वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम: बुरे दिनों की मेहनत ने मयंक अग्रवाल को निखारा, अब बन गए हैं शतक जड़ने की कला में 'मास्टर'

By वीवीएस लक्ष्मण | Published: November 18, 2019 08:53 AM2019-11-18T08:53:27+5:302019-11-18T08:53:27+5:30

बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट में प्रभाव उसी युवा खिलाड़ी ने छोड़ा, जिसने पिछले ग्यारह महीनों में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऊंची उड़ान भरी है।

VVS Laxman column: Mayank Agarwal, my biggest influencer in first Test | वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम: बुरे दिनों की मेहनत ने मयंक अग्रवाल को निखारा, अब बन गए हैं शतक जड़ने की कला में 'मास्टर'

वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम: बुरे दिनों की मेहनत ने मयंक अग्रवाल को निखारा, अब बन गए हैं शतक जड़ने की कला में 'मास्टर'

Highlightsमयंक दो साल पहले रणजी ट्रॉफी मे कर्नाटक की टीम में अपने स्थान को लेकर सुनिश्चित नहीं थे।मयंक अग्रवाल ने बाद में अपनी मानसिकता के साथ तकनीक में भी बदलाव लाया।

टी-20 सीरीज में बांग्लादेश ने जो प्रतिस्पर्धा दिखाई थी वह इंदौर में पहला टेस्ट मुकाबला केवल तीन दिनों में खत्म होने के साथ ही काफूर लगी। भारत जैसी बेहद ताकतवर टीम जिसके तेज गेंदबाजी काफी खतरनाक है, उसके सामने भ्रमणकारी टीम बिल्कुल स्कूली बच्चों की तरह थी। उनकी अनुभवहीनता और विशेषज्ञता का अभाव उजागर हो गया।

भारत के तीनों तेज गेंदबाजों ईशांत शर्मा, उमेश यादव तथा मोहम्मद शमी के साथ-साथ रविचंद्रन अश्विन की उच्च कोटि की फिरकी का बांग्लादेशी बल्लेबाजों को पास कोई जवाब नहीं था। बहरहाल, पहले टेस्ट में प्रभाव उसी युवा खिलाड़ी ने छोड़ा, जिसने पिछले ग्यारह महीनों में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऊंची उड़ान भरी है।

इसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती कि मयंक अग्रवाल दो साल पहले रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता के दौरान कर्नाटक की टीम में अपने स्थान को लेकर सुनिश्चित नहीं थे। वह आत्ममुल्यांकन नहीं कर पा रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी मानसिकता के साथ तकनीक में भी बदलाव लाया। प्रथम श्रेणी मुकाबलों में एक महीने में उन्होंने एक हजार रन बना डाले।

नवंबर 2017 में इस प्रदर्शन के बाद अग्रवाल की ताकत लगातार बढ़ती गई। कर्नाटक के साथ दक्षिणी क्षेत्र और भारत 'ए' के लिए अग्रवाल ने विभिन्न प्रारुपों में हजारों रन बनाए, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर चयन के लिए अग्रवाल के लिए दरवाजे खुल गए। पिछले साल दिसंबर में उन्हें मौका दिया गया और उन्होंने खुद का अपना स्थान बना लिया।

अग्रवाल अब शतक जड़ने की कला में 'मास्टर' हो चुके हैं। शतक ही नहीं दोहरे शतक भी उन्होंने जड़े। घरेलू क्रिकेट में जबर्दस्त परिश्रम से उन्होंने कई सबक सीखे। पिछले चार टेस्ट में उन्होंने दो बार अपने शतक दोहरे शतक में तब्दील किए। टेस्ट टीम में प्रवेश के लिए विगत दो वर्षों से लगातार प्रयास करने वाले अग्रवाल को अब धीरज का मूल्य पता चल गया है।

जिस तरह से अग्रवाल अपनी पारी को आगे बढ़ाते हैं उससे उनके गुण प्रकट होते हैं। फ्रंट फूट के बल्लेबाज में कवर ड्राइव काफी प्रिय शॉट होता है। अग्रवाल ने अपने बल्लेबाजी में अन्य पहलुओं को भी काफी सुधारा है। खासकर शॉर्ट गेंदों के खिलाफ। एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर स्पिन पर उनकी कमान जबर्दस्त है। उनका फुटवर्क काफी सकारात्मक है। वह न सिर्फ आसानी से सामने आकर छक्का जड़ते हैं, बल्कि क्रीज के अंदर तक जाकर दोनों ओर स्क्वायर में गेंद को खेल सकते हैं।

उनकी परिपक्वता की निशानी यही है कि वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अलग तरह की बल्लेबाजी नहीं लगते। घरेलू स्तर पर रन बटोरने का उनका जो फार्मूला है वही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वे आजमा रहे हैं। बहरहाल, अब मैं दूसरे टेस्ट मैच की प्रतीक्षा नहीं कर पा रहा हूं, क्योंकि वह भारत में पहला दिन-रात्रि का ऐतिहासिक टेस्ट मैच होगा। यहां तक का सफर काफी रोचक रहा है।

Web Title: VVS Laxman column: Mayank Agarwal, my biggest influencer in first Test

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