देश के करोड़ों लोगों की निगाहें एक फरवरी को केंद्रीय मंत्नी पीयूष गोयल के द्वारा प्रस्तुत किए गए वर्ष 2019 के अंतरिम बजट पर लगी हुई थीं. आगामी वित्त वर्ष के अंतरिम बजट में सिर्फ चार महीने के लिए लेखानुदान ही पेश नहीं किया गया, वरन देश की आर्थिक-सामाजिक चुनौतियों के समाधान हेतु अर्थव्यवस्था के हित को भी ध्यान में रखते हुए बजट के माध्यम से आगामी 10 वर्षो के लिए नीतिगत दिशाएं भी प्रस्तुत की गईं.
सरकार ने किसानों, गरीबों, मजदूरों, कर्मचारियों और छोटे उद्यमियों-कारोबारियों को लाभान्वित करने वाले प्रावधान घोषित किए. मध्यम वर्ग और छोटे आयकरदाताओं के लिए राहत की घोषनाएं की गईं. आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रु. की गई है. चूंकि अंतरिम बजट आम चुनाव के पहले का आखिरी बजट था, अतएव इसे लोक लुभावन बनाया गया है. इस बजट को लोकलुभावन बनाने के लिए सरकार राजकोषीय घाटे संबंधी कठोरता से कुछ पीछे हटी है. चालू वित्त वर्ष 2018-19 में जो राजकोषीय घाटा (फिजिकल डेफिसिट) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 फीसदी निर्धारित है उसे आगामी वित्त वर्ष के लिए 3.4 फीसदी तक सीमित रखना सुनिश्चित किया गया है. देश की वर्तमान विकासशील परिस्थितियों के मद्देनजर यह उपयुक्त है.
नया अंतरिम बजट प्रमुखत: खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे रहा है. सरकार ने इस बजट में नकद के रूप में राहत देने के लिए ऐसी योजना प्रस्तुत की है जिसके तहत किसानों का वित्तीय बोझ कम करने के लिए उनके खातों में नकद रकम ट्रांसफर की जाएगी. कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाया गया है. नए बजट में मोदी सरकार ने 2 हेक्टेयर जमीन वाले किसानों को 6 हजार रु पए प्रति वर्ष इनकम सपोर्ट देने का ऐलान किया, जो उनके अकाउंट में सीधे जमा हो जाएगा.नए बजट में मध्यम वर्ग को कई सौगातें दी गई हैं. छोटे आयकरदाता, नौकरी पेशा वर्ग के साथ-साथ मध्यम वर्ग के लोग भी चाहते थे कि उन्हें नए बजट में आयकर राहत मिले, ऐसे में सरकार के द्वारा बजट में आयकर छूट की सीमा को ऐतिहासिक रूप से बढ़ाया गया है. टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख रु पए से बढ़ाकर 5 लाख रु पए की गई है .
नए अंतरिम बजट के तहत रियल इस्टेट को प्रोत्साहन दिखाई दिया है. स्टार्टअप्स के लिए नई सुविधाएं दी गई हैं. नए अंतरिम बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा छोटे उद्योग-कारोबार और कौशल विकास जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्नों के लिए बजट आवंटन बढ़ते हुए दिखाई दिए हैं. निर्यातकों को रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर विशेष इंसेटिव दिया गया है. नए अंतरिम बजट में क्लीन और ग्रीन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं.
इस तरह नए बजट में निश्चित रूप से विभिन्न वर्गो की उम्मीदों को पूरा करने के लिए प्रावधान सुनिश्चित हुए हैं. लेकिन इस अंतरिम बजट की सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटा बढ़ने से संबंधित है. चालू वित्तीय वर्ष की तुलना में आगामी वित्तीय वर्ष 2019-20 में आमदनी की तुलना में व्यय तुलनात्मक रूप से अधिक होंगे क्योंकि विभिन्न उम्मीदों को पूरा करने के लिए अधिक धन की जरूरत होगी इसीलिए बजट प्रस्तुत करते समय बताया गया है कि राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.4 फीसदी तक होगा. लेकिन तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय घाटे के आकार में कुछ वृद्धि उपयुक्त ही कही जा सकती है.