राम ठाकुर का ब्लॉग: खेल के बीच राजनीति को लाना कितना उचित?
By राम ठाकुर | Published: March 17, 2020 08:59 AM2020-03-17T08:59:18+5:302020-03-17T08:59:18+5:30
करीब दो दशकों से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बतौर कमेंटेटर जुड़े संजय मांजरेकर को इतनी कड़ी सजा आसानी से गले नहीं उतर रही है. मजे की बात तो यह है कि मामला किसी क्रिकेट मुकाबले के दौरान की गई टिप्पणी से भी जुड़ा नजर नहीं आता.
भारतीय क्रिकेट के पूर्व तकनीकी बल्लेबाज संजय मांजरेकर इस समय सुर्खियों में हैं. हालांकि क्रिकेटर से कमेंटेटर बने इस पूर्व क्रिकेटर के लिए सुर्खियों में रहना नई बात नहीं है. इससे पूर्व भी वह अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहे हैं. लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. इस बार उनकी टिप्पणी बीसीसीआई को कुछ ज्यादा ही नागवार गुजरी जिसके चलते उन्हें कमेंटरी पैनल से बाहर का रास्ता दिखाया गया.
जाहिर है, करीब दो दशकों से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बतौर कमेंटेटर जुड़े संजय मांजरेकर को इतनी कड़ी सजा आसानी से गले नहीं उतर रही है. मजे की बात तो यह है कि मामला किसी क्रिकेट मुकाबले के दौरान की गई टिप्पणी से भी जुड़ा नजर नहीं आता. साथ ही बीसीसीआई ने भी उन पर की गई कार्रवाई के बारे में कोई ठोस वजह नहीं बताई. लिहाजा, तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
बताया जाता है कि पूरा मामला ही गैर-क्रिकेटीय है. बात देश के वर्तमान हालात पर मांजरेकर द्वारा की गई टिप्पणियों की है. 37 टेस्ट और 74 वनडे मुकाबलों में धमाकेदार प्रदर्शन कर चुके इस अग्रिम पंक्ति के पूर्व क्रिकेटर ने बताया जा रहा है कि सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) के विरोध में बयान दिया था. इसके अलावा वह हाल में जेएनयू के छात्रों के आंदोलन का भी समर्थन कर चुके हैं. साथ ही जेएनयू में हुई मारपीट का भी उन्होंने विरोध किया था. सीएए के विरोध में प्रदर्शनकारियों के लिए मांजरेकर ने सात जनवरी 2020 को ट्वीट किया था ‘वेल डन मुंबई.’
पता नहीं सच्चाई क्या है, लेकिन यदि यही सच्चाई है तो कमेंटरी पैनल से उनके हटाए जाने का कोई तुक नजर नहीं आता. हालांकि कहने के लिए तो हम खेलों को राजनीति से दूर रखने की वकालत करते हैं. लेकिन जब इसे अमल में लाने की बात होती है तो हम वास्तविकता से मुंह फेरने में जरा भी वक्त नहीं लगाते. संजय मांजरेकर को अपनी व्यक्तिगत राय जाहिर करने का पूरा अधिकार होना चाहिए. इसमें उनकी कमेंटरी को बीच में लाने की कोई आवश्यकता नहीं है.
रही बात क्रिकेट कमेंटरी के दौरान की गई टिप्पणियों पर उठे विवाद की तो वह बेङिाझक माफी भी मांग चुके हैं. मिसाल के तौर पर उन्होंने इंग्लैंड की मेजबानी में पिछले वर्ष मई-जून में कराए गए विश्व कप के दौरान रविंद्र जडेजा पर गैरजरूरी टिप्पणी कर दी थी, लेकिन जब उन्हें इसका अहसास हुआ तो माफी मांगने में बिल्कुल भी समय नहीं लिया. पता नहीं कब तक संजय मांजरेकर कमेंटरी पैनल से दूर रहेंगे लेकिन उन्होंने बीसीसीआई के इस फैसले का सम्मान करते हुए इसे स्वीकार कर लिया है. एक खिलाड़ी के लिए इससे बड़ी बात और हो भी नहीं सकती.