जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नए बजट में कर छूट की सीमा में बढ़ोत्तरी जरूरी

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: January 29, 2021 12:39 PM2021-01-29T12:39:14+5:302021-01-29T12:39:14+5:30

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. कोरोना संकट के दौर में इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. लोगों को राहत पहुंचे, इसके लिए सरकार को भी बड़े कदम उठाने की जरूरत है.

Jayantilal Bhandari blog: Budget 2021 Increase in tax exemption limit is necessary | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नए बजट में कर छूट की सीमा में बढ़ोत्तरी जरूरी

बजट 2021: सरकार को लोगों को राहत देने की जरूरत

Highlightsमौजूदा हालात में टैक्स का बोझ लोगों पर कम करने की जरूरत, सरकार करे पहलसरकार को होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट बढ़ावा देने की भी जरूरत हैहेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी सरकार को टैक्स में छूट को बढ़ाना जरूरी है

आगामी एक फरवरी को संसद में केंद्रीय वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले वित्त वर्ष 2021-22 के बजट से छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग को काफी उम्मीदें हैं. स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 ने छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग की आर्थिक चुनौतियां बढ़ाई हैं. 

कोरोना संकट के कारण जहां बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार गए, वेतन-पारिश्रमिक में कटौती हुई, वर्क फ्रॉम होम की वजह से टैक्स में छूट के कुछ माध्यम कम हो गए, वहीं बड़ी संख्या में लोगों के लिए डिजिटल तकनीक, ब्रॉडबैंड, बिजली का बिल जैसे खर्चो के भुगतान बढ़ने से करदाताओं की आमदनी घट गई है. 
 
मौजूदा हालात में टैक्स का बोझ कम करने की जरूरत

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार कोरोना के कारण वर्ष 2020-21 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.7 फीसदी के संकुचन के आसार हैं. ऐसे में कोरोना के कारण पैदा हुए आर्थिक हालात से लड़ने और छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाने हेतु सरकार के द्वारा आगामी वित्त वर्ष के बजट में टैक्स का बोझ कम करने के लिए अभूतपूर्व प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जाने चाहिए.

नि:संदेह पिछले वर्ष के केंद्रीय बजट 2020-21 के तहत वित्त मंत्री ने जो टैक्स स्लैब को बदला था, कोविड-19 की चुनौतियों के बीच पुराने स्लैब के पुन: निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है. ऐसे में टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए सरकार के द्वारा टैक्स में छूट की सीमा को दोगुना कर 5 लाख तक करना चाहिए. 

बजट 2021: स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाई जाए

नए बजट में वित्त मंत्री के द्वारा नौकरीपेशा वर्ग के लोगों को स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाकर विशेष राहत दी जानी चाहिए. इस समय वेतन से आय कमाने वाले लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की जो सीमा 50 हजार रु. है, उसे बढ़ाकर 75 हजार रु. किया जाना चाहिए.

मौजूदा समय में धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपए की छूट मिलती है. इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है. 

मकानों की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए धारा 80सी के तहत 1.50 लाख की छूट पर्याप्त नहीं है. कोई व्यक्ति 1.50 लाख की छूट यदि होम लोन के मूलधन पर ले लेता है तो उसके पास अन्य जरूरी निवेश पर छूट लेने का विकल्प नहीं बचेगा. 

होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट मिले बढ़ावा

घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के मद्देनजर इस बार बजट में सरकार को होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट को बढ़ाना चाहिए और धारा 80सी के तहत कर छूट की सीमा कम से कम 2.50 लाख रुपए कर देनी चाहिए. 

ऐसे में सेविंग्स को लेकर लोग ज्यादा आगे बढ़ेंगे, क्योंकि कई टैक्स सेविंग्स निवेश इस सेक्शन के तहत आते हैं. यह और अधिक उपयुक्त होगा कि वित्त मंत्री होम लोन की छूट के लिए एक नया प्रावधान सुनिश्चित करें.

इसी तरह सरकार के द्वारा इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को बढ़ाना चाहिए. अभी इस धारा के तहत 25000 रुपए तक के प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. 

इसमें पति/पत्नी, बच्चों समेत खुद की पॉलिसी पर जमा किया गया प्रीमियम शामिल होता है. अगर माता/पिता वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं और उनका प्रीमियम भरते हैं तो 50000 रु. तक की टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं.

Budget 2021: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट को बढ़ाना जरूरी

चूंकि अभी भी देश में स्वास्थ्य बीमा अधिक चलन में नहीं है और अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य बीमे का कवर कोरोना वायरस के कारण अस्पताल के खर्चे से निपटने के लिए भी पर्याप्त नहीं है. 

ऐसे में सरकार के द्वारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट को बढ़ाना चाहिए ताकि टैक्पेयर्स हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर प्रेरित हों. 80डी में कर छूट सीमा को बढ़ाने के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सीमा बढ़ाए जाने से लोगों को स्वास्थ्य बीमा कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा.

नए बजट के माध्यम से आयकर सुधारों को गतिशील किया जाना जरूरी है. यद्यपि पिछले वर्ष 2020 से आयकर विभाग ने करदाता चार्टर (टैक्सपेयर चार्टर), पहचान रहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) और पहचान रहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था लागू की है, लेकिन अब नए बजट से कर वंचना रोकने के प्रयास करने होंगे. 

बहुत सारे लोगों द्वारा अच्छी आमदनी होने के बावजूद आयकर का भुगतान नहीं किया जाता है. ऐसे में उनके कर नहीं देने का भार ईमानदार करदाताओं पर पड़ता है. वेतनभोगी वर्ग नियमानुसार अपने वेतन पर ईमानदारीपूर्वक आयकर चुकाता है और आमदनी को कम बताने की गुंजाइश नगण्य होती है. 

बड़ी संख्या में लेकिन कई ऐसे लोग हैं, जो अच्छी कमाई करते हैं और कोई आयकर नहीं देते हैं. ऐसे लोगों को आयकर जांच के दायरे में लाने के लिए यह जरूरी है कि आयकर विभाग के द्वारा ऐसे लोगों के वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी के विस्तार के और अधिक कारगर प्रयास किए जाएं.

नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून बनाने की जरूरत

अब सरकार को नए बजट के तहत नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून बनाने के कार्य को भी सुनिश्चित करना होगा. मोदी सरकार ने नवंबर 2017 में नई प्रत्यक्ष कर संहिता के लिए अखिलेश रंजन की अध्यक्षता में जिस टास्क फोर्स का गठन किया था, उसके द्वारा विभिन्न देशों की प्रत्यक्ष कर प्रणालियों और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू प्रत्यक्ष कर संधियों का तुलनात्मक अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट 19 अगस्त, 2019 को सरकार को सौंपी जा चुकी है. 

इस रिपोर्ट में प्रत्यक्ष कर कानूनों में व्यापक बदलाव और वर्तमान आयकर कानून को हटाकर नए सरल व प्रभावी आयकर कानून लागू करने संबंधी कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. ऐसे में अब रंजन समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून को भी शीघ्र आकार देकर देश में कर सुधारों का नया चमकीला अध्याय लिखा जा सकता है.

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