अधूरी जानकारी के बल पर कोई धारणा बनाना ठीक नहीं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 14, 2025 09:33 IST2025-07-14T09:33:11+5:302025-07-14T09:33:11+5:30

पायलटों का जो दो लाइन का संवाद है, उसे सहज भाव से देखें तो वास्तव में कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता, इसलिए आधी-अधूरी जानकारी के बल पर कोई धारणा बनाने के बजाय विस्तृत रिपोर्ट के आने का इंतजार करना ही बेहतर होगा.

Air India plane crash It is not right to make any assumption based on incomplete information | अधूरी जानकारी के बल पर कोई धारणा बनाना ठीक नहीं

अधूरी जानकारी के बल पर कोई धारणा बनाना ठीक नहीं

पिछले माह 12 जून को एयर इंडिया की अहमदाबाद-लंदन फ्लाइट (बोइंग एआई-171) दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. शुक्रवार रात करीब ढाई बजे जारी की गई रिपोर्ट में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग से सिर्फ दो पंक्तियों का संवाद सामने आया है. एक पायलट पूछता है कि ‘तुमने कट-ऑफ (ईंधन बंद) क्यों किया’ और दूसरा पायलट जवाब में कहता है कि ‘नहीं, मैंने नहीं किया’. 

इन दो पंक्तियों के संवाद से दुनियाभर में दुनियाभर के कयास लगाए जा रहे हैं. कोई पायलटों की गलती होने की आशंका जता रहा है तो कोई तकनीकी गड़बड़ी होने का संदेह व्यक्त कर रहा है. प्रारंभिक रिपोर्ट में विमान कंपनी बोइंग और इंजन निर्माता जीई का जिक्र नहीं होने से कुछ लोग इसे उनके लिए क्लीन चिट भी मान रहे हैं. 

शायद इन कयासों से बनने वाली धारणाओं का ही नतीजा है कि एयरलाइन पायलट्‌स एसोसिएशन को कहना पड़ा कि ‘प्रारंभिक रिपोर्ट के बिंदु और दिशा पायलट की गलती का संकेत देते हैं. हम इसे खारिज करते हैं. योग्य, अनुभवी कर्मियों को अभी भी जांच दल में शामिल नहीं किया जा रहा है.’ 

हालांकि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने स्पष्ट कहा है कि ‘ये शुरुआती जांच रिपोर्ट है, अंतिम रिपोर्ट आने तक आधिकारिक निष्कर्ष नहीं निकाला जाएगा.’ लेकिन एकदम शुरुआती रिपोर्ट को लेकर ही जैसी तरह-तरह की बातें हो रही हैं, उससे कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि अंतिम रिपोर्ट पर भी उसकी छाया पड़े या उसे कुछ लोग संदेह की नजर से देखें! 

पायलटों का जो दो लाइन का संवाद है, उसे सहज भाव से देखें तो वास्तव में कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता, इसलिए आधी-अधूरी जानकारी के बल पर कोई धारणा बनाने के बजाय विस्तृत रिपोर्ट के आने का इंतजार करना ही बेहतर होगा. हां, पहले की जिन चेतावनियों को नजरंदाज किए जाने की बातें कही जा रही हैं, उनकी छानबीन अवश्य होनी चाहिए. 

जैसे बताया जा रहा है कि दुर्घटनाग्रस्त विमान की पिछली उड़ान (दिल्ली-अहमदाबाद) के ठीक बाद पायलटों द्वारा चेतावनी दर्ज कराई गई थी कि विमान का संतुलन बनाने वाला सेंसर फेल हो सकता है. लेकिन पायलट द्वारा यह अलर्ट देने के डेढ़ घंटे के ही भीतर विमान की उड़ान को मंजूरी दे दी गई. 

दिल्ली से अहमदाबाद की उस यात्रा के दौरान ही एक यात्री ने विमान के भीतर का वीडियो बनाया था, जिसमें दिख रहा है कि कोई भी बटन काम नहीं कर रहा है. एसी नहीं चलने से यात्री परेशान हैं. यह भी कहा जा रहा है कि फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन(एफएए) ने वर्ष 2018 में ही 737 जेट्स में स्विच की समस्या की चेतावनी दी थी, लेकिन एयर इंडिया ने निरीक्षण नहीं किया. 

तर्क यह दिया गया कि एफएए ने इसे खतरनाक स्थिति नहीं माना था. वास्तव में जांच इन सारी चीजों की होनी चाहिए, लेकिन बवाल हादसे की अधूरी रिपोर्ट को लेकर किया जा रहा है. अगर निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा बनाए जाने वाले दबाव का प्रभाव जांच की अंतिम रिपोर्ट में पड़ा तो सचमुच ही यह बहुत बड़ी विडंबना होगी. 

केंद्रीय मंत्री नायडू ने उम्मीद जताई है कि जांच की फाइनल रिपोर्ट जल्द से जल्द आएगी. आधी-अधूरी जानकारी लीक करने के बजाय वास्तव में फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही उसे जारी करना चाहिए था, क्योंकि कहावत भी है कि अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है!

Web Title: Air India plane crash It is not right to make any assumption based on incomplete information

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