ब्लॉग: अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत है सोने की मांग में वृद्धि

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 3, 2022 11:44 AM2022-11-03T11:44:56+5:302022-11-03T11:44:56+5:30

पिछले 20 साल में तो स्वर्ण की कीमत लगभग ढाई गुना बढ़ी है और उसमें निवेश करने वालों को जबर्दस्त लाभ हुआ है. इसी कारण सोने की मांग और ज्यादा बढ़ी है.

Increase in the demand for gold is sign of strength in Indian economy | ब्लॉग: अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत है सोने की मांग में वृद्धि

अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत है सोने की मांग में वृद्धि (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दुनिया भर में सोने की मांग में जबर्दस्त तेजी आई है और सोना खरीदने में भारतीय हमेशा की तरह फिर अव्वल साबित हुए हैं. कोविड-19 महामारी के दो वर्षों के दौरान स्वर्ण की मांग तेजी से गिरी थी लेकिन हालात सामान्य होते ही लोगों ने फिर सोना खरीदने में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है. 

विश्व स्वर्ण परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सितंबर की तिमाही में सोने की बिक्री दुनियाभर में 400 टन हुई है. भारत में सोने की मांग इस अवधि में 14 प्रतिशत बढ़ी और 191.7 टन सोना लोगों ने खरीदा. अभी तक इस वित्त वर्ष में दुनिया भर में लोग 673 टन सोना खरीद चुके हैं और बिक्री की यही रफ्तार रही तो दिसंबर अंत तक लगभग 800 टन सोने की बिक्री होने की आशा है. 

भारत में सोने की बिक्री को महज हमारे स्वर्ण के प्रति मोह या भावनात्मक लगाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. यह सच है कि सोने के प्रति सदियों से भारतीयों में बहुत ज्यादा आसक्ति है. सोना खरीदना और स्वर्ण आभूषण पहनना भारतीय जीवन पद्धति का अभिन्न हिस्सा है. त्यौहार हो या अन्य धार्मिक और घरेलू रस्में, भारतीय सोना एक परंपरा के तौर पर खरीदते हैं एवं आभूषणों को गर्व के साथ पहनते हैं. 

इसके साथ ही सोना किसी भी देश तथा समाज की समृद्धि का भी प्रतीक है. अगर लोग स्वर्ण जैसी कीमती धातु खरीदने में सक्षम हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि लोगों के पास अपने जरूरी खर्चों को निपटाने के बाद भी पर्याप्त धन बच जाता है और वे निवेश करने में सक्षम हैं. भारत में सोने की बढ़ती मांग इसी बात का प्रतीक है कि भारतीयों में क्रय शक्ति बढ़ रही है. यह हमारी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के संकेत हैं. 

कोविड-19 महामारी ने दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाओं की तरह भारत को भी बुरी तरह से प्रभावित किया. रोजगार खत्म हो गए, लोगों की आमदनी पूरी तरह बंद हो गई या उसमें भारी कटौती हुई. गरीब से लेकर धनी सभी आर्थिक तंगी का शिकार हुए. जब जीवन में जरूरी वस्तुओं को खरीदने की ताकत लोगों में कम हो गई तो सोना खरीदने के बारे में तो वे सोच ही नहीं सकते थे. 

अर्थव्यवस्था के चरमराने का असर भारत में सोने के कारोबार पर पड़ा. 2020 में जब कोरोना की पहली लहर चरम पर थी, तब सोने की मांग में भारत में 35 प्रतिशत की कमी आई थी. भारत में प्रति वर्ष औसतन 800 टन सोने की मांग रहती है जो कोरोना काल में गिरकर 446 टन रह गई थी. स्वर्ण आभूषणों की मांग भी इस अवधि में 42 प्रतिशत गिरी. 2021 में जब कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया, तब भी भारत में लोगों की क्रय शक्ति और घट गई थी. 

इसके फलस्वरूप ठोस सोने तथा उससे बने आभूषणों की मांग नहीं के बराबर रही. सिर्फ अति धनाढ्य वर्ग ही 2020-2021 में सोने की खरीद कर सका. कोरोना महामारी जैसे ही नियंत्रण में आई, अर्थव्यवस्था के पहिये भी गति पकड़ने लगे. रोजगार बहाल हो गया, लोगों की आमदनी में भी वृद्धि होने लगी, इसके फलस्वरूप क्रय शक्ति बढ़ी तथा सोने की मांग फिर तेजी पकड़ने लगी. मांग के साथ-साथ सोने की कीमतों में भी उछाल आने लगा. 

पिछले साल नवंबर में जहां 22 कैरेट सोना प्रति 10 ग्राम 45-46 हजार रु. तोला था, अब वह बढ़कर 50 हजार रु. से ऊपर पहुंच गया है और उसके 58 हजार रु. तोला तक पहुंच जाने की उम्मीद है. लगातार बढ़ती हुई कीमतों के कारण सोना निवेश का भी बेहतरीन माध्यम बन गया है. सरकार भी सोने में निवेश के लिए योजनाएं चला रही है. इसके अलावा व्यक्तिगत निवेश सोने में खूब हो रहा है. सोने में प्रति वर्ष 10 से 16 प्रतिशत तक रिटर्न गत एक दशक से लगातार मिल रहा है. 

पिछले 20 साल में तो स्वर्ण की कीमत लगभग ढाई गुना बढ़ी है और उसमें निवेश करने वालों को जबर्दस्त लाभ हुआ है. इसी कारण सोने की मांग और ज्यादा बढ़ी है. सोना भारतीयों के लिए संकटमोचक का भी काम करता है. इसे खरीदने का एक कारण यह भी है कि संकट के समय सोने को गिरवी रखकर या बेचकर तत्काल नगदी हासिल की जा सकती है. 

सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है लेकिन एक बात तय है कि उसकी मांग भारत में कम नहीं होगी. लोगों के लिए सोना महज एक आभूषण ही नहीं बल्कि बहुउपयोगी धातु है जो समय आने पर उनका गौरव बढ़ाती है तो जरूरत पड़ने पर मुसीबतों से बाहर भी निकाल लेती है. उसकी बढ़ती मांग देश की खुशहाली का भी प्रतीक है. 

Web Title: Increase in the demand for gold is sign of strength in Indian economy

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