अश्वनी कुमार का ब्लॉग: दलगत राजनीति की भेंट न चढ़े देश का भविष्य

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 10, 2019 07:16 AM2019-11-10T07:16:24+5:302019-11-10T07:16:24+5:30

पर्यावरण संबंधी गंभीर चुनौतियों का मिलकर सामना करने की बजाय देश का हित दलगत राजनीति की भेंट चढ़ते दिखाई दे रहा है.

Ashwani Kumar blog: The future of the country should not be Ruined for party politics | अश्वनी कुमार का ब्लॉग: दलगत राजनीति की भेंट न चढ़े देश का भविष्य

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह। (फाइल फोटो)

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण और जहरीली वायु को झेलते लाखों लोगों, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गो के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर द्वारा उत्पन्न आपातकालीन स्थिति को लेकर केंद्र, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकारें एक दूसरे पर दायित्व लादने में जुटी हैं. पर्यावरण संबंधी गंभीर चुनौतियों का मिलकर सामना करने की बजाय देश का हित दलगत राजनीति की भेंट चढ़ते दिखाई दे रहा है. ऐसे में पंजाब के मुख्यमंत्नी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्नी को दो-टूक पत्न लिखकर स्पष्ट किया है कि प्रदूषण और पर्यावरण संबंधी चुनौती से जूझने के लिए रचनात्मक और समावेशी नीति की आवश्यकता है, जिस दायित्व को सरकारें नकार नहीं सकतीं.

इन विचारों को यदि राष्ट्र की वर्तमान स्थिति के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो जाहिर है कि राजनीतिक नेतृत्व दलगत राजनीति की चुनावी प्राथमिकताओं से उबर नहीं पाया.  हमारी राजनीतिक व्यवस्था बुनियादी मुद्दों और राष्ट्रीय चुनौतियों से जूझने में इसलिए भी विफल है क्योंकि कटाक्षपूर्ण राजनीतिक माहौल के चलते किसी भी अहम मुद्दे पर राजनीतिक आम राय नहीं बन पाती. यहां तक कि अविवादित पर्यावरण  जैसे मुद्दे को लेकर भी विवादपूर्ण स्थिति बनी हुई है. 

इस वर्ष, जब देश श्री गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व मना रहा है, हमें स्वीकारना होगा कि हम पर्यावरण संबंधी गुरु के उस संदेश की पालना नहीं कर सके जिसमें उन्होंने कहा था : पवणु गुरू, पाणी पिता, माता धरति महतु॥/दिवसु राति दुइ दाई दाइआ खेलै सगल जगतु॥

इस पावन अवसर पर प्रदूषण पर रोक लगा कर पर्यावरण की सुरक्षा कर हम गुरुनानक देवजी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते है.

अनेक कारणों से बढ़ता सामाजिक तनाव, कटाक्ष व  व्यक्तिगत द्वेष भाव पर टिकी राजनीति, राष्ट्र के उदारवादी एहसास पर प्रहार, लगातार कमजोर होती देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं,  महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गो का शोषण, सरकारी हिरासत में असहायों का उत्पीड़न, बिना जुर्म साबित हुए अभियुक्तों को महीनों तक कारावास में रखना, राजनीतिक विपक्षियों को व्यक्तिगत दुश्मनी की नजर से देखना, बढ़ता भ्रष्टाचार, असभ्य राजनीतिक संवाद,  धन और बल पर टिकी चुनावी प्रक्रिया, संसदीय प्रणाली की उभरती चुनौतियां और बेरोजगार युवाओं का आशाविहीन भविष्य दुखद व चिंताजनक स्थिति का ऐलान है.

क्या उपर्युक्त परिस्थितियों में आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया जा सकता है? सोशल मीडिया पर, और अनेक तरह से हर दिन नागरिकों के आत्मसम्मान की धज्जियां उड़ाई जाती हैं, पर न्याय प्रणाली और प्रशासन व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और सम्मान से जुड़े संविधान में निहित सर्वश्रेष्ठ मूल्यों की रक्षा करने में असमर्थ दिखते है.

इस स्थिति में क्या भारत एक सफल संवैधानिक लोकतंत्न होने का दावा कर सकता है? क्या सच्चे हृदय से हम यह कह सकते हैं कि प्रशासनिक व्यवस्था नागरिकों के जीवन, संपत्ति और मूल अधिकारों की सुरक्षा करने में समर्थ है? ऐसे में बापू के पूर्ण स्वराज की परिकल्पना क्या स्वप्न सा नहीं लगता?

हमें अपने आप से पूछना होगा कि क्या देश की राजनीतिक व्यवस्था आने वाली पीढ़ियों की खुशहाली और सम्मान का पैगाम है.  हमें सोचना होगा कि केवल  जीडीपी  के पैमाने पर परखे जाने वाले आर्थिक विकास, जो गरीब की गरीबी, पिछड़ों का शोषण और असहायों के दुखों का निवारण न कर सके, का कोई अर्थ है? यह किसी एक या विशेष राजनीतिक दल पर टिप्पणी नहीं, बल्किपूरी राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था पर सवाल है. कठिन सवालों से मुंह मोड़कर वास्तविकता को झुठलाया नहीं जा सकता. मशहूर जर्मन विचारक गोएथे ने लिखा था : ‘हमें समय-समय पर उन विचारों को दोहराना चाहिए जिनमें हमारी आस्था है और उस स्थिति का खंडन करना चाहिए जो हमें स्वीकार्य नहीं है.’

नि:संदेह, देश को ऐसा रास्ता खोजना होगा जिस पर चलकर हम राष्ट्रपिता और राष्ट्र निर्माताओं के सपनों को साकार कर सकें. ऐसे नेताओं को खोजना होगा जो भारत को ही नहीं, परंतु  विश्व को भी राह दिखा सकें. इस वर्ष जब देश गुरुनानक देवजी का 550वां  प्रकाश पर्व एवं बापू की 150वीं वर्षगांठ मना रहा है, हमें करु णा और सौहाद्र्र पर आधारित सामाजिक न्याय व्यवस्था और संवैधानिक लोकतंत्न को सुदृढ़ करने का संकल्प लेना होगा.  

नागरिकता के कर्तव्य को निभाते हुए, व्यथित हृदय से उभरी इन भावनाओं का उल्लेख कर रहा हूं क्योंकि सभ्य समाज एवं उन्नतिशील लोकतंत्न की स्थापना के लिए विचारों की निडर अभिव्यक्ति आवश्यक है. मेरा विश्वास है कि सभी देशवासी ऐसी ही भावना रखते हैं. वह किसी भी तरह के अन्याय और जब्र के विरुद्ध आवाज उठाने में सक्षम हैं. ऐसा करना ही  बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

Web Title: Ashwani Kumar blog: The future of the country should not be Ruined for party politics

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