अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः चुनौती क्यों बन गई है लू की आपदा?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 29, 2020 06:41 AM2020-05-29T06:41:28+5:302020-05-29T06:41:28+5:30
पूरा देश इस समय भयंकर गर्मी और लू की चपेट में है. दक्षिण के पठार से लेकर उत्तर भारत के मैदानी इलाके तक बुरी तरह तपने लगे हैं.
मौसम विभाग देश के अलग-अलग हिस्सों में लू की प्रचंडता के मुताबिक रेड और यलो अलर्ट घोषित कर हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब, पूर्वी यूपी और राजस्थान के लोगों को सचेत कर रहा है, पर इस बीच इस सूचना ने हैरान कर दिया है कि मई के आखिरी हफ्ते के दो दिनों (26-27 मई) के बीच दुनिया के 15 सबसे गर्म स्थानों में 10 स्थान भारत के रहे हैं. आंकड़ों में देखें तो राजस्थान का चुरु 50 डिग्री सेल्सियस तापमान को छू चुका है. दूसरे इलाके भी चुरु से ज्यादा पीछे नहीं रहे हैं, जैसे दिल्ली (47.6 डिग्री सेल्सियस), राजस्थान का बीकानेर (47.4 डिग्री), गंगानगर (47 डिग्री), यूपी का झांसी (47 डिग्री), पिलानी (46.9 डिग्री), नागपुर-सोनेगांव (47 डिग्री), महाराष्ट्र का अकोला (47.4 डिग्री सेल्सियस) साबित कर रहा है कि बढ़ती गर्मी और लू कितनी बड़ी समस्या बन सकती है.
मौसम विभाग बताता है कि जब हवा में नमी नाममात्न को नहीं रह जाए तो ऐसी स्थितियों में आसमान में तपता सूरज शुष्क हवा को बहुत तेजी से गर्म करता है. इन स्थितियों में सतह के नजदीक रहने वाली हवा भी गर्म होकर ऊपर उठती है और लू के थपेड़ों में बदल जाती है. दावा किया जा रहा है कि पिछले एक दशक में लगातार गर्मी कायम रहने की जैसी स्थितियां इधर बनी हैं, वैसी पहले कभी नहीं हुईं. इसमें एक भूमिका मौसमी परिघटना अल नीनो की भी देखी जाती रही है. इसकी सक्रियता के बारे में मौसम विभाग समय-समय पर सचेत करता रहता है.
असल में अल नीनो के कारण प्रशांत महासागर का पानी बेहद गर्म हो जाता है, जिससे समुद्री हवाएं एशियाई भूभाग की ओर मुड़ नहीं पाती हैं. यदि ये हवाएं यहां आ जाएं तो उनसे जमीनी सतह का तापमान कम हो सकता है. हालांकि इसे इस तरह भी देखा जा रहा है कि यह प्रचंड गर्मी मानसूनी बादलों के आने का रास्ता बना रही है.
आंकड़े बताते हैं कि 1992 से 2016 के बीच देश में सिर्फ लू से मरने वालों की संख्या 25 हजार से ज्यादा रही है. पर लू को इसके बावजूद राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया जाता. सरकारों को शायद लू की कोई फिक्र इसलिए नहीं होती क्योंकि इससे प्रभावित होने या मरने वालों में ज्यादातर गरीब होते हैं!