विश्व होम्योपैथी दिवस: सस्ती कीमत पर 'चमत्कार' करने वाली लोकप्रिय चिकित्सा प्रणाली है होम्योपैथी
By योगेश कुमार गोयल | Published: April 10, 2023 09:24 AM2023-04-10T09:24:26+5:302023-04-10T09:30:15+5:30
‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है. जर्मन मूल के डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन ‘होम्योपैथी’ के जनक माने जाते हैं. उन्हीं के जन्मदिवस के अवसर पर यह दिन मनाया जाता है.
‘होम्योपैथी’ के जनक माने जाने वाले जर्मन मूल के डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन के जन्मदिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष 10 अप्रैल को दुनियाभर में ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ मनाया जाता है. डॉ. हैनीमैन जर्मनी के विख्यात डॉक्टर थे, जिनका जन्म 10 अप्रैल 1755 को और निधन 2 जुलाई 1843 को हुआ था. डॉ. हैनीमैन चिकित्सक होने के साथ-साथ एक महान विद्वान, शोधकर्ता, भाषाविद् और उत्कृष्ट वैज्ञानिक भी थे, जिनके पास एमडी की डिग्री थी लेकिन उन्होंने बाद में अनुवादक के रूप में कार्य करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी.
उसके बाद उन्होंने अंग्रेजी, फ्रांसीसी, इतालवी, ग्रीक, लैटिन इत्यादि कई भाषाओं में चिकित्सा वैज्ञानिक पाठ्यपुस्तकों को सीखा. होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो औषधियों तथा उनके अनुप्रयोग पर आधारित है. होम्योपैथी को आधार बनाने के सिद्धांत से चिकित्सा विज्ञान की एक पूरी प्रणाली को प्राप्त करने का श्रेय डॉ. हैनीमैन को ही जाता है इसीलिए उनके जन्मदिवस को ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
देश में प्रतिवर्ष केंद्रीय आयुष मंत्रालय होम्योपैथी दिवस की थीम निर्धारित करता है और देशभर में यह विशेष दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस साल की थीम है ‘वन हेल्थ, वन फैमिली’ जबकि 2022 की थीम थी ‘होम्योपैथी: पीपुल्स च्वाइस फॉर वेलनेस’.
भारत में होम्योपैथी सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. देशभर में 210 से ज्यादा होम्योपैथी अस्पताल, 8 हजार से ज्यादा होम्योपैथी डिस्पेंसरी और करीब तीन लाख होम्योपैथी प्रैक्टिशनर हैं. सही मायनों में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति सस्ती कीमत पर चमत्कार करती है. होम्योपैथिक दवाएं कम लागत वाली बेहद प्रभावी और रुचिकर होती हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता.