Meghalaya murder Mystery: मोहब्बत और मौत का केमिकल लोचा!, रिश्तों के बीच ‘वो’ का भी जमाना
By विकास मिश्रा | Updated: June 24, 2025 05:58 IST2025-06-24T05:58:34+5:302025-06-24T05:58:34+5:30
Meghalaya murder Mystery: आपसी सहमति से तलाक लेने का कानून तो 1976 से लागू है! क्या यह आंकड़ा आपको हैरान नहीं करता कि हर साल औसतन 225 पत्नियां अपने पति को मौत के घाट उतार देती हैं.

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Meghalaya murder Mystery: बहुत पुरानी बात नहीं है जब दूल्हा-दुल्हन की पहली मुलाकात शादी के दौरान ही होती थी. दोनों अपरिचित होते थे, इसलिए लड़की के घर जब बारात आती थी तब वर यानी दूल्हा देखने का एक खास विधान था. दुल्हन किसी खिड़की से दूल्हे को देखती थी. फिर जनम-जनम का प्यार जन्म लेता था. आज की पीढ़ी के लिए यह सब पिछड़ी हुई सोच हो सकती है क्योंकि ये मोहब्बत का जमाना है. लेकिन दुर्भाग्य से यह उन रिश्तों के बीच ‘वो’ का भी जमाना है जिसकी परिणति कई बार हत्या तक चली जाती है.
इंदौर की कोई सोनम सुहागरात मनाने से पहले ही हनीमून के बहाने अपने नए नवेले दूल्हे राजा रघुवंशी को शिलांग की वादियों में ले जाती है और अपने आशिक के साथ मिलकर उसे मौत के घाट उतार देती है. तो मेरठ की कोई मुस्कान अपने आशिक साहिल के साथ मिलकर पति सौरभ राजपूत का कत्ल करती है और खौफनाक तरीके से ड्रम में डाल कर उसे सीमेंट से पैक भी कर देती है.
हरियाणा की रवीना प्रेमी सुरेश के साथ मिलकर अपनी चुन्नी से पति प्रवीण का गला घोंट देती है. इस तरह की और भी ढेर सारी घटनाएं हैं. इन घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर हजारों-हजार रील्स चल रहे हैं और उन रील्स को लाखों-लाख लाइक्स मिल रहे हैं. लेकिन ये गंभीर विषय है और भारत जैसे देश के लिए तो और भी गंभीर क्योंकि हमारे यहां प्रेम को बहुत सात्विक और नैसर्गिक माना गया है.
पति-पत्नी का प्रेम तो और भी मायने रखता है क्योंकि इसी ने हमारे परिवार को सुगठित रखा है. और सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि किसी के प्रेम में कोई किसी की हत्या कैसे कर सकता है? यह तो प्रकृति को भी चकरा देने वाली बात है. प्रेम अलग रसायनों का मिश्रण है और किसी की हत्या के लिए जो गुस्सा और प्रतिशोध चाहिए, उसके लिए शरीर में बिल्कुल अलग हार्मोन उत्पन्न होते हैं.
आधुनिक विज्ञान की भाषा में कहें तो प्रेम, प्यार या मोहब्बत, जो भी कह लें, उसके लिए मुख्य रूप से तीन रसायन डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन और सेरोटोनिन उत्पन्न होता है. डोपामाइन शुरुआती चरणों में उत्साह और आनंद की भावना पैदा करता है. ऑक्सीटोसिन को सामान्य भाषा में आलिंगन हार्मोन भी कहा जाता है जो शारीरिक स्पर्श से आनंद उत्पन्न करता है.
और सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर है जो मूड को नियंत्रित करता है. यही खुशी और संतुष्टि की भावनाओं से भी जुड़ा है. यदि कोई गुस्से या प्रतिशोध में है तो ये प्रेम की भावना पैदा ही नहीं हो सकती. इसके ठीक विपरीत यदि कोई व्यक्ति गुस्सा है तो उसके शरीर में एड्रेनालाईन नामक हार्मोन रिलीज होता है जो ऊर्जा देता है और तेजी से प्रतिक्रिया करने की भावना भी पैदा करता है.
नॉरएड्रेनालाईन नामक हार्मोन एड्रेनालाईन के साथ मिलकर सतर्कता को बढ़ाता है. कोर्टिसोल नाम का हार्मोन अन्य हार्मोन के साथ मिलकर शरीर को तनाव की स्थिति में प्रतिक्रिया देने में मदद करता है. स्पष्ट है कि प्रेम और गुस्सा एक साथ पैदा नहीं हो सकता. यह हो सकता है कि कोई व्यक्ति एक समय प्रेम में हो लेकिन दूसरी किसी परिस्थिति में गुस्से में हो.
मगर प्रेम की भावना इतनी कोमल होती है कि वह दिल को स्पंदित करती है. निश्चय ही ऐसा व्यक्ति किसी की हत्या नहीं कर सकता या नहीं कर सकती. किसी के प्रेम में इतना आसक्त हो जाना कि अपने सबसे करीबी रिश्ते को मौत के घाट उतार देना तो दिल दहला देता है. ऐसे रिश्तों में यदि हत्या की स्थिति पैदा होती है तो वह निश्चित रूप से मौत का केमिकल लोचा है.
यह सवाल हर किसी को परेशान कर रहा है कि मुस्कान अगर पति से इतना तंग थी या नफरत कर रही थी तो अलग हो जाती! आपसी सहमति से तलाक लेने का कानून तो 1976 से लागू है! क्या यह आंकड़ा आपको हैरान नहीं करता कि हर साल औसतन 225 पत्नियां अपने पति को मौत के घाट उतार देती हैं.
इतना ही दुर्भाग्यजनक यह भी है कि 275 पत्नियों को उनके पति ही मार डालते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2022 की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में होने वाली हत्याओं में तीसरा सबसे बड़ा कारण है गैरों से प्रेम-संबंध! महिलाओं की हत्या के मामलों में औसतन साठ फीसदी हत्याएं या तो वर्तमान या फिर पूर्व साथी करता है.
आंकड़े बताते हैं कि देश में 10 में से एक हत्या पति, पत्नी या प्रेमी द्वारा की जाती है. स्थितियां कितना भयानक रूप लेती जा रही हैं, इसे आंकड़ों की भाषा में बेहतर समझा जा सकता है. 2010 से 2014 तक प्रेम संबंधों और अवैध रिश्तों में हत्या का औसत 7 से 8 फीसदी था जो 2015 से 2022 के बीच बढ़कर 10 से 11 फीसदी के बीच पहुंच गया.
किसी की भी हत्या निश्चय ही एक घृणित कृत्य है लेकिन हत्या जब पति अपनी पत्नी की कर दे या फिर पत्नी अपने पति की हत्या कर दे तो यह दो परिवारों की हत्या होती है. यह समाज के रीति-रिवाजों की हत्या होती है. यह प्रेम और विश्वास की हत्या होती है. ऐसी घटनाएं विश्वास को डगमगा देती हैं. लेकिन समाज का संतुलित व्यवहार ही ऐसी विषम परिस्थितियों का उपचार हो सकता है.
अपने बच्चों पर ध्यान रखिए, उनका ध्यान रखिए. प्रेम कोई बुरी चीज नहीं है लेकिन बच्चों को यह बताना भी जरूरी है कि प्रेम केवल शरीर नहीं है. प्रेम तो आत्मा है. आत्मा यानी ईश्वर का अंश! फिर प्रेम करने वाला हत्यारा कैसे हो सकता है? जो ऐसा करते हैं उन्हें इंसान तो क्या, व्यक्ति की संज्ञा से भी बेदखल कर दीजिए. वो खून पीने वाले पिशाच हैं. उन्हें पिशाच ही कहिए!