यूपी में बीजेपी को मिल गया साथी, अखिलेश और मायावती का ऐसे करेगी मुकाबला

By विकास कुमार | Published: January 6, 2019 01:05 PM2019-01-06T13:05:23+5:302019-01-06T14:52:16+5:30

भाजपा अखिलेश यादव और मायावती को काउंटर करने के लिए उनके खिलाफ पुराने मामलों को फिर से खोल सकती है. मायावती के खिलाफ भी आय से अधिक संपति के मामले दर्ज हैं और हो सकता है कि आने वाले दिनों में उनके खिलाफ भी सीबीआई के छापे पड़ें.

BJP will counter Akhilesh and Mayawati with the help of CBI | यूपी में बीजेपी को मिल गया साथी, अखिलेश और मायावती का ऐसे करेगी मुकाबला

यूपी में बीजेपी को मिल गया साथी, अखिलेश और मायावती का ऐसे करेगी मुकाबला

बीते दिन उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ सीबीआई के छापे पड़े हैं. अखिलेश सरकार में खनन के ठेकों में कथित भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय एजेंसी ने 12 जगहों पर छापेमारी की थी, जिसमें हमीरपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी बी.चन्द्रकला का नाम भी शामिल है. इन पर आरोप है कि हमीरपुर में जुलाई 2012 के बाद 50 मौरंग के खनन के पट्टे दिए थे. और अब खबर है कि इस मामले में अब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी पूछताछ हो सकती है.

उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का प्रवेश द्वार माना जाता है. 80 लोकसभा सीटों के साथ यह प्रदेश भारतीय राजनीति में हमेशा से दबंग छवि की भूमिका निभाता है. इस प्रदेश की राजनीतिक अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2014 में प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के लिए नरेन्द्र मोदी गुजरात से चलकर बनारस पहुंचे और प्रदेश की पार्टियों को चुनाव में हाशिये पर धकेल दिया था. 

प्रदेश की राजनीति के दो हिस्सेदार और परस्पर विरोधी अखिलेश यादव की सपा 5 सीटों पर सिमट गई और बहन कुमारी मायावती का खाता भी नहीं खुला. नरेन्द्र मोदी की भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन के भी रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए 71 सीटों पर भगवा झंडा गाड़ दिया. और साथ ही केंद्र में भी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना ली. 2017 विधानसभा चुनाव में 325 सीटें जीतकर नरेन्द्र मोदी ने सपा और बसपा के राजनीतिक अस्तित्व पर ही एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया. 

बुआ और बबुआ ने ये समझ लिया था कि समय सबसे बलवान है. उन्हें ये बताने की जरुरत नहीं थी कि अगर हांथ नहीं मिलाया तो नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के राजनीतिक कहर से बचना मुश्किल है. दिल मिला या नहीं लेकिन हांथ जरूर मिल गए. अखिलेश यादव ने अपने बुआ के सामने जूनियर की भूमिका निभाने में कोई संकोच नहीं दिखाई. 

इसका असर भी दिखा और सीएम योगी के गढ़ में ही सपा और बसपा ने निषाद पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देकर बीजेपी को पटखनी दी. गोरखपुर और फूलपुर के बाद कैराना में भी भारतीय जनता पार्टी हार गई. सपा और बसपा के सामाजिक गठजोड़ के सामने बीजेपी का हिंदूत्व हवा हो गया. कई मौकों पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी कह चुके हैं कि ये गठबंधन उनके सामने यूपी में सबसे बड़ी चुनौती है. 

तो क्या भाजपा अब अखिलेश यादव और मायावती को काउंटर करने के लिए उनके खिलाफ पुराने मामलों को फिर से खोलेगी. मायावती के खिलाफ भी आय से अधिक संपति के मामले दर्ज हैं और हो सकता है कि आने वाले दिनों में उनके खिलाफ भी सीबीआई के छापे पड़ें. ऐसा कहा जा रहा है कि सपा-बसपा गठबंधन का मुकाबला भाजपा सीबीआई के सहारे भी कर सकती है. राम मंदिर की राजनीति को फिर से धार दिया जा रहा है और साथ ही में हिंदूत्व के तमाम मुद्दों को हवा देकर योगी आदित्यनाथ की कोशिशें भी जारी है.
 

English summary :
Uttar Pradesh seats are considered to be the gateway to the post of prime minister and central govenrment in the Lok Sabha Elections. With 80 Lok Sabha seats, this region plays an important role in Indian politics. The political significance of this state can be estimated from the fact that in 2014 Lok Sabha Elections Modi reached Varanasi from Gujarat to reach the prime minister seats. CBI had raided 12 places in connection with the alleged corruption in mining contracts during Akhilesh governmen in UP, including the house of the IAS officer B Chandrakala.


Web Title: BJP will counter Akhilesh and Mayawati with the help of CBI

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