डॉ. साकेत सहाय का ब्लॉग- हिंदी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक ऐसे कर दो

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 25, 2023 10:09 AM2023-02-25T10:09:33+5:302023-02-25T10:10:54+5:30

कृत्रिम मेधा ने यह सम्भव कर दिखाया है कि कोई एक भाषा जानने पर भी आप सब भाषा-भाषियों के बीच संवाद, कारोबार कर सकते हैं।

Blog Hindi From Traditional Knowledge to Artificial Intelligence | डॉ. साकेत सहाय का ब्लॉग- हिंदी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक ऐसे कर दो

फाइल फोटो

Highlightsहिंदी भाषा को पारंपरिक प्रयोजनों से अधिक आधुनिक प्रयोजनों के लिए तैयार करना ही भाषिक आधुनिकीकरण है आज हिंदी बाजार और प्रौद्योगिकी के साथ अपने को सशक्त करते हुए कृत्रिम मेधा की भाषा बनने की ओर अग्रसर है। जो भाषा तकनीक की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप खुद को ढालती रहती है, वह हमेशा प्रासंगिक और जीवंत बनी रहती है।

इस बार 15-17 फरवरी, 2023 को फिजी में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन का केंद्रीय विषय था- ‘हिंदी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक'। हिंदी भाषा को पारंपरिक प्रयोजनों से अधिक आधुनिक प्रयोजनों के लिए तैयार करना ही भाषिक आधुनिकीकरण है और इस प्रकार के सम्मेलनों का उद्देश्य भी यही होता है।

प्रौद्योगिकी के प्लेटफार्म पर आरूढ़ भाषा केवल प्रबुद्ध वर्ग का ही भला नहीं करती, अपितु जन-साधारण के भी काम आती है। आज हिंदी बाजार और प्रौद्योगिकी के साथ अपने को सशक्त करते हुए कृत्रिम मेधा की भाषा बनने की ओर अग्रसर है।

हिंदी विविध प्रयुक्तियों में यथा, समाचार पत्रों की, बाजार की, अर्थ की, खेल, सिनेमा आदि विभिन्न प्रयुक्तियों में व्यवहार की भाषा बनाकर उभरी है। जो भाषा तकनीक की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप खुद को ढालती रहती है, वह हमेशा प्रासंगिक और जीवंत बनी रहती है।

कृत्रिम मेधा ने यह सम्भव कर दिखाया है कि कोई एक भाषा जानने पर भी आप सब भाषा-भाषियों के बीच संवाद, कारोबार कर सकते हैं। हिंदी प्रयोक्ताओं की संख्या ही आज इस भाषा की सबसे बड़ी शक्ति है, जो अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में हिंदी को हमेशा केंद्रीय भूमिका में रखेगी।

भारत में कृत्रिम मेधा से संचालित जनोन्मुखी प्रणालियों के लिए हिंदी व भारतीय भाषाएं सबसे उपयुक्त विकल्प है। कृत्रिम मेधा हमारी पूर्व की गतिविधियों के आधार पर हमारी पसंद या नापसंद का सहज अनुमान लगा लेती है। कृत्रिम मेधा पूर्व के अनुभवों, व्यवहार विश्लेषण और पैटर्न की पहचान के द्वारा एक विशिष्ट अल्गोरिद्म पर कार्य करती है, अतएव वेब पर हिंदी का जितना अधिक कंटेट होगा।

कृत्रिम मेधा के साथ हिंदी उतने ही प्रभावी तरीके से कार्य करेगी। भारत में कृत्रिम मेधा का भविष्य सूचना, ज्ञान और आंकड़ों पर आधारित है और इनके उपयोग में हिंदी की भूमिका सिद्ध है। 

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