भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: बाढ़ के बुनियादी कारणों पर करना होगा विचार
By भरत झुनझुनवाला | Published: September 8, 2020 12:03 PM2020-09-08T12:03:49+5:302020-09-08T12:03:49+5:30
समुद्र की भी नैसर्गिक भूख होती है. वह गाद खाने को लालायित रहता है. गंगा द्वारा गाद को पर्याप्त मात्रा में न लाने से समुद्र ने सुंदरबन को काटना शुरू कर दिया है.
बिहार में प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी बाढ़ का कहर जारी है. इस समस्या की शुरुआत आज से 200 वर्ष पूर्व हुई थी. 19वीं सदी में प्राय: हुगली नदी सूख जाती थी. कलकत्ता बंदरगाह पर जहाजरानी स्थगित हो जाती थी और कलकत्ता में पीने के पानी का अभाव हो जाता था.
इस समस्या से निजात पाने के लिए हमने 70 के दशक में फरक्का बराज का निर्माण किया और गंगा के आधे पानी को हुगली में डाला जबकि आधा पूर्ववत बांग्लादेश को जाता रहा. यह प्रयोग इस हद तक सफल रहा कि आज हुगली बारहों महीने जीवित है, कलकत्ता में पीने का पानी उपलब्ध है और कुछ हद तक जहाजरानी भी संचालित हो रही है. लेकिन इससे कुछ गंभीर समस्याएं पैदा हो गई हैं.
पहली समस्या यह है कि फरक्का बराज में गेट लगे हुए हैं जिनके नीचे से पानी बांग्लादेश को जाता है. इन गेटों के पीछे के तालाब की ऊपरी सतह से पानी फीडर कनाल के माध्यम से हुगली को जाता है. बराज के पीछे तकरीबन 10 किमी लम्बा तालाब बन गया है.
इस तालाब में गाद नीचे बैठती है फलस्वरूप गेट के नीचे से निकलने वाले पानी में गाद की मात्रा ज्यादा होती है. बांग्लादेश को यद्यपि पानी तो आधा ही जाता है लेकिन मेरे आकलन में गाद शायद 80 प्रतिशत जाती है. इसी असंतुलित वितरण का दूसरा परिणाम यह होता है कि हुगली में यद्यपि आधा पानी जाता है लेकिन गाद केवल 20 प्रतिशत जाती है. हुगली में गाद कम जाने से हुगली के मुहाने पर सुंदरबन में गाद कम पहुंचती है. समुद्र की भी नैसर्गिक भूख होती है. वह गाद खाने को लालायित रहता है. गंगा द्वारा गाद को पर्याप्त मात्रा में न लाने से समुद्र ने सुंदरबन को काटना शुरू कर दिया है.
दूसरी समस्या यह है कि फरक्का बराज में रुकावट के कारण इसके पीछे गंगा के बहाव का वेग कम हो गया है. वेग कम होने से गंगा अपने पेटे में गाद को अधिक मात्रा में जमा कर रही है. परिणामस्वरूप उसका चैनल छिछला होता जा रहा है. अत: संपूर्ण बिहार बाढ़ की चपेट में आ रहा है. इस समस्या को टिहरी बांध, तथा हरिद्वार एवं नरोरा बराजों ने और गंभीर बना दिया है. टिहरी बांध में गाद भारी मात्रा में जमा हो रही है और हरिद्वार तथा नरोरा बराजों से बरसात के मौसम में पानी के साथ-साथ गाद भारी मात्रा में निकल रही है. इसलिए नरोरा के नीचे गाद कम मात्रा में बह रही है.