सुनील गावस्कर का कॉलम: जो मौके भुनाएगा ट्रॉफी उसी को होगी
By सुनील गावस्कर | Published: May 12, 2019 05:48 PM2019-05-12T17:48:04+5:302019-05-12T17:48:04+5:30
खिताबी मुकाबले में जीत तो उसी को मिलती है जो निर्णायक मौकों पर अपने आप पर भरोसा कर अपना बेस्ट देता है।
चेन्नई-दिल्ली के क्वालिफायर-2 में अनुभव के सामने युवाओं का जोश नाकाम रहा। जिस तरह चेन्नई के अनुभवी गेंदबाजों ने देश के धाकड़ युवा बल्लेबाजों के बल्ले पर अंकुश लगाए रखा वह देखने लायक था। उन्होंने इस कदर कसावट भरी गेंदबाजी की जिसका युवा बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं था। दिल्ली के जोशीले बल्लेबाज स्ट्रोक खेलने के लिए तरसते रहे और जब उन्होंने बाहर निकलकर खेलने की कोशिश की तो उन्हें पवेलियन ही लौटना पड़ा।
कैपिटल्स के विकेटों की पतझड़ के बीच अनुभवी ईशांत का भी जलवा देखने को मिला। विशुद्ध गेंदबाज की भूमिका निभाने वाले ईशांत ने जब लगातार दो गेंदों पर उछालकर शॉट खेले तो अनुभव की महत्ता समझ आई। दिल्ली की टीम ने बारहवें संस्करण में कमाल का प्रदर्शन कर छाप छोड़ी है और आने वाले सत्र में यदि टीम चमचमाती ट्रॉफी के साथ नजर आए तो बड़ी बात नहीं है।
फाइनल में पहुंची दोनों टीमों से एक बात साबित हुई कि कोर टीम पर भरोसा हो तो नाजुक स्थितियों से उबारा जा सकता है। दोनों टीम के पास बड़े मैच के खिलाड़ी हैं जो मौका आने पर मुकाबले का नक्शा बदलने का माद्दा रखते हैं।
बेशक, कागज पर तो मुंबई का ही पलड़ा भारी नजर आ रहा है। वर्तमान बारहवें संस्करण में टीम ने चेन्नई को तीनों मर्तबा बड़े आसानी से मात दी है, लेकिन फाइनल तो फाइनल होता है। खिताबी मुकाबले में जीत तो उसी को मिलती है जो निर्णायक मौकों पर अपने आप पर भरोसा कर अपना बेस्ट देता है। यह जंग आईपीएल के दो दिग्गजों की हैं जिनमें चेन्नई 10 में से 8 बार फाइनल खेली है तो मुंबई पांच बार फाइनल पहुंची है। यहां मुकाबला दो अनुभवी टीमों के बीच हो रही है. ऐसे में सबसे अहम हैं मिले अवसरों को भुनाना। जो मौकों को भुनाएगा जीत उसी की होगी।