जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: व्यापार घाटे के चलते बढ़ रही हैं आर्थिक मुश्किलें

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: May 21, 2022 02:35 PM2022-05-21T14:35:29+5:302022-05-21T14:35:29+5:30

17 मई को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार हो गई है। यह 9 वर्ष की सर्वाधिक है। अप्रैल 2022 में पेट्रोल के थोक दाम में पिछले साल के मुकाबले 63 फीसदी की वृद्धि हुई। 

higher fiscal deficit creates economic difficulties says Jayantilal bhandari in his blog | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: व्यापार घाटे के चलते बढ़ रही हैं आर्थिक मुश्किलें

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: व्यापार घाटे के चलते बढ़ रही हैं आर्थिक मुश्किलें

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जैसे-जैसे कच्चे तेल के वैश्विक दामों में भारी इजाफा हो रहा है, वैसे-वैसे भारत के विदेश व्यापार घाटे और महंगाई में तेजी के परिदृश्य से भारत की आर्थिक तथा वित्तीय मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 17 मई को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार हो गई है। यह 9 वर्ष की सर्वाधिक है। अप्रैल 2022 में पेट्रोल के थोक दाम में पिछले साल के मुकाबले 63 फीसदी की वृद्धि हुई। 

खुदरा महंगाई दर भी अप्रैल 2022 में 7।8 फीसदी हो गई है, जो 95 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। साथ ही 17 मई को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया और एक डॉलर का मूल्य 77.64 रुपए हो गया। ऐसे में रुपए की कीमत में भारी कमी से बाजार में सब कुछ महंगा होते हुए दिखाई दे रहा है और व्यापार–कारोबार में भी कमी दिखाई दे रही है।

गौरतलब है कि कच्चा तेल और खाद्य तेल भारत की सबसे प्रमुख आयात मदें हैं। जहां भारत के द्वारा कच्चे तेल की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है, वहीं खाद्य तेल की कुल जरूरतों का करीब 65 फीसदी आयात किया जाता है। ऐसे में इन दोनों सबसे बड़ी आयात मदों और चीन से बढ़ते आयातों ने भारत के व्यापार घाटे को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। 

हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी विदेश व्यापार के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले माह अप्रैल में जहां देश का आयात 26.6 फीसदी बढ़कर 58.3 अरब डॉलर रहा, वहीं निर्यात 38.2 अरब डॉलर ही रहा। फलस्वरूप चालू वित्तीय वर्ष के पहले माह में ही व्यापार घाटा 20.1 अरब डॉलर की चिंताजनक ऊंचाई पर पहुंच गया।

ज्ञातव्य है कि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश का व्यापार घाटा बढ़कर 192 अरब डॉलर रहा है। ऐसे बढ़े हुए व्यापार घाटे के कारण जहां देश में आर्थिक-वित्तीय मुश्किलें बढ़ गई हैं। 

वहीं चालू वित्त वर्ष में व्यापार घाटा और बढ़ने की नई चिंताएं भी मुंह बाएं खड़ी हैं। हाल ही में प्रकाशित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की रिपोर्ट में यूक्रेन संकट के कारण चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में दुनिया में व्यापार घाटा बढ़ने के मद्देनजर वैश्विक व्यापार वृद्धि पूर्व निर्धारित 4.7 फीसदी से घटकर 3 फीसदी रहने की बात कही गई है। 

भारत में भी व्यापार घाटा तेजी से बढ़ने की आशंका है। ऐसे में भारत निर्यात बढ़ाने और आयात घटाने तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुकूल संभावनाओं को रणनीतिक रूप से मुट्ठियों में लेकर बढ़ते हुए व्यापार घाटे को नियंत्रित कर सकता है।

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 11 मई को वाणिज्य विभाग के द्वारा आयात में हो रही लगातार वृद्धि के मद्देनजर आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के तरीकों के संबंध में विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ विशेष बैठक आयोजित की गई। 

इस बैठक में ऐसे प्राथमिकता वाले उत्पादों की पहचान की गई है, जिनके आयात में पिछले कुछ महीनों में तेज इजाफा हुआ है। इन उत्पादों में प्रमुखतया विद्युत उपकरण, धातुएं, रसायन, पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती और अर्ध-कीमती रत्न, बैटरी, प्लास्टिक कृषि उत्पाद और वस्त्र शामिल हैं। ये ऐसे उत्पाद हैं जिनके उत्पादन को बढ़ावा देकर आयात में कमी की जा सकती है और निर्यात में वृद्धि की जा सकती है।

निश्चित रूप से व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए चीन से व्यापार घाटा कम करना होगा। इस ओर भी ध्यान दिया जाना होगा कि देश में अभी भी कई उद्योग बहुत कुछ चीन से आयातित कच्चे माल पर आधारित हैं। 

चीन के कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए पिछले डेढ़ वर्ष में सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत 13 उद्योगों को करीब दो लाख करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं। उनके पूर्ण उपयोग पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा।

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