स्वच्छता, विज्ञान और संकल्प ही है मलेरियामुक्त विश्व की राह

By योगेश कुमार गोयल | Updated: April 25, 2025 19:23 IST2025-04-25T19:23:28+5:302025-04-25T19:23:32+5:30

विशेष रूप से प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम का संक्रमण अत्यंत घातक हो सकता है

Cleanliness science and determination are the only way to a malaria-free world | स्वच्छता, विज्ञान और संकल्प ही है मलेरियामुक्त विश्व की राह

स्वच्छता, विज्ञान और संकल्प ही है मलेरियामुक्त विश्व की राह

मलेरिया एक ऐसी पुरानी बीमारी है, जो आज भी मानवता के सामने एक गंभीर चुनौती बनी हुई है. यह रोग न केवल जीवन को संकट में डालता है बल्कि देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं पर भी भारी दबाव डालता है. यह मुख्यतः एक परजीवीजनित रोग है, जो संक्रमित एनोफेलीज मादा मच्छर के काटने से फैलता है.

जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटती है तो वह प्लाज्मोडियम नामक परजीवी को शरीर में प्रविष्ट कर देती है, जो यकृत और लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है. परिणामस्वरूप व्यक्ति को तेज बुखार, कंपकंपी, सिरदर्द, उल्टी, और अत्यधिक कमजोरी जैसी परेशानियां होने लगती हैं. समय रहते इलाज न हो तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है.

हर वर्ष 25 अप्रैल को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट के प्रति जनमानस में जागरूकता फैलाना और इसके उन्मूलन के प्रयासों को सुदृढ़ करना होता है. यह दिवस विश्व स्तर पर यह संदेश देने का कार्य करता है कि मलेरिया जैसी घातक बीमारी को नियंत्रित करना और समाप्त करना केवल सरकारों या स्वास्थ्य संगठनों की नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है.

वर्ष 2025 में यह दिवस  ‘मलेरिया का अंत हमारे साथ: पुनर्निवेश, पुनर्कल्पना, पुनर्जागृति’ थीम के तहत मनाया जा रहा है, जो इस विचार को केंद्र में रखता है कि मलेरिया को समाप्त करने की जिम्मेदारी हम सभी की है. इस वर्ष की थीम तीन प्रमुख स्तंभों को रेखांकित करती है, पुनः निवेश (रिइन्वेस्ट), पुनः कल्पना (रिइमेजिन) और पुनः प्रेरणा (रिइग्नाइट). ये तीनों पहलू मलेरिया के उन्मूलन के लिए नई ऊर्जा, नवाचार और वैश्विक सहभागिता का आह्वान करते हैं.

आज भी मलेरिया की सबसे पहली और प्रभावी रोकथाम की पंक्ति है, मच्छरों के प्रजनन को रोकना. यह कार्य जितना सरल दिखता है, उतना ही महत्वपूर्ण भी है. गंदे और ठहरे हुए जल स्रोतों की नियमित सफाई, मच्छरदानी का प्रयोग, कीटनाशकों का छिड़काव और घर के आसपास स्वच्छता बनाए रखना, यह सब मलेरिया से बचाव के सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय हैं. विशेष रूप से गर्मी और बरसात के मौसम में मलेरिया के मामले अधिक सामने आते हैं क्योंकि यही वह समय होता है, जब मच्छरों की आबादी तेजी से बढ़ती है. अतः इन मौसमों में अतिरिक्त सतर्कता और साफ-सफाई बेहद जरूरी हो जाती है.

मलेरिया के लक्षणों की बात करें तो अक्सर यह सामान्य वायरल बुखार की तरह प्रतीत होता है, लेकिन इसमें विशेष रूप से तेज बुखार, कंपकंपी, अत्यधिक पसीना, सिरदर्द, उल्टी और कमजोरी जैसे लक्षण दिखते हैं. गंभीर मामलों में यह रोग मस्तिष्क, गुर्दे और अन्य अंगों पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है. विशेष रूप से प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम का संक्रमण अत्यंत घातक हो सकता है, जो यदि समय पर न पकड़ा जाए तो कोमा और मृत्यु तक ले जा सकता है. इसलिए मलेरिया का समय रहते परीक्षण और उचित इलाज अनिवार्य है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 और 2022 में मलेरिया के कारण क्रमशः 6.19 लाख और 6.08 लाख लोगों की मृत्यु हुई. इनमें से अधिकांश मौतें अफ्रीका और दक्षिण एशिया के गरीब और पिछड़े क्षेत्रों में हुईं.

Web Title: Cleanliness science and determination are the only way to a malaria-free world

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