अयाज मेमन का कॉलम: एमएस धोनी और रोहित शर्मा से काफी कुछ सीखा जा सकता है

By अयाज मेमन | Published: May 16, 2019 12:04 PM2019-05-16T12:04:18+5:302019-05-16T12:04:18+5:30

मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच खेला गया आईपीएल 2019 फाइनल तो दिल की धड़कनें रोक देनेवाला था जिसमें मुंबई ने एक रन से जीत दर्ज की।

Ayaz Memon Column: A lot can be learned from MS Dhoni and Rohit Sharma | अयाज मेमन का कॉलम: एमएस धोनी और रोहित शर्मा से काफी कुछ सीखा जा सकता है

अयाज मेमन का कॉलम: एमएस धोनी और रोहित शर्मा से काफी कुछ सीखा जा सकता है

आम राय यही है कि आईपीएल के बारह सत्रों में इस साल का सत्र सर्वश्रेष्ठ रहा। सत्र में कुछ शानदार व्यक्तिगत और टीम प्रदर्शन रहे, काफी करीबी मुकाबले रहे और मुंबई इंडियंस एवं चेन्नई सुपर किंग्स के बीच खेला गया फाइनल तो दिल की धड़कनें रोक देनेवाला था जिसमें मुंबई ने एक रन से जीत दर्ज की। सुपर किंग्स की हार पर कई थ्योरियां और विश्लेषण किए जा चुके हैं लेकिन मानना होगा कि टीम के कप्तान ने स्पर्धा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

मैच के बाद के इंटरव्यू में एमएस धोनी ने कहा, ''हम हारे इसलिए क्योंकि हमने उनसे (मुंबई) से एक गलती ज्यादा की।'' मैच और परिणाम का यह सबसे वास्तववादी आंकलन है। दोनों टीमों में कई त्रुटियां थीं क्योंकि दबाव में अनुभवी खिलाड़ियों ने भी भारी गलतियां कीं। मुंबई ने वॉटसन को तीन जीवनदान दिए, जिससे प्रतिद्वंद्वी टीम को वापसी का मौका मिल गया। यह ऑसी सलामी बल्लेबाज रन के लिए संघर्ष कर रहा था लेकिन उसने (मुंबई के खराब क्षेत्ररक्षण की वजह से) लय हासिल कर ली और मुकाबला उसने लगभग अपनी टीम की ओर मोड़ ही लिया था।

चेन्नई का प्रदर्शन मुंबई की तुलना में अधिक खराब रहा। धोनी और वॉटसन का रनआउट होना सुपर किंग्स को काफी नुकसान पहुंचा गया। फाफ डु प्लेसिस ने भी बिना वजह अपने खून में गर्मी लाकर महत्वपूर्ण मौके पर मुंबई को ब्रेकथ्रू दे दिया। और सुरेश रैना को कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने हार्दिक पंड्या का कैच छोड़ा। पंड्या गेम चेंजर खिलाड़ी हैं।

मैं और फाइनल या सत्र के किसी और मुकाबले पर ध्यान केंद्रित करना नहीं चाहूंगा। आईपीएल के बारह सत्रों में मुंबई तथा चेन्नई ने कुल सात बार खिताब पर कब्जा किया है जो सचमूच असाधारण है। केकेआर ने दो, हैदराबाद ने दो तथा राजस्थान ने एक बार खिताब जीता है। मुंबई चार खिताबी जीत दर्ज कर चेन्नई से आगे बढ़ गई है लेकिन यह नहीं भूलना होगा कि चेन्नई ने दो सत्रों के निलंबन के बावजूद आठ बार आईपीएल फाइनल में जगह बनाई है।

क्रिकेट का टी-20 प्रारूप ऐसा है जिसमें किसी तरह की कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती और सबसे अहम है आईपीएल में खिलाड़ियों में बेशुमार प्रतिभा। अत: सुपर किंग्स और मुंबई के दबदबे को किस तरह से स्पष्ट किया जाए? सभी टीमें तथा खिलाड़ी जीतना चाहते हैं। सर्वश्रेष्ठ करने के लिए जरूरी नहीं कि टीम के पास स्टार खिलाड़ी हों या जोरदार प्रतिभाएं हों, जिसे आईपीएल ने बारंबार प्रमाणित किया है। निरंतर सफलता की कुंजी है जिसमें जोरदार प्रबंधन, गुणवत्तापूर्ण खिलाड़ी, किस्मत का कुछ साथ, टीम की मजबूती, खिलाड़ियों की निश्चित जिम्मेदारियां तथा जीतने के लिए सामूहिक प्रयास शामिल हैं।

इसी वजह से सुपर किंग्स को 2018 में जीत मिली थी। सुपर किंग्स का कोच तथा सपोर्ट स्टाफ स्थिर है। कप्तान भी स्थिर ही है जिससे यह 'कोर टीम' बन चुकी है। यही मुंबई के साथ भी है। 2018 में टीम ने हालांकि युवा खिलाड़ियों पर भरोसा करके अलग राह पकड़ी थी, लेकिन टीम का कोर वही है। सुपर किंग्स में यदि धोनी, रैना, जडेजा तथा कोच फ्लेमिंग और हस्सी ने कोर निश्चित किया है तो मुंबई में रोहित, पंड्या बंधु तथा पोलार्ड ने यही काम किया है।

दबाव को झेलना और संकट से बाहर निकलने के लिए कार्य करना सुपर किंग्स तथा मुंबई इंडियंस की बानगी है। इसमें कप्तान एक महत्वपूर्ण पहलू है। कप्तान अगर समझदार नहीं है तो टीम कुछ नहीं कर सकती। आईपीएल के शुरू से ही धोनी स्वच्छंद नहीं रहे लेकिन जब भी टीम को जरूरत पड़ी उन्होंने आगे बढ़कर प्रदर्शन किया। रोहित भी चार सफलताओं के बाद इसी तरह का कप्तान है। इन दो कप्तानों तथा उनकी टीमों की सफलता देख दूसरों को भी कुछ सीखना होगा।

Web Title: Ayaz Memon Column: A lot can be learned from MS Dhoni and Rohit Sharma

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