Fake Call: फर्जी कॉल के खतरे से कैसे निपटें?, इंटरनेट ने सब बदल दिया...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 28, 2024 05:35 AM2024-10-28T05:35:55+5:302024-10-28T05:35:55+5:30

Fake Call: 2006 में हार्वर्ड के प्रोफेसर स्टेनली हॉफमैन ने इसे ‘एक अंतरराष्ट्रीय समाज का उदय’ कहा था जिसमें बहुराष्ट्रीय निगम, गैर-सरकारी संगठन, अपराधी और आतंकवादी शामिल हैं.

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सांकेतिक फोटो

Highlightsइंटरनेट ने यह सब बदल दिया. आसान संचार की एक नई दुनिया में पहुंचा दिया.‘वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल’ (वीओआईपी) का इस्तेमाल किया.एयरलाइन की उड़ानों को ही इन फर्जी कॉलों से खतरा नहीं है.

वप्पाला बालाचंद्रन

12 अक्तूबर 2007 को मैंने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की मुंबई शाखा में इंटरनेट और सूचना क्रांति के मद्देनजर आंतरिक सुरक्षा के लिए उत्पन्न नई समस्याओं पर व्याख्यान दिया था. इंटरनेट से पहले के दिनों में एमटीएनएल या बीएसएनएल के पास संचार के प्रबंधन का एकाधिकार था. सभी आने-जाने वाली विदेशी कॉल ओवरसीज कम्युनिकेशन सर्विस द्वारा नियंत्रित की जाती थीं. इस वजह से हम फर्जी कॉल के उद्गम और दोषियों का पता लगा सकते थे. इंटरनेट ने यह सब बदल दिया. इसने हमें आसान संचार की एक नई दुनिया में पहुंचा दिया.

2006 में हार्वर्ड के प्रोफेसर स्टेनली हॉफमैन ने इसे ‘एक अंतरराष्ट्रीय समाज का उदय’ कहा था जिसमें बहुराष्ट्रीय निगम, गैर-सरकारी संगठन, अपराधी और आतंकवादी शामिल हैं. 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान आतंकवादियों ने अपने ठिकानों को छिपाने के लिए संचार के लिए ‘वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल’ (वीओआईपी) का इस्तेमाल किया.

हालांकि, आम धारणा के विपरीत, केवल एयरलाइन की उड़ानों को ही इन फर्जी कॉलों से खतरा नहीं है. जब मैंने ऐसी घटनाओं को सारणीबद्ध करने की कोशिश की, तो पाया कि इस साल मई और अक्तूबर माह में ऐसी धमकियां सर्वाधिक मिली हैं. दिल्ली के एक अखबार ने 23 मई, 2023 को बताया कि फर्जी कॉल का सिलसिला 30 अप्रैल को शुरू हुआ जब ‘चाचा नेहरू अस्पताल’ को धमकी भरा कॉल आया.

इसके बाद 1 मई की घटना हुई जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लगभग 150 स्कूलों को भी बम की धमकियों वाले ई-मेल मिले. दिल्ली पुलिस साइबर सेल ने पता लगाया कि इन ई-मेल का डोमेन रूस या ‘डार्क वेब’ में है. इसके बाद 7 मई को अहमदाबाद के 36 स्कूलों को इसी तरह की धमकियां मिलीं. मीडिया ने कहा कि ई-मेल पाकिस्तान से आया था.

12 मई को लगभग 20 अस्पतालों, इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट और दिल्ली में उत्तरी रेलवे के सीपीआरओ कार्यालय को साइप्रस स्थित मेलिंग सेवा कंपनी से ईमेल के माध्यम से बम की धमकी मिली. मई के मध्य तक बेंगलुरु के कुछ अस्पतालों को ईमेल के माध्यम से बम की धमकी मिलनी शुरू हो गई. 14 मई को, जो 2008 के जयपुर धमाकों की 16वीं बरसी थी, जिसमें 71 लोग मारे गए थे.

जयपुर के लगभग 55 स्कूलों को ई-मेल के माध्यम से बम की धमकी मिली.  मई में बम की धमकी की आखिरी घटना 31 मई को हुई थी, जिससे दिल्ली-वाराणसी उड़ान में देरी हुई थी, क्योंकि विमान के शौचालय में ‘5:30 पर बम’ लिखा एक कागज मिला था. जून, अगस्त और सितंबर में भी इसी तरह की झूठी कॉलें रुक-रुक कर आती रहीं.

 जो अक्तूबर में चरम पर थीं और 23 अक्तूबर तक 150 उड़ानें प्रभावित हुईं. इन सभी घटनाओं ने इस बात की अटकलों को जन्म दिया है कि भारत विरोधी ताकतें हमारी हुकूमत के हर क्षेत्र में दहशत फैलाने की कोशिश कर रही हैं. इस समस्या से निपटने की जिम्मेदारी केवल नागरिक उड्डयन मंत्रालय पर छोड़ने जैसा मौजूदा कदम पर्याप्त नहीं है.

साथ ही, धमकी भरे कॉल को संज्ञेय अपराध बनाने या ऐसे कॉल करने वाले को भविष्य की उड़ानों में प्रतिबंधित करने जैसे उपायों से ये उपद्रव रुकने वाले नहीं हैं. गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा प्रभाग को इन कॉलों के स्रोत का लगातार पता लगाने और कानूनी उपाय करने के लिए साइबर सुरक्षा-खुफिया पेशेवरों की विशेष टीम नियुक्त करने की पहल करनी चाहिए.

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