हर्षा भोगले का कॉलम: आईपीएल में किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर रहने वाली टीम का हुआ नुकसान

By हर्षा भोगले | Published: April 16, 2019 05:13 PM2019-04-16T17:13:23+5:302019-04-16T18:30:28+5:30

विपक्षी टीमें भी इसी के हिसाब से अपनी रणनीति बनाने लगती हैं और टीमें जरूरत से ज्यादा उन पर निर्भर हो जाती हैं। ये दोनों ही तथ्य हमें इस सप्ताह खेले गए मुकाबलों में देखने को मिले।

Harsha Bhogle Column: Dependency on one players is always dangerous | हर्षा भोगले का कॉलम: आईपीएल में किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर रहने वाली टीम का हुआ नुकसान

हर्षा भोगले का कॉलम: आईपीएल में किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर रहने वाली टीम का हुआ नुकसान

वनडे और टेस्ट क्रिकेट के विपरीत एक अकेला खिलाड़ी टी20 में अपने प्रदर्शन से अधिक प्रभाव डालता है। यहां बात सिर्फ एक रन बनाने या विकेट लेने की नहीं है, बल्कि विपक्षी टीमें भी इसी के हिसाब से अपनी रणनीति बनाने लगती हैं और टीमें जरूरत से ज्यादा उन पर निर्भर हो जाती हैं। ये दोनों ही तथ्य हमें इस सप्ताह खेले गए मुकाबलों में देखने को मिले।

सीएसके के खिलाफ केकेआर की टीम एक समय 180 से ज्यादा रन बनाने की ओर बढ़ रही थी। शायद यह स्कोर जीत के लिए काफी रहता। मगर अंतिम ओवरों में केकेआर का आक्रमण पूरी तरह आंद्रे रसेल पर निर्भर है और जब वे इमरान ताहिर का शिकार बन गए तो केकेआर के पास अधिक विकल्प बचे ही नहीं। बेशक टीम के पास और भी कई अच्छे खिलाड़ी है, लेकिन रसेल पर निर्भरता ने टीम को प्रभावित किया। ऐसे में 160 के करीब स्कोर के साथ वे लड़ाई तो लड़ सकते थे, लेकिन जीत का दावा नहीं कर सकते थे।

ऐसा ही सनराइजर्स हैदराबाद में राशिद खान के साथ देखने को साफ है कि विपक्षी टीमें जानती हैं कि राशिद के ओवरों में छह रन प्रति ओवर के हिसाब से रन बनाना घाटे का सौदा नहीं है, बल्कि अगर वे उनकी गेंदों पर आक्रमण करने की कोशिश करेंगे तो यह राशिद के हाथों में खेलने जैसा होगा। हैदराबाद की टीम राशिद के 22 रन देकर बिना कोई विकेट के बजाय 35 रन देकर 3 विकेट जैसे प्रदर्शन से अधिक खुश होगी।

मगर इस प्रारूप में बल्लेबाज के इर्द-गिर्द फील्डिंग की जमावट का अवसर नहीं मिलता और बल्लेबाज बिना कोई जोखिम उठाए खेलना चाहें तो ऐसा प्रदर्शन बिल्कुल भी आसान नहीं होता। अब किसी और को यह भूमिका निभानी होगी। बल्लेबाजों को जोखिम उठाने के लिए प्रेरित करना और विकेट लेने की क्षमता रखने वाले गेंदबाज बेहद कम ही हैं।

यही वो क्षेत्र है जहां सीएसके की टीम अन्य टीमों से आगे नजर आती है। पिछले साल 11 मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड 8 खिलाड़ियों के बीच साझा हुए थे और इस साल अभी तक कई अलग-अलग खिलाड़ी अहम मौकों पर सामने आए हैं। क्या टीमें इसके लिए योजना बना सकती हैं? निश्चित रुप से वे ऐसा कर सकती हैं। जरा देखिए कि सनराइजर्स ने नीलामी में कितनी समझदारी से काम लिया।

Web Title: Harsha Bhogle Column: Dependency on one players is always dangerous

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