ग्लोबल आउटसोर्सिग हब बनने की दिशा में बढ़ता भारत, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: July 7, 2021 05:08 PM2021-07-07T17:08:41+5:302021-07-07T17:10:36+5:30

घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों के बीच अंतर को समाप्त कर दिया गया है तथा अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) के बीच इंटरकनेक्टिविटी की अनुमति सहित कई विशेष रियायतें दी गई हैं.

global outsourcing hub India moving towards becoming bpo Industry Jayantilal Bhandari's blog | ग्लोबल आउटसोर्सिग हब बनने की दिशा में बढ़ता भारत, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग

पश्चिमी और यूरोपीय देशों में श्रम लागत भारत की तुलना में पांच से दस गुना तक महंगी है.

Highlightsनियामकीय स्पष्टता आएगी, लागत कम होगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा.देश या विदेश में कहीं भी उपयोगी एवं मितव्ययी रूप से संपन्न कराना.भारत सहित कुछ गुणवत्तापूर्ण काम करने वाले देशों में आउटसोर्सिग के लिए एजेंसियों को सौंप रहे हैं.

इस समय भारत के ग्लोबल आउटसोर्सिग का हब बनने का नया परिदृश्य उभरता दिखाई दे रहा है. विगत 23 जून को सरकार ने भारत को एक पसंदीदा वैश्विक आउटसोर्सिग हब बनाने के लिए बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) उद्योग को प्रोत्साहित करने के महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं.

सरकार ने ‘वॉयस’ बेस्ड बीपीओ यानी टेलीफोन के जरिये ग्राहकों को सेवा देने वाले क्षेत्नों के लिए दिशानिर्देश को सरल, स्पष्ट और उदार बनाया है. इसके तहत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों के बीच अंतर को समाप्त कर दिया गया है तथा अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) के बीच इंटरकनेक्टिविटी की अनुमति सहित कई विशेष रियायतें दी गई हैं.

ओएसपी से आशय ऐसी कंपनियों या इकाइयों से हैं जो दूरसंचार संसाधनों का उपयोग कर आईटी युक्त सेवाएं, कॉल सेंटर या अन्य प्रकार की आउटसोर्सिग सेवाएं दे रही हैं. इसमें टेलीमार्केटिंग, टेलीमेडिसिन आदि सेवाएं शामिल हैं. ऐसे नए दिशानिर्देशों से बीपीओ के तहत ज्यादा कारोबार सुगमता सुनिश्चित हो सकेगी, नियामकीय स्पष्टता आएगी, लागत कम होगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा.

इससे देश की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को मदद मिलेगी. सरल भाषा में आउटसोर्सिग का मतलब है कोई कार्य उद्योग-कारोबार संस्थान के परिसर के बाहर देश या विदेश में कहीं भी उपयोगी एवं मितव्ययी रूप से संपन्न कराना. ऐसा कार्य आईटी के बढ़ते प्रभाव के चलते संभव हो सका है.

यह माना जा रहा है कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा सहित दुनिया के कई देश आईटी, फाइनेंस, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, इंश्योरेंस, बैंकिंग, एजुकेशन आदि ऐसे कई क्षेत्नों में भारी मात्ना में बचत राशि हासिल करने में सिर्फ इसलिए कामयाब हैं क्योंकि वे अपनी प्रक्रियाओं का बड़ा हिस्सा भारत सहित कुछ गुणवत्तापूर्ण काम करने वाले देशों में आउटसोर्सिग के लिए एजेंसियों को सौंप रहे हैं.

दरअसल, पश्चिमी और यूरोपीय देशों में श्रम लागत भारत की तुलना में पांच से दस गुना तक महंगी है, जिससे किसी भी सेवा की लागत बढ़ जाती है. अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों की रिपोर्टो में भी यह बात उभरकर सामने आ रही है कि कोविड-19 के मद्देनजर अमेरिका सहित विकसित देशों की अर्थव्यवस्था के विकास में उद्योगों की उत्पादन लागत घटाने के परिप्रेक्ष्य में आउटसोर्सिग आवश्यक है.

उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षो से आउटसोर्सिग के क्षेत्न में भारत की प्रगति के पीछे देश में संचार का मजबूत ढांचा एक प्रमुख कारण है. दूरसंचार उद्योग के निजीकरण से नई कंपनियों के अस्तित्व में आने से दूरसंचार की दरों में भारी गिरावट आई है.

उच्च कोटि की त्वरित सेवा, आईटी एक्सपर्ट और अंग्रेजी में पारंगत युवाओं की बड़ी संख्या ऐसे अन्य कारण हैं, जिनकी बदौलत भारत पूरे विश्व में आउटसोर्सिग के क्षेत्न में अग्रणी बना हुआ है. वस्तुत: कोविड-19 के वैश्विक संकट के बीच देश और दुनिया से ज्यादातर कारोबार गतिविधियों के ऑनलाइन होने के बाद डिजिटल दुनिया में भारत के आउटसोर्सिग सेक्टर की प्रभावी भूमिका नए भारत का एक चमकदार उदाहरण है. यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत में बीपीओ उद्योग वैश्विक ग्राहकों के लिए लगातार प्रक्रियागत नवाचार कर रहा है.

कोविड-19 के समय में वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) से भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों का कार्बन उत्सर्जन घटना भारत के लिए लाभप्रद हो गया है. जहां कार्बन उत्सर्जन में कमी के आधार पर भी आउटसोर्सिग कारोबार में भारी वृद्धि की नई संभावनाएं निर्मित हुई हैं, वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की नई आर्थिक नीति से भारत से आउटसोर्सिग कारोबार के तेजी से बढ़ने की संभावनाएं बढ़ी हैं.

ज्ञातव्य है कि भारत दुनिया में आउटसोर्सिग सेवाओं का बड़ा निर्यातक देश है. भारत की 200 से अधिक आईटी फर्म दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में काम कर रही हैं. इस समय भारतीय आईटी उद्योग आउटसोर्सिग के मद्देनजर तेजी से नई भर्तियां करते हुए भी दिखाई दे रहा है. संचार मंत्नी रविशंकर प्रसाद के मुताबिक भारत में बीपीओ क्षेत्न में 14 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

भारत के बीपीओ उद्योग का आकार 2019-20 में 37.6 अरब डॉलर (2.8 लाख करोड़ रु.) का था. यह आकार कोविड-19 की वजह से तेजी से बढ़ता हुआ 2025 तक 55.5 अरब डॉलर (3.9 लाख करोड़ रु.) के स्तर पर पहुंच सकता है. हमें आउटसोर्सिग के लिए अमेरिकी बाजार के साथ-साथ यूरोप और एशिया प्रशांत क्षेत्न के विभिन्न देशों में नई व्यापक संभावनाओं को मुट्ठियों में लेना होगा.

हमें आउटसोर्सिग क्षेत्न में बढ़त बनाए रखने के लिए एयरपोर्ट, सड़क और बिजली जैसे बुनियादी क्षेत्न में तेजी से विकास करना होगा. हम उम्मीद करें कि पिछले कई वर्षो से दुनिया में आउटसोर्सिग कारोबार में बढ़त बनाने वाला भारत अब बीपीओ से संबंधित सरकार के नए दिशा-निर्देशों के उपयुक्त कार्यान्वयन से ग्लोबल आउटसोर्सिग हब बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा.

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