डॉक्टर विशाल शर्मा का ब्लॉग: कालिदास की रचनाओं में है प्रकृति की अनुपम छटा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 22, 2020 09:31 AM2020-06-22T09:31:29+5:302020-06-22T09:31:29+5:30
डॉ. विशाला शर्मा
उज्जयिनी में सम्राट विक्रमादित्य की राजसभा के रत्न कालिदास संस्कृत के महान कवि एवं नाटककार थे. उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उपमाएं बेमिसाल हैं. सात प्रसिद्ध रचनाओं में रघुवंश, कुमारसंभव महाकाव्य हैं, मेघदूत और ऋतुसंहार खंडकाव्य ग्रंथ हैं तथा अभिज्ञान शाकुंतलम्, मालविकाग्निमित्न व विक्रमोर्वशीय नाटक हैं. साहित्य के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व रखने वाली उनकी रचनाओं के कारण भारत की आत्मा, सौंदर्य और प्रतिभा का प्रतिनिधि रचनाकार कालिदास को माना जाता है.
उनके नाटकों में हमें करुणा, शक्ति, सौंदर्य, पात्नों के चरित्न एवं कथा का सुनियोजित गठन दिखाई देता है. प्रकृति के प्रति गहन अध्ययन व लगाव अर्थात प्रकृति के छोटे-छोटे उपादानों को सजीवता के साथ प्रस्तुत करने की उनकी शैली अनुपम है. नदियां, पर्वत, वन, तपोवन और राज दरबारों का वर्णन, साहित्य में विज्ञान, विधि, दर्शन और उनकी भारतभर की यात्नाओं से लिया गया ज्ञान, संपूर्ण भौगोलिक जानकारियां, जिसमें हिमालय की बर्फ से लेकर कश्मीर की केसर की क्यारियां उनके साहित्य के श्रृंगार हैं. कम शब्दों में भाव प्रकट करने की क्षमता तथा कथन की स्वाभाविकता के लिए उनका साहित्य सदैव अमर रहेगा.
उनका स्थान वाल्मीकि और व्यास की परंपरा में है. वे ऐसे युग में रहे, जिसमें वैभव और सुख सुविधा थी. संगीत तथा नृत्य और चित्नकला के साथ-साथ मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी उज्जैन से उनका विशेष प्रेम था. कालिदास की एक प्रमुख रचना ‘मेघदूत’ के बारे में प्रसिद्ध हिंदी लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी लिखते हैं- इस रचना में कोई ऐसी बात नहीं है जो अन्य साधारण मनुष्यों के अनुभव से बाहर हो. सब कुछ परिचित सब कुछ साधारण और फिर भी अनुभूति की तीव्रता के कारण यह अनोखी है और यही अनुभूति की तीव्रता उसमें नवीनता का संचार करती है तथा इसीलिए यह साधारण स्तर से उठकर असाधारण बन जाती है.