राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: हिंदी में विद्यार्थियों के अनुत्तीर्ण होने के मायने

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 20, 2020 12:55 PM2020-07-20T12:55:40+5:302020-07-20T12:55:40+5:30

साल 2020 की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में तकरीबन 59.6 लाख विद्यार्थियों ने भाग लिया. इनमें से करीब 8 लाख विद्यार्थी हिंदी की परीक्षा में फेल हो गए हैं.

Rajesh Kumar Yadav's blog: Meaning of failure of students in Hindi | राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: हिंदी में विद्यार्थियों के अनुत्तीर्ण होने के मायने

सांकेतिक तस्वीर (File Photo)

उत्तर प्रदेश बोर्ड द्वारा संचालित साल 2020 के दसवीं और बारहवीं के रिजल्ट ठीक वैसे ही हैं, जिस दिशा में हमारा समाज अपनी कहानी की दिशा गढ़ रहा है.

साल 2020 की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में तकरीबन 59.6 लाख विद्यार्थियों ने भाग लिया. इनमें से करीब 8 लाख विद्यार्थी हिंदी की परीक्षा में फेल हो गए हैं. यानी तकरीबन उत्तर प्रदेश के 13 फीसदी विद्यार्थी उस विषय में अनुत्तीर्ण हो गए, जो विषय उनकी मातृभाषा से सबसे करीबी रिश्ता रखता है.

यह केवल साल 2020 की बात नहीं है कि हिंदी का रिजल्ट बहुत खराब रहा है. साल 2018 और 2019 की स्थिति आंकड़ों के लिहाज से इससे भी कमतर रही है. 2018 में हिंदी में 11 लाख और 2019 में 10 लाख छात्र फेल हुए थे.

हिंदी भाषी प्रदेश में ही नई पीढ़ी में हिंदी को लेकर इस तरह का लचर प्रदर्शन हमें हिंदी के भविष्य को लेकर चिंतित होने पर मजबूर करता है. क्या अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की बाढ़ इसके लिए जिम्मेदार है? या फिर  समाज में उस धारणा का गहरे पैठ जाना जो अंग्रेजी को एक सम्मान का पैमाना मानती है.

बोर्ड परीक्षाओं में छात्नों के अपनी मातृभाषा में ही अनुत्तीर्ण हो जाने के कई और कारण हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, यूपी बोर्ड में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का हिंदी पाठ्यक्रम अन्य बोर्डो की तुलना में काफी जटिल है. वहीं दूसरी ओर कॉलेजों में हिंदी के शिक्षकों की भारी कमी है. प्रदेश में राजकीय कॉलेजों की संख्या 2383 है.

इनमें सात हजार शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि 18 हजार पद खाली हैं. खाली पड़े पदों में 1300 हिंदी के शिक्षकों के हैं. अनुदानित विद्यालयों में भी हिंदी शिक्षकों की कमी है.

इस दुर्दशा के लिए समाज पर हावी होती  कॉन्वेंट संस्कृति भी जिम्मेदार है. यह समाज पर इस कदर हावी हो गया है कि कॉन्वेंट स्कूलों का प्रबंधन बच्चों को इस बात की चेतावनी देने लगा है कि कैंपस में हिंदी का एक भी शब्द बोला तो जुर्माना लगेगा.

आजकल लोग मोबाइल और कम्प्यूटर पर अंग्रेजी में ही टाइप करते हैं. साथ ही आम बोलचाल में भी अंग्रेजी का ही इस्तेमाल करते हैं. इससे बच्चों की हिंदी लिखने की आदत खत्म हो रही है और विद्यार्थी ज्यादा व जल्दी नहीं लिख पाते हैं. यह भी हिंदी में फेल होने की एक वजह हो सकती है.

Web Title: Rajesh Kumar Yadav's blog: Meaning of failure of students in Hindi

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