अमित शाह ने पार्टी को फूट से बचाने के लिए बनाया शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और रमन सिंह को 'राष्ट्रीय उपाध्यक्ष'
By विकास कुमार | Published: January 12, 2019 03:00 PM2019-01-12T15:00:21+5:302019-01-12T16:48:57+5:30
वसुंधरा राजे हाल ही में दिल्ली आई हुईं थी. अमित शाह और अरुण जेटली से भी उनकी मुलाकात हुई. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि लोकसभा चुनाव तक राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष के पद को नहीं भरा जायेगा.
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने नेतृत्व के स्तर पर बड़ा बदलाव किया है. हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों में हार के बाद पार्टी ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को केंद्र में वापस बुलाने का संकेत दिया है. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. कहा जा रहा है कि तीनों नेताओं को इनकी इच्छा के विपरीत ये पद दिया गया है.
शिवराज विरोधी गुट सक्रिय
मध्य प्रदेश के चुनाव में भाजपा की हार के बाद शिवराज सिंह चौहान पार्टी में अपने विरोधियों के सक्रिय होने से पहले ही एक्टिव हो गए और प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में लोगों से घूम-घूम कर मिलने लगे. मध्य प्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय के गुट को शिवराज विरोधी कहा जाता है. कैलाश विजयवर्गीय को अमित शाह का करीबी माना जाता है. चुनाव में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इस पर राजी नहीं हुआ.
केंदीय नेतृत्व ने शिवराज को साफ लफ्जों में कहा कि प्रदेश के सवर्ण पार्टी से नाराज हैं, ऐसे में नेता प्रतिपक्ष का पद किसी उच्च जाति के नेता को ही मिलना चाहिए. खुद को नकारे जाने के बाद शिवराज ने अपने खेमे के दो सवर्ण नेताओं के नाम का सुझाव भेजा, जिसमें नरोतम मिश्र का नाम भी शामिल था. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि शिवराज विरोधी गुट के सक्रिय होने के बाद उनकी इस मांग को भी खारिज कर दिया गया. ऐसे में संघ और केंद्रीय नेतृत्व के करीबी माने जाने वाले गौतम भार्गव को नेता प्रतिपक्ष का पद सौंपा गया.
भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने 15 साल से सत्ता में काबिज शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह को साफ संदेश दे दिया है कि उन्हें अब प्रदेश की राजनीति से संन्यास लेना होगा. रमन सिंह के खिलाफ भी इसी तरह की स्थिति सामने आई है. उनके खिलाफ भी विरोधी गुट सक्रिय हो चुके हैं. सरोज पाण्डेय और रामदास अग्रवाल जैसे नेताओं के विरोध के कारण उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं सौंपा गया. रमन सिंह को राजनांदगांव से इस बार चुनाव लड़ना होगा तो वहीं शिवराज सिंह चौहान विदिशा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं.
वसुंधरा ने दिया अल्टीमेटम
वसुंधरा राजे हाल ही में दिल्ली आई हुईं थी. अमित शाह और अरुण जेटली से भी उनकी मुलाकात हुई. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि लोकसभा चुनाव तक राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष के पद को नहीं भरा जायेगा. राजे ऐसे भी 2009 से ही बीजेपी नेतृत्व को झुकाती आई हैं. पहले राजनाथ सिंह को और अब अमित शाह को. वसुंधरा झालावाड़ा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. इन तीनों नेताओं का केंद्र की राजनीति में जाना अनायास नहीं है बल्कि इसके पीछे अमित शाह की सोची समझी रणनीति है.