अयाज मेमन का कॉलम: आईपीएल 2020, चुनौतियों के बीच बना रहेगा रोमांच
By अयाज मेमन | Published: August 9, 2020 08:36 AM2020-08-09T08:36:19+5:302020-08-09T08:36:19+5:30
अब निश्चित रूप से बीसीसीआई ने राहत की सांस ली होगी. हालांकि समस्याएं कम नहीं हैं. चूंकि आईपीएल यूएई में होने से समय बेहद कम है जिससे सफल आयोजन बड़ी चुनौती है.
आखिरकार केंद्र सरकार ने आईपीएल का आयोजन देश से बाहर कराने की सैद्धांतिक अनुमति प्रदान कर दी जिससे यूएई में आयोजन के लिए रास्ता साफ हो गया. मार्च माह में कोविड-19 महामारी के चलते आईपीएल के आयोजन पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे थे.
देश में लगातार बढ़ रहे संक्रमण के मामलों से आईपीएल के आयोजन की संभावना प्रभाावित हो रही थी. अंतत: अक्तूबर में ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी में होने वाले टी-20 विश्व कप को स्थगित करने के निर्णय से आईपीएल की राह आसान हो गई. बीसीसीआई और आईसीसी के बीच के खराब रिश्तों के चलते यह आयोजन आसान भी नहीं था.
अब निश्चित रूप से बीसीसीआई ने राहत की सांस ली होगी. हालांकि समस्याएं कम नहीं हैं. चूंकि आईपीएल यूएई में होने से समय बेहद कम है जिससे सफल आयोजन बड़ी चुनौती है. दूसरी बात, आर्थिक मोर्चे पर बीसीसीआई को एक और चुनौती का सामना करना है. पिछले सप्ताह आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सरर वीवो ने हटने का फैसला किया. भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर तनावपूर्ण स्थिति के चलते वीवो को यह निर्णय लेना पड़ा.
बतौर स्पॉन्सर कंपनी से बीसीसीआई को 440 करोड़ रुपए प्राप्त हो रहे थे. हालांकि बीसीसीआई ने यह सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया है कि वीवो केवल एक साल के बाहर हुआ है. अगले संस्करण में उसकी वापसी संभव है.
ऐसी चर्चा है कि बीसीसीआई और वीवो ने आपसी सहमति से यह निर्णय लिया है. भारत-चीन रिश्ते सामान्य होने पर अगले संस्करण में वीवो की वापसी हो सकती है. फिलहाल बीसीसीआई के सामने वीवो की जगह नया प्रायोजक खोजने की मुश्किल चुनौती है. आर्थिक मुद्दे पर पिछले कुछ समय से बीसीसीआई और फ्रेंचाइजियों में तनाव है.
यूएई में खाली स्टेडियम अथवा सीमित दर्शकों की मौजूदगी में मुकाबले कराए जाने पर टीमों को गेट मनी से हाथ धोना पड़ेगा. साथ ही टीमों को मिलने वाली प्रायोजन राशि भी बुरी तरह प्रभावित होगी.
आमतौर पर आईपीएल के साथ जुड़ने के लिए देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां कतार में खड़ी होती हैं. लेकिन यह दौर कोविड-19 महामारी का है. ऐसे में आयोजन में बेहद कम समय शेष है.
कुल मिलाकर बीसीसीआई समेत फ्रेंचाइजी टीमें आर्थिक चिंता में डूबी हुई हैं. इसी दौरान दोनों के लिए एक बात यह अच्छी है कि ब्रॉडकॉस्ट फीस में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने के कारण दोनों को लाभ हो सकता है. कुल मिलाकर इस बार आईपीएल से बीसीसीआई और फ्रेंचाइजियों को ज्यादा मुनाफा नहीं होगा लेकिन नुकसान भी नहीं होने जा रहा है. ऐसे नाजुक दौर में इससे बड़ी राहत की बात और कौन सी हो सकती है.