रक्तदान : भ्रांतियां मिटाने की जरूरत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 14, 2019 12:55 PM2019-06-14T12:55:21+5:302019-06-14T12:55:21+5:30

ऑक्सीजन और रक्त ये दो ऐसी चीजें हैं जिनके बिना हमारा जीवन एक सेकेंड भी नहीं चल सकता

Blood Donation: Need to Eradicate Misconceptions | रक्तदान : भ्रांतियां मिटाने की जरूरत

रक्तदान : भ्रांतियां मिटाने की जरूरत

(नवीन जैन)
 ऑक्सीजन और रक्त ये दो ऐसी चीजें हैं जिनके बिना हमारा जीवन एक सेकेंड भी नहीं चल सकता. खास बात यह है कि इन दोनों ही चीजों को किसी प्रयोगशाला या अन्य जगह कृत्रिम रूप से नहीं बनाया जा सकता. इसलिए रक्तदान हेतु लोगों को अधिकाधिक जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है. 1930 में नोबल पुरस्कार से नवाजे गए कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन पर विश्व रक्तदान दिवस मनाते हैं. कार्ल लैंडस्टीनर ने ही पता लगाया था कि एक व्यक्ति का खून बिना जांच के दूसरे व्यक्ति को नहीं चढ़ाया जा सकता क्योंकि ब्लड ग्रुप अलग-अलग होता है. इसी महान खोज के कारण उन्हें ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन का पितामह भी कहा जाता है.


हमारे देश में हर साल करीब 120 लाख यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है लेकिन 90 लाख यूनिट ब्लड ही उपलब्ध हो पाता है. अर्थात देश 30 लाख यूनिट ब्लड की कमी से जूझ रहा है.  रक्त चार प्रकार के तत्वों से निर्मित होता है. ये हैं रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा. जब कोई व्यक्ति रक्तदान करता है तो दो से तीन दिनों के भीतर उसके शरीर में प्लाज्मा का दोबारा निर्माण हो जाता है. जबकि रेड ब्लड सेल्स को बनने में एक से दो महीने लग सकते हैं. इस तरह कोई भी व्यक्ति तीन महीने बाद दूसरा रक्तदान कर सकता है.  


रक्तदान के फायदे मरीज के साथ-साथ रक्तदाता को भी होते हैं. एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित रक्तदान करने से कैंसर तथा दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है. इसके अलावा डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है. रक्तदान करने से बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है. इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है. रक्तदान करना एक सुरक्षित एवं स्वस्थ परंपरा है.  


रक्तदान के लिए भारत में कई सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाएं सक्रिय हैं. ये रक्तदान शिविर का आयोजन करने के अलावा लोगों को रक्त देने के लिए जागरूक भी करती हैं. इसके बावजूद भारत में खून देने वालों की कमी रही है. यही कारण है कि 

Web Title: Blood Donation: Need to Eradicate Misconceptions

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