अरविंद कुमार सिंह का ब्लॉग: ‘राजधानी’ संस्कृति का विस्तार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 23, 2019 11:27 AM2019-01-23T11:27:54+5:302019-01-23T11:27:54+5:30

भारतीय रेल की राजधानी श्रेणी की गाड़ियां पूर्णतया वातानुकूलित और तेज रफ्तार होने के साथ सुविधा संपन्न हैं और दुनिया की प्रतिष्ठित गाड़ियों में गिनी जाती हैं.

Blog of Arvind Kumar Singh: Expansion of 'Capital' Culture | अरविंद कुमार सिंह का ब्लॉग: ‘राजधानी’ संस्कृति का विस्तार

फाइल फोटो

रेल मंत्नी पीयूष गोयल ने छत्नपति शिवाजी टर्मिनल से हजरत निजामुद्दीन के बीच चलने वाली पहली राजधानी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया. इस मौके पर कई दूसरी परियोजनाओं का भी उद्घाटन हुआ. यह नई राजधानी एक्सप्रेस हफ्ते में दो बार चलेगी. मुंबई के लिए पहले से ही दो राजधानी एक्सप्रेस हैं लेकिन वे पश्चिम रेलवे के तहत हैं और कोटा, वडोदरा के रास्ते जाती हैं. लेकिन तीसरी राजधानी मध्य रेलवे के तहत है जिसका फायदा महाराष्ट्र के साथ मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को भी मिलेगा. पहले से चल रही दोनों राजधानी एक्सप्रेस गुजरात और राजस्थान को सेवित करती हैं. 

भारतीय रेल की राजधानी श्रेणी की गाड़ियां पूर्णतया वातानुकूलित और तेज रफ्तार होने के साथ सुविधा संपन्न हैं और दुनिया की प्रतिष्ठित गाड़ियों में गिनी जाती हैं. पहली राजधानी नई दिल्ली-हावड़ा के बीच 1 मार्च, 1969 को उत्सव के साथ रवाना हुई थी. इस गाड़ी ने 1445 किलोमीटर लंबा सफर जब 17 घंटे 20 मिनट में पूरा किया तो यह रेल इतिहास की अनूठी घटना बनी. 

हावड़ा राजधानी की सफलता के बाद नई दिल्ली- मुंबई सेंट्रल राजधानी एक्सप्रेस 17 मई 1972 को शुरू हुई. इसके बाद नई दिल्ली-झांसी के बीच में 10 जुलाई 1988 को शताब्दी एक्सप्रेस आरंभ की गई, जिसे राजधानी सेवा का विस्तार कहा गया. इसी तरह अगस्त क्र ांति राजधानी एक्सप्रेस हजरत निजामुद्दीन से मुंबई सेंट्रल के बीच 1 जुलाई 1991 को चलाई गई. पहले इसका नाम एसी एक्सप्रेस था जिसे 2 अक्तूबर 1992 को अगस्त क्र ांति की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर बदल कर अगस्त क्र ांति एक्सप्रेस कर दिया गया. इस कड़ी की चौथी नई राजधानी एक्सप्रेस निजामुद्दीन-सिकंदराबाद-बेंगलुरु के बीच में 1 नवंबर 1992 से चलाई गई. फिर नई दिल्ली -हावड़ा राजधानी -2 वाया पटना 3 जुलाई 1993 को चली, जबकि छठी राजधानी हजरत निजामुद्दीन-त्रिवेंद्रम के बीच में जुलाई 1993 में चेन्नई के लिए चली थी पर बाद में 1 जुलाई 1994 से बढ़ा कर त्रिवेंद्रम तक कर दिया गया. इसके बाद नई दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस,जो इस श्रेणी की सातवीं गाड़ी है, को 1 अप्रैल 1994 को शुरू किया गया.  

बीते सालों में राजधानी एक्सप्रेस की सेवा में काफी बदलाव आए हैं. लंबे समय तक राजधानी एक्सप्रेस में बड़ी संख्या में चेयरकार होती थी, जो रात भर के सफर में यात्रियों के लिए काफी तकलीफदायक होती थी. इसे ध्यान में रख भारतीय रेल में पहली बार एसी-3 डिब्बों को लगाने का भी राजधानी एक्सप्रेस से ही आरंभ हुआ. पहला एसी-3 कोच हावड़ा राजधानी में 12 दिसंबर 1993 से लगा. इसी तरह 1996-97 के दौरान मुंबई राजधानी में उपग्रह आधारित टेलीफोन सेवाएं उपलब्ध कराने की पहल भी हुई. यात्ना अनुभव में सुधार के लिए रेल मंत्नालय ने परियोजना स्वर्ण के तहत प्रमुख राजधानी और शताब्दी गाड़ियों को उन्नत बनाने का भी फैसला किया. 

(वरिष्ठ पत्रकार और संसदीय मामलों के जानकार)

Web Title: Blog of Arvind Kumar Singh: Expansion of 'Capital' Culture

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