ब्लॉग: भारत जी20 का नया अध्यक्ष, क्या हैं इसके मायने और कैसे मेक फॉर द ग्लोबल की उभर रही हैं नई संभावनाएं?

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: November 23, 2022 11:08 AM2022-11-23T11:08:28+5:302022-11-23T11:08:48+5:30

भारत के लिए आने वाले अहम है. इन दिनों पूरी दुनिया में चीन प्लस वन की जरूरत के मद्देनजर मेक फॉर द ग्लोबल के लिए भारत को दुनिया के दूसरे नए कारखाने के रूप में चिन्हित किया जा रहा है.

India new president of G20, what is its meaning and how are new possibilities emerging for Make for the Global? | ब्लॉग: भारत जी20 का नया अध्यक्ष, क्या हैं इसके मायने और कैसे मेक फॉर द ग्लोबल की उभर रही हैं नई संभावनाएं?

मेक फॉर द ग्लोबल का नया द्वार बन रहा है जी-20 (फाइल फोटो)

भारत के जी-20 का नया अध्यक्ष बनने के बाद मेक इन इंडिया और मेक फॉर द ग्लोबल की नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं. 15 नवंबर को दुनिया के सबसे प्रमुख 20 देशों के समूह जी-20 के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सब पर नई वैश्विक व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि कोविड और यूक्रेन संकट के बाद वैश्विक सप्लाई चेन तहस-नहस हो गई है. ऐसे में भारत आत्मनिर्भरता के साथ वैश्विक जरूरतों की पूर्ति के लिए अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रहा है.

गौरतलब है कि इन दिनों पूरी दुनिया में चीन प्लस वन की जरूरत के मद्देनजर मेक फॉर द ग्लोबल के लिए भारत को दुनिया के दूसरे नए कारखाने के रूप में चिन्हित किया जा रहा है. दुनिया के विभिन्न आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में मेक फॉर ग्लोबल और दुनिया के लिए खाद्यान्न आपूर्ति करने वाले नए देश के रूप में भारत की नई संभावनाएं प्रस्तुत की जा रही हैं. 

हाल ही में 8 नवंबर को वैश्विक निवेश फर्म मॉर्गन स्टेनली के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत के वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं, उसमें भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब और मेक फॉर द ग्लोबल की अहम भूमिका होगी. 

भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के परिप्रेक्ष्य में अधिक विनिर्माण लागत सबसे बड़ी चुनौती रही है, ऐसे में जहां अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में मैन्युफैक्चरिंग लागत में कमी भारत के लिए सुकूनदेह है, वहीं देश में तेजी से आर्थिक सुधारों ने भी भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब की संभावनाओं को आगे बढ़ाया है. पिछले 8 वर्षों में सरकार ने जिस तरह कई आर्थिक सुधारों को अपनाया है और कई प्रोत्साहन दिए हैं, उससे भी भारत मैन्युफैक्चरिंग के एक बेहतर हब के रूप में उभरते हुए दिखाई दे रहा है.

उल्लेखनीय है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्युफैक्चरिंग के तहत 24 सेक्टर को प्राथमिकता के साथ तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. चीन से आयात किए जाने वाले दवाई, रसायन और अन्य कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए पिछले दो वर्ष में सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत 14 उद्योगों को करीब दो लाख करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं. 

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पीएलआई स्कीम की सफलता के कारण ही वर्ष 2022-23 में अप्रैल-अगस्त के दौरान फॉर्मा उत्पादों के आयात में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 40 फीसदी की कमी आई है और निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले करीब 3.47 फीसदी की वृद्धि हुई है.

Web Title: India new president of G20, what is its meaning and how are new possibilities emerging for Make for the Global?

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