चंद्रयान, सूर्ययान, अब गगनयान... आकाश करीब लाता इसरो
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: October 23, 2023 10:16 AM2023-10-23T10:16:28+5:302023-10-23T10:24:39+5:30
विभिन्न बाधाओं और चुनौतियों से पार पाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन की पहली परीक्षण उड़ान भर कर इतिहास रच दिया है।
विभिन्न बाधाओं और चुनौतियों से पार पाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन की पहली परीक्षण उड़ान भर कर इतिहास रच दिया है। शनिवार की सुबह कुछ तकनीकी गड़बड़ के कारण प्रक्षेपण का समय थोड़ा आगे बढ़ा कर सुबह 10 बजे किया गया, लेकिन उसके बाद श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान के ‘क्रू मॉड्यूल’ को छोड़ने में सफलता मिल गई। इसे ‘टेस्ट वेहिकल अबॉर्ट मिशन-1’ और ‘टेस्ट वेहिकल डेवलपमेंट फ्लाइट’ भी कहा जा रहा है।
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाया गया ‘क्रू मॉड्यूल’ करीब साढ़े सोलह किलोमीटर ऊपर गया और फिर बंगाल की खाड़ी में लौटा। वहां पर नौसेना ने उसे बरामद कर संपूर्ण योजना को सफल सिद्ध कर दिया।
दरअसल इसरो की महत्वाकांक्षी योजना ‘गगनयान मिशन’ का लक्ष्य 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मनुष्यों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है।
‘क्रू मॉड्यूल’ के अंदर भारतीय अंतरिक्ष यात्री यानी ‘गगननॉट्स’ बैठकर धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएंगे। इस परीक्षण उड़ान की सफलता के बाद ‘गगनयान मिशन’ के आगे की रूपरेखा बनेगी। इसके बाद अगले साल एक और टेस्ट फ्लाइट होगी, जिसमें ‘ह्यूमेनॉयड रोबोट- व्योममित्र’ को भेजा जाएगा।
स्पष्ट है कि चंद्रमा, सूर्य के बाद अब मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने के प्रयास जोरों पर चल रहे हैं. भारत ने दूसरे देश के रॉकेट में बैठा कर राकेश शर्मा के रूप में पहला अंतरिक्ष यात्री भेजा था, जिस घटना को करीब चार दशक पूरे हो चुके हैं। अब भारत की इच्छा स्वदेशी यान से अपने अंतरिक्ष यात्री को भेजने की है।
हाल के वर्षों के चंद्रमा, सूर्य के अंतरिक्ष अभियानों से पहले भी उपग्रहों को छोड़ने में इसरो ने अच्छी खासी सफलता दर्ज की है, जिसकी दुनिया कायल हुई है और अनेक देशों ने भारत से अपने उपग्रह प्रक्षेपित करवाए, जिनसे दुनिया की नजर में भारत की क्षमता प्रमाणित भी हुई।
इन प्रयासों से भारत के एक विकसित देश बनने के सपने को ठोस आधार भी मिलता जा रहा है. वहीं अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर बनने की कोशिशों को भी एक के बाद एक कामयाबी मिलती जा रही है। अब अंतरिक्ष में भारतीय यात्री को भेजने की तैयारी के क्रम में करीब बीस परीक्षण और होंगे, जिनके बाद कोई इंसान भेजा जाएगा।
निश्चित ही यह मिशन मजबूत आत्मविश्वास के साथ सफलतापूर्वक पूरा होगा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत दुनिया के सफल देशों की श्रेणी में खड़ा होगा। भारतीय वैज्ञानिक नई सफलता के लिए बधाई के पात्र हैं और उनके साथ समूचे देशवासियों की शुभकामनाएं हैं।