वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: आयकर हटाकर उसके बदले ‘व्ययकर’ लगाएं

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 14, 2022 04:04 PM2022-01-14T16:04:57+5:302022-01-14T16:05:11+5:30

दुनिया के दर्जन भर से ज्यादा देशों में व्यक्तिगत आयकर है ही नहीं. इनमें सऊदी अरब, यूएई, ओमान, कुवैत, बहरीन और मालदीव जैसे मुस्लिम देश भी शामिल हैं.

Ved pratap Vaidik blog: Should remove income tax and levy 'expenditure' instead | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: आयकर हटाकर उसके बदले ‘व्ययकर’ लगाएं

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: आयकर हटाकर उसके बदले ‘व्ययकर’ लगाएं

भारत का अगला बजट कुछ ही हफ्तों में आनेवाला है. वह कैसा हो, इस बारे में कई विशेषज्ञ और प्रभावित लोग अपने सुझाव देने लगे हैं. अब से लगभग 30-35 साल पहले वसंत साठे और मैंने सोचा था कि भारत से आयकर खत्म करने का अभियान चलाया जाए, क्योंकि आयकर की मार से बचने के लिए करदाताओं को काफी भ्रष्टाचार का सहारा लेना पड़ता है और आयकर भरने की प्रक्रिया भी अपने आप में बड़ा सिरदर्द है. 

अब भी यह जरूरी है कि आयकर की जगह व्ययकर या जायकर लगाया जाए. जायकर मतलब उस पैसे पर कर लगाया जाए जो अपनी जेब से बाहर जाता है. आनेवाला पैसा करमुक्त हो और जानेवाला करयुक्त हो. खर्च पर यदि टैक्स लगेगा तो लोग फिजूलखर्ची कम करेंगे. आमदनी में जो पैसा बढ़ेगा, उसे लोग बैंकों में रखेंगे. वह पैसा काम-धंधों में लगेगा. उससे देश में उत्पादन और रोजगार बढ़ेगा. 

टैक्स का हिसाब देने में जो मगजपच्ची और रिश्वत आदि के खर्च होते हैं, उनसे भी राहत मिलेगी. लगभग साढ़े छह करोड़ लोग, जो हर साल टैक्स भरते हैं, वे सरकार के आभारी होंगे. लाखों सरकारी कर्मचारियों को भी राहत मिलेगी, जिन्हें कर-गणना करनी पड़ती है या टैक्स-चोरों पर निगरानी रखनी पड़ती है. नौकरीपेशा और दुकानदारों को भी टैक्स बचाने के लिए तरह-तरह के दांव-पेंच नहीं करने होंगे.

मोटी आमदनी पर टैक्स देनेवालों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ है. बाकी 5 करोड़ लोगों को बहुत कम या शून्य टैक्स देना होता है. उनके सिर पर फिजूल तलवार लटकी रहती है. ऐसे लोगों में छोटे व्यापारी और वेतनभोगी लोग ही ज्यादा होते हैं. उन्हें वे दांव-पेंच करना भी नहीं आता, जिनसे टैक्स बचाया जाता है. 

बड़े-बड़े नेता लोग और बड़े उद्योगपति अपने करोड़ों-अरबों रु. फर्जी खातों या विदेशी बैंकों में छिपाए रखते हैं. नोटबंदी इसी भावना से लाई गई थी कि वह इन प्रवृत्तियों को काबू करेगी लेकिन वह विफल हो गई. कालाधन बढ़ता ही गया. यदि आयकर की प्रथा समाप्त कर दी जाए तो कोई कालाधन पैदा होगा ही नहीं. इस समय दुनिया के दर्जन भर से ज्यादा देशों में व्यक्तिगत आयकर है ही नहीं. 

इनमें सऊदी अरब, यूएई, ओमान, कुवैत, बहरीन और मालदीव जैसे मुस्लिम देश भी शामिल हैं. इन देशों में विक्रय कर या सेल्स टैक्स या हमारे जीएसटी की तरह खर्च कर यानी जायकर तो है लेकिन आयकर नहीं. यदि भारत-जैसा बड़ा देश इसे लागू करेगा तो अपने पड़ोसी देशों में भी इसका अनुकरण अपने आप हो जाएगा.

Web Title: Ved pratap Vaidik blog: Should remove income tax and levy 'expenditure' instead

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