जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने की सरकार की कोशिश
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: June 3, 2020 08:40 AM2020-06-03T08:40:37+5:302020-06-03T08:40:37+5:30
इस समय देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कोविड-19 की चुनौतियों के बीच कुछ सुकून भरे परिदृश्य की तीन बातें उभरकर दिखाई दे रही हैं. एक, बंपर पैदावार के बाद रबी की फसलों के लिए किसानों को लाभप्रद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलता हुआ दिखाई दे रहा है.
हाल ही में एक जून को सरकार ने अनेक खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 2 से 7.5 फीसदी के दायरे में बढ़ोत्तरी की घोषणा की है. खासतौर से खरीफ की मुख्य फसल धान के लिए 2.89 से 2.92 फीसदी, दलहनों के लिए 2.07 से 5.26 फीसदी तथा बाजरे के लिए 7.5 फीसदी एमएसपी में बढ़ोत्तरी की गई है. नई एमएसपी बढ़ोत्तरी में मोदी सरकार की किसानों को फसल लागत से 50 फीसदी अधिक दाम देने की नीति का पालन किया गया है. नई कीमतें उत्पादन लागत से 50 से 83 फीसदी अधिक होंगी. साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड से किसानों को चार फीसदी ब्याज पर तीन लाख रु. तक का कर्ज दिया जाना भी सुनिश्चित किया गया है.
ऐसे में देश और दुनिया के अर्थ विशेषज्ञ यह टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि हाल ही में भारत में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दिए गए आर्थिक पैकेज से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी जा सकती है और देश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए यह जरूरी होगा कि कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए घोषित किए गए उपायों को शीघ्रतापूर्वक कारगर तरीके से लागू किया जाए, कृषि पदार्थो के लॉजिस्टिक्स को मजबूत किया जाए और कृषि पदार्थो के वायदा व्यापार जैसी व्यवस्थाओं की उपयोगिता को भी समझा जाए.
इस समय देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कोविड-19 की चुनौतियों के बीच कुछ सुकून भरे परिदृश्य की तीन बातें उभरकर दिखाई दे रही हैं. एक, बंपर पैदावार के बाद रबी की फसलों के लिए किसानों को लाभप्रद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. दो, ग्रामीण भारत के अधिकांश क्षेत्न को शीघ्रतापूर्वक लॉकडाउन से बाहर लाए जाने के कारण उर्वरक, बीज, कृषि रसायन जैसी कृषि क्षेत्न से जुड़ी हुई वस्तुओं की मांग में वृद्धि हो गई हैं. तीन, सरकार के द्वारा किसानों और गरीबों के जनधन खातों में नकद रु पया डालने जैसे प्रयासों से ग्रामीण परिवारों की आय तथा उपभोग मांग बढ़ गई है. ऐसे में इन सबके कारण इस समय ग्रामीण भारत देश की अर्थव्यवस्था की गाड़ी को खींचता हुआ दिखाई दे रहा है.
इन दिनों ‘कोविड-19 और भारतीय अर्थव्यवस्था’ विषय पर प्रकाशित हो रही वैश्विक अध्ययन रिपोर्टो में दो बातें प्रमुख रूप से उभरकर सामने आ रही हैं. एक, भारत की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कारण भारत में मुश्किलें कम हैं और दो, आत्मनिर्भर भारत अभियान से भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता की बुनियाद बन सकती है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि यद्यपि कोरोना वायरस की चुनौतियों के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर में तेज गिरावट आएगी, लेकिन प्रचुर खाद्यान्न भंडार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश का सहारा दिखाई देगी. एशियन डेवलपमेंट बैंक ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के पास कृषि और खाद्यान्न ऐसे मजबूत आर्थिक बुनियादी घटक हैं जिनकी ताकत से भारत अगले वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि करते हुए दिखाई दे सकेगा.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रु पए से करीब एक लाख करोड़ रुपए ज्यादा यानी 20 लाख 97 हजार 53 करोड़ रु पए का जो आर्थिक पैकेज प्रस्तुत किया है, उसमें खेती-किसानी को बेहतर बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भरता की बुनियाद बनाने का प्रमुख लक्ष्य उभरकर दिखाई दे रहा है. नए आर्थिक पैकेज में सरकार ने खेती-किसानी पर जोर देकर किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने की कवायद की है. निस्संदेह शीत भंडार गृहों और यार्ड जैसे बुनियादी ढांचे के लिए 1 लाख करोड़ रु पए का कोष अत्यधिक महत्वपूर्ण कदम है. निश्चित रूप से पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड से भारत की मौजूदा डेयरी क्षमता तेजी से बढ़ेगी. साथ ही इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में 30 लाख लोगों के लिए रोजगार का सृजन होगा. इतना ही नहीं किसानों को कृषि उत्पाद मंडी समिति के माध्यम से उत्पादों को बेचने की अनिवार्यता खत्म होने और कृषि उपज के बाधा रहित कारोबार से बेहतर दाम पाने का मौका मिलेगा.
हम उम्मीद करें कि कोविड-19 के संकट से देश को उबारने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जो आर्थिक पैकेज दिया गया है, उसके कारगर क्रि यान्वयन से देश के किसानों और ग्रामीण भारत की मुट्ठियों में लक्षित लाभ पहुंचेंगे. ऐसा होने पर कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी तथा देश आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ेगा.