अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: वैक्सीन संकट के दौर में पेटेंट की चुनौती

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: May 17, 2021 21:36 IST2021-05-17T21:33:46+5:302021-05-17T21:36:55+5:30

कोरोना वैक्सीन के पेटेंट का मसला पिछले साल उठा था. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंच पर भारत और दक्षिण अफ्रीका ने सबसे पहले यह प्रस्ताव रखा था.

Abhishek Kumar Singh Blog: coronavirus and how to resolve Patent Challenges | अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: वैक्सीन संकट के दौर में पेटेंट की चुनौती

अमेरिका द्वारा वैक्सीन पेटेंट के दावे को छोड़ना एक बड़ा कदम (फाइल फोटो)

एक ऐसे वक्त में जबकि पूरी दुनिया कोरोना महामारी के सामने पस्त पड़ी है और इलाज की हर कोशिश मरीजों में नई उम्मीद की रोशनी जगाती प्रतीत होती है, वैक्सीन के निर्माण के मामले में अमेरिका द्वारा इसके पेटेंट के दावे को छोड़ना एक बड़ी बात माना जाएगा. अमेरिका के बाद यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने भी वैक्सीन पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स से जुड़ी सुरक्षा छोड़ने को सहमति दर्शाई है.

वैक्सीन के पेटेंट का मसला पिछले साल तब उठा था, जब विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंच पर भारत और दक्षिण अफ्रीका ने सबसे पहले यह प्रस्ताव रखा था कि अगर सभी देश कोरोना वैक्सीनों पर अपने पेटेंट का अधिकार छोड़ दें तो इससे दुनिया की तमाम फार्मा कंपनियों को ये टीके बनाने की आजादी मिल जाएगी और जरूरत के मुताबिक टीके तेजी से बनाए जा सकेंगे. 

कहा गया कि दुनिया भर की फार्मास्युटिकल और वैक्सीन उत्पादक कंपनियां किसी तरह की मुकदमेबाजी की आशंका के बगैर टीका बनाना सीख सकेंगी. भारत ने स्वदेशी कोरोना वैक्सीन बनाने के बाद जब दुनिया के कई देशों को मुफ्त टीका बांटने का अभियान- वैक्सीन मैत्री शुरू किया तो साथ में कोरोना वैक्सीनों को पेटेंट से आजाद कराने की मुहिम भी शुरू की. 

भारत ने तर्क दिया कि इस समय कोरोना के असर को देखते हुए इसकी वैक्सीनों को पेटेंट मुक्त करने का फायदा यह होगा कि छोटे और आर्थिक तौर पर कमजोर देश भी कम कीमत पर टीका खरीद सकेंगे.  

कोराना वैक्सीन को पेटेंट-मुक्त कराने की जरूरत खास तौर से इसलिए है क्योंकि ज्यादातर फार्मा कंपनियां जल्दबाजी में बनाई गई वैक्सीनों के शोध और निर्माण पर हुए खर्च की जल्द से जल्द भरपाई करना चाहती हैं. 

इस पर समस्या यह है कि पेटेंट कानूनों की वजह से वे अन्य कंपनियां ये टीके नहीं बना सकती हैं जो मानवता के हित में ऐसा करना चाहती हैं और जिनके पास इन्हें बनाने लायक इंफ्रास्ट्रक्चर भी है. चंद कंपनियों के पेटेंट एकाधिकार के चलते टीकों की कीमतें भी काफी ज्यादा हैं. 

इन्हीं समस्याओं के मद्देनजर भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन तक से अपील की थी कि वह कोरोना की वैक्सीन को बौद्धिक संपदा अधिकार (पेटेंट कानून) की श्रेणी से बाहर निकाले ताकि इनकी कीमतें कम की जा सकें.

Web Title: Abhishek Kumar Singh Blog: coronavirus and how to resolve Patent Challenges

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