अरविंद कुमार सिंह का ब्लॉग: भारतीय रेल की खानपान सेवाएं कब सुधरेंगी?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 9, 2019 07:36 AM2019-04-09T07:36:21+5:302019-04-09T07:36:21+5:30
1999 में रेल मंत्नालय ने आईआरसीटीसी की स्थापना जिस मकसद से की थी उसमें कई में वह सफल रहा. पर्यटन और ई-टिकटिंग में इसने काफी बेहतरीन काम किया है.
बेहद प्रतिष्ठित दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस में सवार करीब 56 यात्नी रेलवे की ओर से परोसा खराब खाना खाने से 6 अप्रैल को बीमार हो गए. जब ट्रेन में खाना परोसा गया तो कानपुर स्टेशन पहुंचने से पहले ही कई यात्रियों ने खाद्य विषाक्तता की शिकायत की थी. डॉक्टरों ने उनकी जांच की और भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए उसके नमूने लिए गए.
इस गाड़ी में खानपान सेवा के ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस आईआरसीटीसी की ओर से जारी किया गया है.
रेलवे की खानपान सेवा की खराबी का यह कोई पहला मामला नहीं है. बीते अक्तूबर महीने में गोवा से मुंबई जा रही तेजस एक्सप्रेस में 26 यात्रियों को खाद्य विषाक्तता हो गई थी जिसमें से तीन की हालत तो इतनी खराब रही कि उनको आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा. जब प्रतिष्ठित गाड़ियों में ऐसा हो रहा है तो आम मुसाफिरों के साथ क्या हो रहा होगा इसकी सहज कल्पना की जा सकती है. रेलगाड़ियों और रेलवे स्टेशनों पर खराब खाने की शिकायतें काफी होती हैं. रेलवे ने 2016-17 के दौरान 16 बड़े कैटर्स को सेवा से हटा दिया और चूक के लिए 4.87 करोड़ रु. का जुर्माना भी लगाया गया.
रेलगाड़ियों एवं रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के भोजन की गुणवत्ता को लेकर रेल मंत्नालय ने भी कई बार उच्चस्तरीय बैठक बुलाई. खानपान की निगरानी के लिए 300 अतिरिक्त फूड निरीक्षकों की फौज उतारने का फैसला किया गया. बहुत सी नई पहल भी हुई लेकिन बीच-बीच में ऐसे मामले बताते हैं कि स्थिति बेहतर नहीं है. इससे पहले भारत के सीएजी ने भारतीय रेल की खानपान सेवा को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि रेलगाड़ियों में परोसा जाने वाला खाना इंसानों के खाने लायक नहीं.
क्सपायर हो चुकी खाद्य वस्तुओं को बेचना, साफ-सफाई के प्रति बेरुखी और अधिक बिल लेने जैसी बातें सीएजी और रेलवे की साझा टीम ने 80 रेलगाड़ियों में की गई साझा पड़ताल में रंगे हाथों पकड़ीं.
1999 में रेल मंत्नालय ने आईआरसीटीसी की स्थापना जिस मकसद से की थी उसमें कई में वह सफल रहा. पर्यटन और ई-टिकटिंग में इसने काफी बेहतरीन काम किया है. लेकिन खानपान सेवा के मामले में नीतिगत बदलावों और तमाम कारणों से यह अपेक्षित सफल नहीं हो पाया. हालांकि नोएडा के इसके पहले सेंट्रल किचन में बेहतरीन सुविधाएं हैं. यहां रोज 10,000 लोगों का खाना और 6,000 लोगों का नाश्ता तैयार होता है.
कई बड़ी कंपनियां इसकी ग्राहक हैं. नई दिल्ली के बेस किचन की विश्व स्तर पर सराहना हुई. रेलवे चाहे तो अपने नियंत्नण में विभागीय सेवा को ही मजबूत बना कर तमाम शिकायतों को दूर कर सकता है क्योंकि अच्छे खानपान के लिए मुसाफिर धन देने के लिए तैयार हैं.