राम ठाकुर का ब्लॉगः अब गेंदबाजों के हाथों में जीत की चाबी
By राम ठाकुर | Published: January 12, 2022 02:06 PM2022-01-12T14:06:29+5:302022-01-12T14:06:53+5:30
पर्याप्त स्कोर नहीं बनने के कारण गेंदबाज उसे डिफेंड करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। इसकी ताजा मिसाल दक्षिण अफ्रीका के साथ खेली जा रही तीन टेस्ट मुकाबलों की सीरीज के दूसरे टेस्ट में मिली हैरतअंगेज हार है।
क्या भारतीय क्रिकेट बदलाव के दौर से गुजर रहा है? शायद..क्योंकि टेस्ट में टीम इंडिया को जीत गेंदबाज दिलाने लगे हैं न कि बल्लेबाज। पिछले कुछ वर्षो में भारत ने जितने भी मुकाबले जीते उनका स्कोरबोर्ड देख लें। पलड़ा गेंदबाजों के पक्ष में झुका है। दशकों तक नतीजे भारतीय बल्लेबाज तय करते रहे लेकिन अब गेंदबाजों के हाथों में चाबी है। जीत रहे हैं तो अच्छी बात है लेकिन इसका काला पक्ष भी है। गेंदबाजों के दमखम के कारण बल्लेबाजों ने शायद गंभीरता छोड़ दी है और ‘हम चाहे जो स्कोर बनाएं, गेंदबाज तो जीत दिलाएंगे ही’ की खतरनाक प्रवृत्ति बढ़ी है। गत कुछ वर्षो में ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन समेत तेज गेंदबाजों-जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव अपने शानदार प्रदर्शन से सुर्खियां बटोर रहे हैं लेकिन बल्लेबाजों का प्रदर्शन निरंतर खराब होता जा रहा है। भारतीय कप्तान विराट कोहली को ही लीजिए, वर्ष 2019 के बाद वह कोई शतक नहीं लगा पाए हैं। चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणो जैसे तकनीकी बल्लेबाजों को तो टीम में जगह बनाने के लिए ही संघर्ष करना पड़ रहा है। जाहिर तौर पर इसका विपरीत असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ा है। निर्णायक मौकों पर बल्लेबाजों के औसत प्रदर्शन के चलते गेंदबाजों की मेहनत रंग नहीं ला पाई।
पर्याप्त स्कोर नहीं बनने के कारण गेंदबाज उसे डिफेंड करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। इसकी ताजा मिसाल दक्षिण अफ्रीका के साथ खेली जा रही तीन टेस्ट मुकाबलों की सीरीज के दूसरे टेस्ट में मिली हैरतअंगेज हार है। जोहान्सबर्ग के मैदान पर खेले गए इस टेस्ट में भारतीय टीम दोनों पारियों में बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रही। अंतत: 240 रन के लक्ष्य को मेजबानों ने महज तीन विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। हालांकि इस छोटे स्कोर पर भी भारतीय टीम की जीत की संभावनाएं जताई जा रही थीं। लेकिन कप्तान डीन एल्गर (नाबाद 96) की संयमी पारी एवं वान डर डुसेन (40) और तेंबा बावुमा (नाबाद 23) के उपयोगी प्रदर्शन के चलते भारतीय गेंदबाजों की मेहनत नाकाफी साबित हुई। इसी तरह की एक और मिसाल विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी देखने को मिली थी। 18 से 23 जून 2021 तक इंग्लैंड के साउथेम्पटन में खेले गए वर्षाप्रभावित फाइनल में भारतीय बल्लेबाजों की विफलता के चलते ही भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ पराजय का सामना करना पड़ा था। वर्षा के कारण मुश्किल से ढाई दिन तक हुए मुकाबले में भारतीय टीम दोनों पारियों (217 और 170) में बुरी तरह विफल रही और न्यूजीलैंड को जीत के लिए महज 139 रन का लक्ष्य मिला जिसे कीवियों ने केवल दो विकेट गंवाकर ही हासिल कर लिया। इस मुकाबले में न्यूजीलैंड की जीत के हीरो टीम के कप्तान केन विलियम्सन (नाबाद 52) व अनुभवी रॉस टेलर (नाबाद 47) रहे। यह दोनों अवसर भारतीय टीम को खामी को उजागर करने के लिए पर्याप्त हैं और भविष्य में बेहतर प्रदर्शन के लिए भारतीय थिंक टैंक को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।