे किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि एक वर्ष अतिरिक्त जीवन जीने के लिए वह कितनी रकम अदा करने को तैयार है, तो उसके जीवन के एक वर्ष के मूल्य का आकलन हो जाता है.
जैसे यदि किसी व्यक्ति की वर्तमान आयु 50 वर्ष है और देश के नागरिकों की औसत आयु 75 वर्ष है तो माना जा सकता है कि उसे 25 वर्ष और जीना है. यदि उसके द्वारा एक वर्ष अतिरिक्त जीने का 2 लाख रुपया मूल्य बताया गया तो शेष जीवन का आर्थिक मूल्य 25 गुणा 2 यानी 50 लाख रुपए हुआ. यदि उसकी आज मृत्यु हो गई तो मृत्यु की आर्थिक कीमत को 50 लाख रुपया माना जा सकता है. मेरे आकलन में इस प्रकार ब्राजील अपनी वार्षिक आय का लगभग 6 प्रतिशत मूल्य वर्तमान में ही अदा कर चुका है और यह अभी बढ़ ही रहा है.
कोविड-19 का मूल्य अदा करने का दूसरा रास्ता चीन द्वारा अपनाया गया है. यह है कांटैक्ट ट्रेसिंग का. इस व्यवस्था में हर व्यक्ति जो सड़क पर आता है उसके लिए अनिवार्य होता है कि उसके पास स्मार्टफोन हो. वह किसी भी संस्था- जैसे विद्यालय या दुकान में प्रवेश करता है तो उसे केन्द्रीय कम्प्यूटर से अपने एप्प के माध्यम से स्वीकृति लेनी पड़ती है. वहां पर उसका तापमान देखा जाता है. इस प्रकार केन्द्रीय कम्प्यूटर को ज्ञात हो जाता है कि वह नागरिक किस समय कहां पर था. यदि तापमान देखने पर संकेत मिले कि उस व्यक्ति को कोरोना संक्र मण हुआ हो सकता है तो कम्प्यूटर द्वारा चिह्नित कर लिया जाता है कि वह किन लोगों के संपर्क में आया होगा और उन सभी को तत्काल क्वारंटाइन किया जा सकता है.
इस व्यवस्था को कारगर रूप में लागू करने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति किसी भी संस्थान में प्रवेश करते समय स्वीकृति ले और इसमें तनिक भी गफलत न करे. और इसके बाद सरकारी व्यवस्था इतनी चुस्त हो जो उस व्यक्ति के संपर्क में आए हुए सभी लोगों को तत्काल संपर्क कर क्वारंटाइन कर सके. इस व्यवस्था को सख्ती से लागू कर चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को पुन: चालू कर लिया है. इस व्यवस्था का आर्थिक मूल्य न्यून है. लेकिन इसे लागू करने में प्रशासनिक कुशलता चाहिए. कम्प्यूटर, स्मार्टफोन आदि का खर्च तो लगता ही है, साथ-साथ इसमें सरकारी दखल का भी संकट है.
सरकार को पता लग जाता है कि देश का हर नागरिक किन लोगों से मिला है और उस सूचना का अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को दबाने के लिए उपयोग किया जा सकता है. अर्थव्यवस्था को खोलने से लोगों का आपसी संपर्क बढ़ेगा और कोविड-19 का संक्रमण भी बढ़ेगा. लेकिन यदि हम संक्रमित लोगों को चिह्नित करके क्वारंटाइन न कर सके तो परिस्थिति बेकाबू हो जाएगी.
तीसरा रास्ता फिजिकल डिस्टेंसिंग का है, जिसे न्यूजीलैंड और अपने देश में केरल ने सफलतापूर्वक लागू किया है. अपने देश में जिन राज्यों ने फिजिकल डिस्टेंसिंग को सही ढंग से लागू किया वहां संक्रमण नियंत्रित हो गया और जिन राज्यों ने नहीं लागू किया वहां संक्रमण बढ़ रहा है. अर्थात यह मध्यम व्यवस्था है लेकिन हमारे लिए यह एकमात्र विकल्प दिखता है. फिजिकल डिस्टेंसिंग को लागू करने का पहला उपाय यह है कि अपने देश में जितने भी औद्योगिक संस्थान, विद्यालय और प्रापर्टी कंस्ट्रक्शन साइटें हैं उन सभी को खोल दिया जाए लेकिन शर्त यह लगाई जाए कि जितने भी कर्मी या छात्र हैं उनको उस संस्थान की चहारदीवारी में ही रखा जाए. उनके रहने और भोजन की व्यवस्था भी वहीं की जाए.
ऐसा करने से अर्थव्यवस्था को हम तुरंत चालू कर सकते हैं. यदि किसी स्थान पर संक्रमण पाया गया तो उस स्थान पर जितने कर्मी हैं उन्हें क्वारंटाइन किया जा सकता है तथा शेष अर्थव्यवस्था चलती रह सकती है. इस व्यवस्था को लागू करने में हमको स्वास्थ्य निरीक्षकों को नियुक्त करना होगा जो सुनिश्चित करें कि हर संस्थान के लोग अपनी चहारदीवारी के अंदर रह रहे हैं. ऐसा करने से हम फिजिकल डिस्टेंसिंग को प्रभावी बना सकेंगे और संकट से निकलने में मदद मिलेगी.