Coronavirus पर प्रकाश बियाणी का ब्लॉग, जीवन बचाएं या आजीविका

By Prakash Biyani | Published: April 14, 2020 05:11 PM2020-04-14T17:11:57+5:302020-04-14T17:13:12+5:30

स्वीडन की विदेश मंत्नी ऐने लिंडे कहती हैं कि लोग अपनी जिम्मेदारी खुद लें. ज्यादा से ज्यादा लोगों में वायरस फैलता है तो लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वायरस कमजोर पड़ता है.

Coronavirus Save lives or livelihoods, Prakash Biyani's blog | Coronavirus पर प्रकाश बियाणी का ब्लॉग, जीवन बचाएं या आजीविका

सीमा पर तैनात फौजी की तरह हमारे देश के चिकित्सकों और सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया.

Highlightsअमेरिकन पूंजीपतियों के अनुसार सुनामी और बर्फबारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से हर साल लाखों लोग मरते हैं.इस साल कोरोना से मर रहे हैं. अमेरिकन्स के लिए जीवन से ज्यादा जरूरी है आजीविका.

दुनिया में कोरोना से जितने लोग मरे हैं उनमें से तीन चौथाई मौतें यूरोप में हुई हैं, इन देशों की पूंजीवादी सरकारें अपने नागरिकों से उम्मीद करती हैं कि वे कोरोना के साथ जीना सीखें.

स्वीडन की विदेश मंत्नी ऐने लिंडे कहती हैं कि लोग अपनी जिम्मेदारी खुद लें. ज्यादा से ज्यादा लोगों में वायरस फैलता है तो लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वायरस कमजोर पड़ता है. इसी तरह अमेरिकन पूंजीपतियों के अनुसार सुनामी और बर्फबारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से हर साल लाखों लोग मरते हैं.

इस साल कोरोना से मर रहे हैं. अमेरिकन्स के लिए जीवन से ज्यादा जरूरी है आजीविका. वे इस बात से चिंतित हैं कि कोरोना महामारी के बाद 1.5 करोड़ लोगों ने बेरोजगारी पैकेज से सहायता के आवेदन किए हैं. यही कारण है कि अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लॉकडाउन के पक्षधर नहीं हैं और बिना हिचक कहते हैं कि अमेरिका में कोरोना महामारी से 2 से 2.5 लाख लोग मरेंगे.

हमारे यहां लोकतंत्न है और हम मानवतावादी हैं. यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा करते हुए कहा था- ‘जान है तो जहान है.’ देश में संपूर्ण लॉकडाउन हुआ तो सारी आर्थिक गतिविधियां थम गईं. देश की आधी से ज्यादा आबादी की दैनिक कमाई के स्रोत बंद हो गए.

याद करें करोड़ों दिहाड़ी मजदूर बच्चों को कंधे पर और सामान की पोटली सिर पर रखकर हजारों किमी की पैदल यात्ना पर निकल पड़े पर उन्होंने न कानून तोड़ा और न दंगे किए. इसी तरह अपर्याप्त संसाधनों के बीच सीमा पर तैनात फौजी की तरह हमारे देश के चिकित्सकों और सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया.

सीमित संसाधनों में जीने के हमारे स्वभाव का सुफल मिला और दुनिया भारत के कोरोना महामारी मैनेजमेंट को सराह रही है. और अब कोरोना महामारी से उबरने के संकेत मिले तो प्रधानमंत्नी ने भी ‘जान है तो जहान है’ वाले संदेश को बदल दिया है- ‘जान भी और जहान भी’. इसका आशय है अब सरकार की प्राथमिकता लोगों की जान बचाने के साथ उनकी आजीविका भी है.

Web Title: Coronavirus Save lives or livelihoods, Prakash Biyani's blog

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