अयाज मेमन का कॉलम: नस्लवाद विरोधी अभियान में खेल जगत के दिग्गज भी उतरे
By अयाज मेमन | Published: June 14, 2020 06:59 AM2020-06-14T06:59:46+5:302020-06-14T07:00:37+5:30
देश में वर्णभेद का मुद्दा व्यापक स्तर पर सामने आने के बावजूद खेलजगत के कुछ दिग्गज शांत हैं. यह जरूरी नहीं कि खिलाड़ी सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करें लेकिन एक रोल मॉडल के रूप में उनकी राय मायने रखती है
विंडीज टीम के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी ने आईपीएल (2014) में अपनी टीम के साथी खिलाड़ी पर नस्लवादी टिप्पणी को लेकर लगाए गए आरोप वापस ले लिए हैं. उनका कहना है कि साथी खिलाड़ी द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से वह संतुष्ट हैं और उन्हें इसके लिए माफी मांगने की जरूरत नहीं है.
मिनीपोलिस में एक श्वेत पुलिसकर्मी द्वारा अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के खिलाफ पूरी दुनिया में आंदोलन चल रहा है. खासतौर से अमेरिकी खेल जगत में पुलिस इस शर्मनाक कार्रवाई का जोरदार विरोध हो रहा है.
सैमी द्वारा आईपीएल के दौरान अपने ही टीम के खिलाडि़यों पर नस्लवाद को लेकर दागे गए आरोप आश्चर्यजनक रहे. उनका कहना है कि उन्हें किस तरह से उनके साथी 'कालू' कहकर पुकारते थे जो महज एक मजाक था. सैमी कहते हैं वह कालू को घोड़े के रूप में मान रहे थे. उन्होंने टीम के मैंटर वीवीएस लक्ष्मण का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने भी जन्मदिवस की बधाई देते हुए 'डार्क कालू' कहा था.
सैमी को इस बात की गंभीरता का पता न्यूयार्क स्थिति भारतीय मूल के कलाकार हसन मिन्हाज के कार्यक्रम के जरिए पता चला. इसके बाद सैमी ने पूरे मामले का खुलासा करते हुए आईपीएल टीम (सनराइजर्स) के साथी से माफी मांगने की अपील कर डाली थी.
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व धनराज पिल्लै ने भी नस्लवाद का शिकार होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि उन्हें मित्र, रिश्तेदार, स्कूल आदि जगह नस्लवादी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा. पूर्व हॉकी कप्तान दिलीप टिर्की ने अपने साथ घटी एक घटना का जिक्र करते हुए बताया, 'आदिवासी समाज का होने के कारण मुझे हॉकी शिविरों के दौरान साथियों से हमेशा नजरअंदाज किया गया.' क्रिकेटर अभिनव मुकुंद, डोड्डा गणेश और आकाश चोपड़ा भी अपने-अपने अनुभवों का कथन कर चुके हैं.
खेल जगत में इस तरह का भेदभाव वर्णभेद के अलावा अलग-अलग प्रकार से होता रहा है. जैसे मणिपुर की मुक्केबाज सरिता देवी को रेलवे कर्मी के रूप में एक टीसी से परेशानी का सामना करना पड़ा. इसके चलते उन्हें अनेक मर्तबा आक्रामक तेवर भी अपनाने पड़े.
इस विश्वव्यापी आंदोलन को लेकर खिलाड़ी भी सजग हो गए हैं. इंग्लिश तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने जोफ्रा के खिलाफ नस्लवादी टिप्पणी से क्षुब्ध होकर खुद से ही यह सवाल किया था कि इस समस्या को नजरअंदाज किया जा रहा है? देश में वर्णभेद का मुद्दा व्यापक स्तर पर सामने आने के बावजूद खेलजगत के कुछ दिग्गज शांत हैं. हालांकि अन्य अनेक मुद्दों पर ये दिग्गज हमेशा अपने विचार रखने के लिए अग्रसर होते हैं. हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हैं. जैसे- इरफान पठान और ज्वाला गुट्टा इस मामले में अपने विचार रख चुके हैं. यह जरूरी नहीं कि खिलाड़ी सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करें लेकिन एक रोल मॉडल के रूप में उनकी राय मायने रखती है।