निरंकार सिंह को ब्लॉग: दिनोंदिन ज्यादा कहर ढा रहा वायु प्रदूषण

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 15, 2019 09:10 PM2019-03-15T21:10:17+5:302019-03-15T21:10:17+5:30

जर्मनी में यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मैन्ज के प्रोफेसर थॉमस मुंजेल के अनुसार अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया कि वायु प्रदूषण से एक साल में धूम्रपान के मुकाबले ज्यादा मौतें हुईं.

Blog to Nirankar Singh: Air Pollution increases day by day in country | निरंकार सिंह को ब्लॉग: दिनोंदिन ज्यादा कहर ढा रहा वायु प्रदूषण

निरंकार सिंह को ब्लॉग: दिनोंदिन ज्यादा कहर ढा रहा वायु प्रदूषण

दुनिया की दो-तिहाई से अधिक आबादी प्रदूषित आबोहवा में सांस ले रही है. इससे लगभग 88 लाख लोगों की हर साल समय से पहले ही मौत हो जाती है. वायु प्रदूषण सिर्फ मनुष्यों को ही नहीं बल्कि वनस्पतियों, जीव-जंतुओं, जलवायु, मौसम, इमारतों और यहां तक कि वायुमंडल की ओजोन परत को भी क्षति पहुंचाता है. इससे मनुष्यों में दमा, गले का दर्द, फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, जुकाम, खांसी एवं आंखों में जलन आदि जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं. एक ताजे अध्ययन के अनुसार 40 से 80 प्रतिशत मौतें दिल का दौरा, स्ट्रोक और दिल की अन्य बीमारियों से हुई हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार वाहनों, उद्योगों और खेतीबाड़ी के प्रदूषकों के जहरीले मिश्रण ने लोगों की जिंदगी 2़ 2 साल तक कम कर दी है. 

जर्मनी में यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मैन्ज के प्रोफेसर थॉमस मुंजेल के अनुसार अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया कि वायु प्रदूषण से एक साल में धूम्रपान के मुकाबले ज्यादा मौतें हुईं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक इस साल 2015 के मुकाबले 72 लाख मौतें अधिक हुईं.  छोटे और बड़े धूल कणों, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन के मिश्रण से वायु प्रदूषण बढ़ा है. यूरोपियन हार्ट पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में यूरोप पर ध्यान केंद्रित किया गया लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए भी सांख्यिकीय प्रणालियों को अपडेट किया गया.            

औद्योगिक विकास के साथ-साथ पराली, कूड़ा जलाने और पटाखों से भी प्रदूषण की समस्या गंभीर बनी हुई है. आज हमारे पास सांस लेने के लिए न शुद्घ हवा है और न तो पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध है. अमेरिका के इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट में किए गए एक अध्ययन के अनुसार पराली से होने वाले प्रदूषण की वजह से भारत को 30 बिलियन यूएस डॉलर (21 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हर साल हो रहा है. इसके अलावा इसकी वजह से बच्चों में फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है. इसी हफ्ते में जारी किए गए इस अध्ययन में दावा किया गया है कि पराली जलाने और इससे होने वाले प्रदूषण प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोग, खासतौर पर पांच साल से छोटे बच्चों में इसकी वजह से एक्यूट रेस्पिरेट्री इंफेक्शन (एआरआई) का खतरा ज्यादा है. 

यह अध्ययन इसलिए भी खास है क्योंकि उत्तर भारत में पराली से अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य के नुकसान को लेकर पहली बार बड़े नुकसान का आकलन सामने आया है. शोधकर्ताओं का दावा है कि पराली से होने वाले प्रदूषण की वजह से करीब 21 हजार करोड़ रु. के नुकसान की चपेट में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली हैं. देश में पिछले साल 12 लाख से अधिक लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हुई. हर आठ में से एक व्यक्ति की मौत इस जहर से हो रही है. वायु प्रदूषण कम होता, तो लोगों की जीवन प्रत्याशा 1.7 साल ज्यादा होती.

Web Title: Blog to Nirankar Singh: Air Pollution increases day by day in country

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