रेप करें या हत्या, बाबाओं और सेलेब के फैंस की भक्ति क्यों नहीं होती कम?
By मोहित सिंह | Published: April 25, 2018 12:42 PM2018-04-25T12:42:28+5:302018-05-11T16:01:13+5:30
जिस देश में बाबा के हो बड़े - बड़े नेता सहित 4 करोड़ से ज्यादा भक्त उनका भगवान भी कैसे कर सकता बाल बांका? यकीन नहीं होता कि आसाराम बापू के खिलाफ़ आया है कोर्ट का फैसला.
आसाराम बापू को रेप केस में दोषी करार दे दिया गया है आज कोर्ट का यह फैसला सुनकर बेहद अजीब लगा. अभी कुछ ही दिनों पहले की बात है कोर्ट ने फिल्म स्टार सलमान खान को हिरण केस में दोषी करार देकर फिर दो दिनों में ही जमानत पर रिहा कर दिया था और अब तो उनको देश से बाहर जाने की भी ऑफिसियल परमिशन मिल गयी है. अगर वहां पर एक सेलिब्रिटी के साथ कोर्ट ने इतनी रियायत बरती है तो आसाराम को भी कोर्ट से राहत मिलनी चाहिये थी, आखिर क्यों नहीं, इनके भी तो विश्व भर में 4 करोड़ से ज्यादा भक्त है और उनमें से तो कई भारतीय राजनीति के जाने - माने चेहरे भी हैं.
पक्ष और विपक्ष दोनों ही बाबा के भक्त हैं. यकीन नहीं आता तो चलिए डालते हैं उनके भक्तों की लिस्ट पर एक नज़र - पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, दिग्विजय सिंह, नितिन गडकरी, कमल नाथ, मोतीलाल वोरा, शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, रमन सिंह, प्रेम कुमार धूमल, वसुंधरा राजे और ना जाने कितने बड़े - बड़े नाम. यहाँ तक कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात में अपने सीएम कार्यकाल के दौरान कितनी ही बार आसाराम के आश्रम में होने वाले कार्यक्रमों में देखे जा चुके हैं. अब इतने भक्त होने पर भी न्याय के लिए कैसे तरस सकते हैं आसाराम बापू जी.
सलमान खान ने अगर बीइंग ह्यूमन एनजीओ के द्वारा दूसरों की मदद करना शुरू किया तो यहाँ पर भी बाबा पीछे नहीं रहे, आसाराम ने अपने कार्यक्रमों के दौरान मुफ्त भोजन जैसी सुविधाएं शुरू की थीं. और तो और उनके गुजरात और मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्थित आश्रम मुफ्त में लोगों को देशी दवाएं भी बांटते हैं. इस वजह से देश के ग्रामीण इलाकों में उनको जबरदस्त फैन फॉलोइंग मिली है, शायद सलमान खान से भी ज्यादा। अब इतना होने पर तो उनका रेप केस से बरी होना बनता था.
एक सेलिब्रिटी वाली छवि होने के बाद भी पिछले 4 सालों से आसाराम जेल की सलाखों के पीछे हैं और अपनी रिहाई के सपने देख रहे हैं. ये गलत है, उनको भी सलमान की तरह आजाद होने का पूरा हक है. तो क्या हुआ उनपर एक नाबालिक से बलात्कार का आरोप है. इस बात से उनकी छवि पर तो कोई असर नहीं पड़ा, ना तो उनके भक्त काम हुए ना ही उनपर भक्तों की अंधभक्ति।
मुझे याद है, साल 2015 की एक घटना, शायद जून का महीना था और पूरा इंदौर गर्मी से बेहाल था. ऑफीशियल मीटिंग के लिए मैं इंदौर पंहुचा ही था की होटल के रास्ते में एक बेहद बड़े जाम में फंस गया. मेरी कार आधे घंटे से जाम में फांसी हुई थी. पूछने पर पता चला कि आसाराम बापू के सैकड़ों भक्त चौराहे पर उनकी आदमकद तस्वीर रख कर भजन और उनकी रिहाई के लिए प्रार्थना कर रहे थे. बड़ी मुश्किल से जाम ख़त्म हुआ और मैं ऑफिस पहुंच पाया। जब इस घटना का जिक्र मैंने अपने सहकर्मियों से किया तो पता चला उनमें से कितने ही लोग आसाराम के भक्त थे और वो भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करके जाम लगाने के जिम्मेदार थे.
सुनकर अजीब लगा, एक तरफ हम निर्भया, उन्नाव और कठुआ रेप केस का विरोध करते हैं, कैंडिल मार्च निकालते हैं, सोशल मीडिया पर विरोध का कैम्पेन चलाते हैं. आमिर खान के असहिष्णुता पर बयान की वजह से एक इ-कॉमर्स ऐप को डिलीट करना शुरू कर देते हैं क्योकिं आमिर खान उस ब्रैंड को इंडोर्स करते थे. वहीं दूसरी तरफ अपने आराध्य आसाराम बापू की तरफ से आँखे मूँद लेते हैं और उनकी रिहाई के लिए पहले भजन - कीर्तन से शुरुआत करते हैं और तोड़-फोड़ तक पहुंच जाते हैं.
अब जब देश में ऐसे बाबा को भगवान की तरह पूजा जाता हो तो उस देश की कोर्ट को किसी ने ये अधिकार नहीं दिया कि वो बाबा को जेल की सलाखों के पीछे रखें। उस देश के एक क्या सभी बाबा का बरी होना तो बनता ही हैं जहां किसी नाबालिक की इज़्ज़त से ज्यादा बाबा के भक्तों की अंध-श्रद्धा मायने रखती है. ऐसे माहौल में आसाराम बापू को दोषी करार देना चुभता है. उनको भी खुली हवा में सांस लेने का अधिकार है, उनको अधिकार है नाबालिक - बालिक बच्चियों और महिलाओं से बलात्कार करने का, क्यूंकि अंधभक्ति में हमने अपनी आंखे बंद कर ली हैं, हमें ऐसे बाबा लोगों के कुकर्म दिखते ही नहीं हैं. हम तो सिर्फ भक्त बन के रह गए हैं, ना ही हम माँ-बाप रहे हैं, ना ही भाई और ना ही इंसान।
तो मैं भी इस मरे हुए समाज में अपनी मरी हुई आत्मा द्वारा भगवान से आसाराम बापू की रिहाई की प्रार्थना करता हूँ.