परियोजनाओं में देरी के नुकसान की जवाबदेही तय हो

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 9, 2023 03:05 PM2023-03-09T15:05:01+5:302023-03-09T15:05:01+5:30

परियोजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने से होने वाला नुकसान इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाता है कि परियोजनाओं की देरी के चलते लाखों करोड़ रुपए का नुकसान होने के साथ ही लोगों को मिलने वाली सुविधाओं में भी अनावश्यक देरी होती है।

Accountability for loss of delayed projects should be fixed | परियोजनाओं में देरी के नुकसान की जवाबदेही तय हो

परियोजनाओं में देरी के नुकसान की जवाबदेही तय हो

देश में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में देरी कोई नई बात नहीं है। सरकारी परियोजनाओं में देरी के कारण सरकारी खजाने पर लाखों करोड़ रुपए का बोझ बढ़ता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की 1454 परियोजनाओं में से 871 परियोजनाएं अपने मूल समय से पीछे हैं। कुछ परियोजनाएं तो 1000 करोड़ रुपए से अधिक की हैं, जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब की अवधि और बढ़ गई है।

इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग डिवीजन (आईपीएमडी) परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा ऑनलाइन कम्प्यूटरीकृत निगरानी प्रणाली पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर परियोजनाओं की निगरानी करती है। इनमें 150 करोड़ रुपए और उससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की सभी बुनियादी परियोजनाएं शामिल होती हैं। यह रिपोर्ट वहीं की है। अधिकांश देरी सड़कों, रेलवे और पेट्रोलियम क्षेत्रों में देखी जा रही है।

हमारे देश में आखिर परियोजनाओं को पूरा करने में इतना विलंब क्यों होता है? इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन प्रमुख कारण सरकारी सिस्टम के काम करने का तरीका है। इसमें निर्णय न लेना या निर्णय लेने में विलंब करना है। हर स्तर पर निर्णय लेने में इतनी देरी होती है कि परियोजना की लागत कई गुना बढ़ जाती है। परियोजनाओं में देरी भूमि अधिग्रहण में देरी, वन-पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने, बुनियादी ढांचे के समर्थन की कमी, परियोजना के वित्तपोषण में देरी और कानून व्यवस्था के मुद्दों के कारण भी होती है, हालांकि, कोरोना महामारी के कारण भी बड़ा व्यवधान आया है।

परियोजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने से होने वाला नुकसान इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाता है कि परियोजनाओं की देरी के चलते लाखों करोड़ रुपए का नुकसान होने के साथ ही लोगों को मिलने वाली सुविधाओं में भी अनावश्यक देरी होती है। इसके साथ ही विकास का पहिया भी धीमा हो जाता है। तय समय सीमा में यदि ये परियोजनाएं पूरी हो जातीं तो इन पर जो अतिरिक्त व्यय हो रहा है, उससे देश में कई छोटी-बड़ी नई परियोजनाएं शुरू कर विकास की नई इबारत लिखी जा सकती थी।

परियोजनाओं की देरी के कारण सीधे-सीधे जनता के धन की बर्बादी हो रही है। परियोजनाएं कोई भी हों प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से देशवासी इन योजनाओं से प्रभावित होते हैं। यह भी सही है कि एक परियोजना से जुड़े लोगों के अलावा भी अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार या अन्य लाभ होते हैं। इसके साथ ही किसी भी क्षेत्र की कोई भी परियोजना हो वह देश के विकास को नई दिशा देती है।

देखा जाए तो परियोजनाओं का तय समयसीमा में पूरा नहीं होना अपने आप में गंभीर मामला है। किसी भी परियोजना के विलंब की स्थिति में जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और जिम्मेदारों को सजा का प्रावधान होना चाहिए। क्योंकि सरकारी धन वास्तव में जनता की कड़ी मेहनत का सरकार द्वारा टैक्स के रूप में वसूला हुआ धन है। ऐसे में एक-एक पैसे का उपयोग सोच समझ कर किया जाना चाहिए। परियोजनाओं के क्रियान्वयन में बाधक बनने वालों पर भी सरकार को सख्ती करनी होगी ताकि सरकारी धन का अपव्यय रोका जा सके।

Web Title: Accountability for loss of delayed projects should be fixed

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