अयाज मेमन का कॉलम: नरेंद्र मोदी स्टेडियम की पिच को लेकर मत भिन्नता
By अयाज मेमन | Published: February 28, 2021 09:33 AM2021-02-28T09:33:56+5:302021-02-28T09:38:10+5:30
इंग्लैंड के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में फिलहाल भारत ने 2-1 से लीड बना रखी है...
अहमदाबाद के नवनिर्मित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला गया दिन-रात्रि टेस्ट महज दो दिनों में समाप्त होने से विकेट को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
हालांकि स्टेडियम की पिच को लेकर दो अलग-अलग राय है. माइकल वॉन और दिलीप वेंगसरकर जैसे दिग्गज पिच को टेस्ट मैच के लिए उपयुक्त नहीं मानते. वह इसे बल्लेबाजों के खिलाफ मानते हैं. साथ ही इसे भविष्य को देखते खतरा भी बता रहे हैं. सुनील गावस्कर, केविन पीटरसन, ज्योफ बॉयकॉट का दूसरा गुट विकेट के बजाय बल्लेबाजों को दोषी ठहरा रहे हैं.
इसमें कोई शक नहीं कि विकेट स्तरीय नहीं थी. दो दिन में 30 विकेट गिरे और 142.2 ओवर में ही मैच निपट गया. 1935 के बाद सबसे कम समय में समाप्त हुआ यह इकलौता टेस्ट है. दोनों टीमों की बल्लेबाजी के लिहाज से विकेट महत्वपूर्ण होती है.
इंग्लैंड पहली पारी में 112 पर ढेर हो गई, दूसरी पारी (81) में तो उसकी स्थिति ज्यादा ही दयनीय रही. भारत की पहली पारी भी केवल 145 पर सिमट गई. टीम ने सात विकेट एक सत्र से भी कम समय में गंवा दिए. पार्टटाइम ऑफ स्पिनर जो रूट ने भारतीय पारी को समेटने में अहम भूमिका निभाई.
फ्लड लाइट्स ऑन होने से पूर्व ही मैच समाप्त हो गया. मुकाबला निर्धारित समय से पूर्व समाप्त होना कोई नई बात नहीं है. कुछ समय से पांच दिवसीय मुकाबले निर्धारित समय से पहले ही समाप्त हो रहे हैं. मौसम, विकेट, फ्लड लाइट्स, स्थितियां आदि चीजें काफी असरदार होती हैं. साथ ही खिलाड़ी भी संयम, आक्रामकता, कौशल के साथ प्रभाव छोड़ते हैं.
हालांकि कभी-कभी नकारात्मक सोच भी सुर्खियां बटोरती हैं. यह सच है कि विकेट यदि खराब है तो इससे खेल का रोमांच प्रभावित होता है. दूसरा पक्ष, इंग्लैंड की विफलता तकनीकी खामियों की चलते भी रही.
पहला टेस्ट 217 रन से जीतने के बाद इंग्लैंड की टीम अचानक बैकफुट पर आ गई. इसमें एक कारण रोटेशन प्रणाली भी अहम रही जिसके चलते भी भारत को वापसी का मौका मिल गया. चेन्नई के दूसरे टेस्ट में जो हुआ, वही बातें तीसरे टेस्ट में दोहराई गईं. इसके लिए बेशक इंग्लैंड की टीम ही जिम्मेदार है. एंडरसन जैसे मैच विनर को आराम देने की कोई जरूरत नहीं थी.
मोटेरा पर टॉस भी अहम हो सकता थी यदि इंग्लैंड की टीम 225-235 रन बनाने में सफल हो जाती. लेकिन वैसा हुआ नहीं. दो विकेट पर 73 के बाद पारी ध्वस्त होना इंग्लिश खिलाडि़यों की मानसिकता को दर्शाता है. गेंदबाजों को खेलने का संयम की कमी महसूस हुई.