भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयीः सौम्य स्वभाव से बन गए थे सर्वमान्य नेता
By गिरीश्वर मिश्र | Updated: December 25, 2025 05:38 IST2025-12-25T05:38:24+5:302025-12-25T05:38:24+5:30
Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee: आधुनिक मन वाले वाजपेयी जी ने आगे बढ़ कर देश की व्यापक कल्पना को संकल्प, प्रतिज्ञा और कर्म से जोड़ा और समर्पण के लिए आवाहन किया.

Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee:
Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee: स्वतंत्र भारत में यहां की विराट सांस्कृतिक परम्परा के संधान और उन्मेष की मानसिकता संजोने वाले जन-नायकों में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी निश्चय ही एक अनूठे व्यक्तित्व हैं. वह बिना किसी पूर्वाग्रह के पक्ष हो या विपक्ष, वाम हो या दक्षिण, केंद्र हो या परिधि- सब प्रकार के लोगों के साथ संवाद करने के लिए प्रस्तुत रहते थे. लोकाभिमुख होने की यह वृत्ति प्रचारक के रूप में उनकी लम्बी देश-साधना के दौरान विकसित हुई थी. साथ ही संपादन कार्य उनको अद्यतन करता रहा. इस क्रम की ही परिणति थी कि भारतीय संस्कृति की साधना के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया. आधुनिक मन वाले वाजपेयी जी ने आगे बढ़ कर देश की व्यापक कल्पना को संकल्प, प्रतिज्ञा और कर्म से जोड़ा और समर्पण के लिए आवाहन किया.
भारतीय राजनीति के नए दौर में पारदर्शिता, साझेदारी और संवाद की खास भूमिका रही. लोकतंत्र के लिए आपात काल बड़ा आघात था. उसके बाद कांग्रेस के विकल्प के रूप में ‘जनता दल’ का गठन हुआ और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनी. वाजपेयी ने इस सरकार में विदेश मंत्री का दायित्व संभला.
आगे चलकर भारत का राजनैतिक परिदृश्य क्रमश: जटिल होता गया. यह स्पष्ट होने लगा कि विभिन्न राजनैतिक दलों को साथ लेकर चलने वाली एक समावेशी दृष्टि ही कारगर हो सकती थी. इसके लिए सहिष्णुता, खुलेपन की मानसिकता, सबको साथ लेकर चलने की क्षमता, सुनने-सुनाने का धैर्य और युगानुरूप सशक्त तथा दृढ़ संकल्प की आवश्यकता थी.
इन सभी कसौटियों पर एक सर्वमान्य नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ही खरे उतरे. विविधता भरी राजनीति में उनको लेकर बनी सहमति का ही परिणाम था कि भारतीय संसद में उनको तीन बार देश के प्रधानमंत्री पद के लिए स्वीकार किया गया. यह अनूठी घटना थी. वर्ष 1999 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एनडीए) के कठिन नेतृत्व की कमान संभालते हुए वाजपेयीजी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने.
गठबंधन वाली यह पहली पूर्णकालिक सरकार थी. उल्लेख्य है कि एनडीए में दो दर्जन के करीब राजनैतिक दल साथ आए थे और 81 मंत्री थे. इन सबको साथ लेकर चलना कठिन चुनौती थी जिसे वाजपेयीजी ने स्वीकार किया था और उस अवधि में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए. इसके बाद स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से विराम ले लिया.
निजी स्वार्थ से परे हट कर लोक-हित की व्यापक चिंता वाजपेयीजी के लिए व्यापक जनाधार का निर्माण कर रही थी. लोकैषणा उनके व्यक्तित्व का वह केन्द्रीय पक्ष था जो जन-जीवन में किसी चुम्बक की तरह कार्य करता था. वे सबको सहज उपलब्ध रहते थे. अपने लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ समर्पण, सतत अध्यवसाय और सशक्त भारत देश के स्वप्न को साकार करने की असंदिग्ध और सघन चेष्टा ही थी जिसने उनको पक्ष-विपक्ष का सर्वमान्य नेता बना दिया था.