निरंकार सिंह का ब्लॉग: गरमाती धरती के गंभीर खतरे
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 5, 2019 11:07 AM2019-06-05T11:07:55+5:302019-06-05T11:07:55+5:30
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों के पिघलने के बाद समुद्र का स्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी सबसे बड़ा खतरा है.
ग्लोबल वार्मिग के कारण जिस तेजी से धरती की जलवायु बदल रही है, वह इस सदी के अंत तक प्रलय के नजारे दिखा सकती है. बदलते मौसम और समुद्री तूफानों से इसका संकेत भी अब साफ-साफ दिखाई देने लगा है. समुद्र के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों पर इसका व्यापक असर होगा. ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक पर जमी बर्फ लगातार कम होती जा रही है. इससे समुद्र का जलस्तर दो मीटर तक बढ़ सकता है. इससे समुद्र के किनारे बसे कई नगर डूब जाएंगे.
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों के पिघलने के बाद समुद्र का स्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी सबसे बड़ा खतरा है. समुद्री जलस्तर बढ़ने के संभावित खतरों से निपटने के लिए अभी से वैज्ञानिक रणनीति बनाने की जरूरत है. इसके बचाव के किए जाने वाले उपायों में तेजी लाने की जरूरत है.
इस संकट से निपटने के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च केंद्र की योजना बनाई है. यह केंद्र पृथ्वी को बचाने के नए रास्ते तलाशेगा. इस रिसर्च में ऐसे तरीकों की खोज की जाएगी जिससे ध्रुवों की पिघल रही बर्फ को फिर से जमाया जा सके और वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड निकाली जा सके. इस केंद्र को इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि वर्तमान समय में पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिग के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदम नाकाफी लग रहे हैं.
यह पहल ब्रितानी सरकार के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर सर डेविड किंग की ओर से कराई जा रही है. डेविड किंग के अनुसार आने वाले 10 सालों में हम जो भी करेंगे वह मानव जाति के अगले दस हजार सालों का भविष्य तय करेगा. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डॉक्टर एमिली शुकबर्ग के अनुसार ‘नए सेंटर का मिशन जलवायु समस्या को हल करना होगा.’ यह मुहिम समाज वैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक साथ लाएगी.