अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः समुद्र के पानी से प्यास बुझाने की कवायद

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: July 12, 2019 09:21 AM2019-07-12T09:21:45+5:302019-07-12T09:21:45+5:30

हर साल गर्मियों में वहां पीने तक का पानी कम पड़ जाता है और इस साल तो बाकायदा ऐलान कर दिया गया था कि 19 जून के बाद चेन्नई में पानी नहीं होगा. 

Abhishek Kumar Singh's blog: The drunkenness of sea water drill | अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः समुद्र के पानी से प्यास बुझाने की कवायद

अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः समुद्र के पानी से प्यास बुझाने की कवायद

देश में बढ़ते पेयजल संकट की इससे बदसूरत तस्वीर और क्या होगी कि समुद्र तट पर स्थित महानगर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई बीते कई वर्षो से पानी की सप्लाई के लिए सौ किमी दूर से लाए जाने वाले महंगे टैंकरों पर आश्रित है. हर साल गर्मियों में वहां पीने तक का पानी कम पड़ जाता है और इस साल तो बाकायदा ऐलान कर दिया गया था कि 19 जून के बाद चेन्नई में पानी नहीं होगा. 

चेन्नई समेत देश के 21 शहरों में अगले साल तक भीषण जलसंकट पैदा होने की घोषणा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्टो में की जा चुकी है. हालांकि जहां तक चेन्नई जैसे तटीय शहरों की बात है, तो यह बात किसी को भी हैरान कर सकती है कि आखिर ठाठें मारता वह समुद्र इन शहरों की प्यास क्यों नहीं बुझा पाता, जिसके किनारे पर ये मौजूद हैं. क्यों नहीं समुद्र के खारे पानी को साफ कर लोगों को यहां के सतत जलसंकट से निजात दिलाई जाती.

इधर इसका अहसास नीति आयोग को भी हुआ है. बताते हैं कि सरकार का यह थिंक टैंक यानी नीति आयोग जल्द ही ऐसी योजना पेश करेगा, जिसका मकसद देश की 7,800 किमी लंबी तटीय रेखा पर समुद्री पानी से नमक को अलग कर उसे साफ पीने के पानी में बदलने वाले प्लांट लगाना होगा. यह साफ पानी शहरों और दूरदराज के क्षेत्नों में पाइप लाइन के जरिए सप्लाई होगा.
 
समुद्री पानी को छानने की यह प्रक्रिया डिसैलिनेशन कहलाती है. नीति आयोग डिसैलिनेशन की तकनीक सामने रखेगा, जिसके इस्तेमाल से समुद्रतटीय राज्य डिसैलिनेशन प्लांट लगाकर पेयजल की कमी दूर सकते हैं. जहां तक इस तकनीक के इस्तेमाल की बात है, तो इसको खास तौर से मिडिल ईस्ट के लिए बनाया गया है. साथ ही, स्पेन, चीन, ब्रिटेन, हवाई, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी ऐसे डिसैलिनेशन प्लांट लगाए जा रहे हैं. 

भारत में  तमिलनाडु सरकार ने शहर का जल संकट दूर करने के मकसद से समुद्र के पानी को मीठे जल में तब्दील करने के लिए दो प्लांट लगाए हैं.  गुजरात ने भी पानी की समस्या का समाधान करने के लिए राज्य के कई इलाकों में खारे पानी को साफ करने के प्लांट लगाने का फैसला किया है. लेकिन इससे पहले इसके प्रयोगों को अमल में लाते वक्त हमें बाकी दुनिया के अनुभवों पर गौर करना चाहिए. 

असल में डिसैलिनेशन की योजनाओं को लेकर सबसे बड़ा ऐतराज आर्थिक है. हालांकि रिवर्स ऑस्मोसिस, यानी नमक छान कर मीठा पानी बनाने की लागत हर साल घट रही है, लेकिन अब भी यह मौजूदा वाटर सप्लाई से काफी महंगी है. दूसरा ऐतराज पर्यावरण से जुड़ा है. समुद्रों में जिन किनारों पर डिसैलिनेशन प्लांट लगाए जाएंगे, वे पानी छानने की प्रक्रिया में समुद्री जीवों पर कहर बरपा सकते हैं.

Web Title: Abhishek Kumar Singh's blog: The drunkenness of sea water drill

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