अमित शाह की समझाइश ने किया कमाल!, आखिर क्या है चिराग पासवान और पशुपति पारस मामला?
By हरीश गुप्ता | Published: September 12, 2024 06:05 AM2024-09-12T06:05:50+5:302024-09-12T06:07:41+5:30
Bihar Politics News: चिराग पासवान ने सार्वजनिक रूप से वक्फ विधेयक का विरोध किया और इसे समिति को भेजने की मांग की थी.
Bihar Politics News: भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह अविश्वसनीय लेकिन सत्य है. बेहद परेशान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान को तलब किया. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग अपने पार्टी सांसदों के साथ उनके 6 कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास पर पहुंचे. जाहिर तौर पर, शाह ने कोर ग्रुप में आंतरिक चर्चा के मद्देनजर यह कदम उठाया. भाजपा नेतृत्व चिराग के कुछ सार्वजनिक बयानों से नाराज था. चिराग पासवान ने सार्वजनिक रूप से वक्फ विधेयक का विरोध किया और इसे समिति को भेजने की मांग की थी.
उन्होंने सरकारी भर्तियों के लिए लेटरल एंट्री रूट को वापस लेने की भी मांग की और जाति जनगणना की वकालत की थी. उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में उप-वर्गीकरण की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद का समर्थन भी किया. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने कहा कि एनडीए में सीट बंटवारे पर अगर सहमति नहीं बनी तो वे झारखंड विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे. 26 अगस्त को जब अमित शाह ने चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस से मुलाकात की थी, तब इसके जरिये भाजपा नेतृत्व ने चिराग पासवान को संदेश दिया था.
भाजपा ने लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस को किनारे कर दिया था और चिराग पासवान के साथ जाने का फैसला किया था और उन्होंने पांच सीटें जीती थीं. 30 अगस्त को चिराग पासवान अपने तीन लोकसभा सांसदों के साथ अमित शाह के आवास पर पहुंचे. चिराग को भीतर बुलाए जाने के दौरान सांसद बाहर बैठे रहे. चिराग के लिए यह एक अलग तरह का अनुभव था, जहां उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से फटकार मिली.
बातचीत का सार यह था कि वह एनडीए छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि उनका कोई भी सांसद उनके साथ नहीं जाएगा. उसी दिन बाद में पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में चिराग ने जो कहा, वह पूरी तरह से उलट था. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर भाजपा चाहे तो वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव एनडीए के सहयोगी के रूप में लड़ने को तैयार हैं.
राहुल की गुगली से चकराए पार्टी के नेता
हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व के लिए यह करो या मरो की लड़ाई है, क्योंकि पिछले दस सालों से वे विपक्ष में बैठे हुए हैं, जबकि भाजपा ने लगातार दो बार सरकार बनाई है. कांग्रेस नेतृत्व इस बार उत्साहित है, जबकि भाजपा को भारी सत्ता विरोधी लहर, बल्कि विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है और वह अपने घर को भी व्यवस्थित करने में असमर्थ है.
जब टिकट बंटवारे का मुद्दा कोर कमेटी के सामने आया, तो राहुल गांधी ने संकेत दिया कि 90 में से कुछ सीटें आप और समाजवादी पार्टी के लिए अलग रखी जानी चाहिए. इससे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैरान थे, क्योंकि उनमें से किसी का भी वहां कोई प्रभाव नहीं था. उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट आप को देने से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला और भाजपा जीत गई.
कांग्रेस ने पांच लोकसभा सीटें जीतकर कैडर में नई जान फूंकी और अब विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना चाहती है. लेकिन राहुल गांधी की योजना कुछ और ही थी. उन्होंने कहा, ‘मैं लोकसभा में कांग्रेस का नेता नहीं हूं. मैं विपक्ष का नेता हूं और पूरे विपक्ष का प्रतिनिधित्व करता हूं, जिसमें इंडिया गठबंधन या बाहर के दल भी शामिल हैं.
अगर हमें देश में भाजपा को हराना है तो हमें उन्हें समायोजित करना होगा.’ हालांकि आप के साथ गठबंधन अभी तक सफल नहीं हुआ है, लेकिन सपा अभी भी कुछ समझौतों के साथ मैदान में उतर सकती है. लेकिन राहुल गांधी ने निश्चित रूप से मित्र दलों के साथ अच्छा प्रदर्शन किया और अपनी पार्टी के लोगों को हैरान किया.
शेख हसीना का गुप्त ठिकाना!
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले महीने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में बढ़ती मौतों के कारण अपने देश से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. वह अपनी बहन के साथ कुछ समय के लिए भारत में अचानक उतरीं. लेकिन अब यह यात्रा लंबी हो गई है क्योंकि यूनाइटेड किंगडम में रहने की उनकी योजनाएं मुश्किल में पड़ गई हैं.
अब बांग्लादेश की नई सरकार की ओर से भारत पर दबाव बढ़ रहा है कि वह उन्हें वापस भेजे ताकि वे अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का सामना करें. भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है. बांग्लादेश के नए प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर वे शांति से रहना चाहती हैं तो बयानबाजी न करते हुए चुपचाप रहें.
पिछली बार परेशान हसीना ने भारत में शरण तब ली थी जब 1975 में उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान समेत उनके परिवार का नरसंहार हुआ था. हसीना ने अपने पति, बच्चों और बहन के साथ भारत में शरण ली थी. वे 1975 से 1981 तक छह साल तक दिल्ली के पंडारा रोड में एक फर्जी पहचान के साथ रहे.
लेकिन इस बार, वह पहले गाजियाबाद के हिंडन एयर बेस गेस्ट हाउस में छिप कर रहीं. अब किसी को पता नहीं है कि वह दिल्ली में कहां रह रही हैं. कहा जाता है कि वह इस बार किसी सरकारी बंगले में नहीं बल्कि लुटियंस दिल्ली के एक निजी बंगले में रह रही हैं. बदली हुई परिस्थितियों में उनकी जान को खतरे के कारण सख्त गोपनीयता बरती जा रही है.
आरएसएस से जुड़े लोगों की शिकायतें
एक तरफ जहां आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय के मुद्दे सुलझाए जा रहे हैं, वहीं आरएसएस के कई सहयोगी संगठनों ने भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा के समक्ष अपनी शिकायतें रखीं, जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता हैं. नड्डा पिछले महीने के अंत में केरल के पलक्कड़ में आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक में शामिल हुए थे. इन सहयोगियों ने नड्डा से अलग-अलग मुलाकात की और शिकायत की कि उन्हें मंत्रालयों द्वारा समय पर नियुक्तियां नहीं दी जाती हैं, हालांकि हाल ही में हालात सुधरे हैं.
ये सहयोगी संगठन विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं और दूरदराज व दुर्गम क्षेत्रों में लोगों की सेवा करने के लिए सरकार के सक्रिय समर्थन की आवश्यकता है. यहां नड्डा की सराहना करनी चाहिए कि उन्होंने उनमें से प्रत्येक की बात धैर्य के साथ सुनी और उनसे वापस संपर्क करने और उनकी समस्याओं को हल करने का वादा किया.